ETV Bharat / state

एनकाउंटर जिन्होंने योगी पुलिस को कटघरे में खड़ा किया, पढ़िए रिपोर्ट - लखनऊ न्यूज

उत्तर प्रदेश में बीते कुछ सालों में किए गए एनकाउंटरों ने यूपी पुलिस को कटघरे में ला खड़ा किया है. शनिवार को इन एनकाउंटरों पर आई एक रिपोर्ट के अनुसार बीते दो सालों में यूपी में कुल 3577 एनकाउंटर किए गए. इनमें 7967 अपराधी पकड़े गए तो 73 अपराधी मारे गए. वहीं कुछ एनकाउंटर ऐसे भी हैं जिन्होंने यूपी पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

पुलिस के एमकाउंटर पर उठे सवाल
author img

By

Published : Mar 17, 2019, 6:06 AM IST

Updated : Mar 17, 2019, 6:38 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद ही मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया था कि अगर यूपी में रहना है तो गुण्डागर्दी छोड़नी पड़ेगी. इसके बाद प्रदेश में शुरु हुआ एनकाउंटरों का दौर, जिसे लेकर सरकार ने भी खूब वाहवाही लूटी. जिन एनकाउंटरों के सहारे सरकार कानून व्यवस्था सुधारने की कोशिश कर रही थी, दरअसल वही एनकाउंटर अफसरों के लिए कुर्सी बचाने का हथकंडा साबित हो रहे हैं.

पुलिस के एनकाउंटर पर उठे सवाल

यूपी सरकार ने जब कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पुलिस के हाथ खोले, तो प्रदेश में एक के बाद एक एनकाउंटरों का दौर शुरु हो गया. पुलिस अपराधियों को ढूंढ-ढूंढ कर उनका एनकाउंटर करने लगी. जब-जब जिले के कप्तान से लेकर लखनऊ में बैठे अफसरों की कुर्सी हिली तो ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए गए. पुलिस में एनकाउंटर के जरिए कुर्सी बचाने की होड़ सी मच गई और कई एनकाउंटर सवालों के घेरे में आ गए.

अबतक कितने हुए एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 से फरवरी 2019 तक हुए एनकाउंटरों पर नजर डालें तो अब तक कुल 3577 मुठभेड़ें हो चूकी हैं. इनमें एनकाउंटरों में कुल 7967 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है और 1023 बदमाश घायल हुए हैं. इन मुठभेड़ों में 73 अपराधी मारे गये हैं, 638 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और 5 पुलसकर्मी मारे भी गए. धीरे-धीरे इन ताबड़तोड़ एनकाउंटरों पर सवाल खड़े होने लगे. इसके चलते नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पीयूसीएल (पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज) ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ों पर प्रदेश सरकार से जवाब मांग लिया. जिन एनकाउंटरों पर फर्जी होने के सवाल उठाये गए, उनमें से ज्यादातर पश्चिम उत्तर प्रदेश में हुए हैं.

ये एनकाउंटर रहे विवादित
सबसे पहले 5 अक्टूबर 2018 को ग्रेटर नोएडा में सुमित गुर्जर का एनकाउंटर विवादित हुआ और आरोप लगाया गया कि यह एनकाउंटर नहीं हत्या थी. उसके बाद नोएडा में एक दारोगा ने बहन की सगाई से लौट रहे जिम संचालक को गोली मार दी और उसे एनकाउंटर का रूप देने की कोशिश की. 10 अगस्त 2017 को बागपत के बड़ौत में मामूली फल विक्रेता इकराम का एनकाउंटर किया गया. पुलिस का दावा था कि फल विक्रेता इकराम लूट के सामान के साथ भागने की कोशिश कर रहा था. 12 सितंबर 2017 को पुलिस ने जेल में बंद शमशाद को एनकाउंटर में मार गिराया और पुलिस ने कहा कि उसने हिरासत से भागने की कोशिश की थी. वहीं परिवार वालों का कहना है कि शमशाद की सजा खत्म होने वाली थी, ऐसे में वह हिरासत से क्यों भागेगा.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद ही मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया था कि अगर यूपी में रहना है तो गुण्डागर्दी छोड़नी पड़ेगी. इसके बाद प्रदेश में शुरु हुआ एनकाउंटरों का दौर, जिसे लेकर सरकार ने भी खूब वाहवाही लूटी. जिन एनकाउंटरों के सहारे सरकार कानून व्यवस्था सुधारने की कोशिश कर रही थी, दरअसल वही एनकाउंटर अफसरों के लिए कुर्सी बचाने का हथकंडा साबित हो रहे हैं.

पुलिस के एनकाउंटर पर उठे सवाल

यूपी सरकार ने जब कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पुलिस के हाथ खोले, तो प्रदेश में एक के बाद एक एनकाउंटरों का दौर शुरु हो गया. पुलिस अपराधियों को ढूंढ-ढूंढ कर उनका एनकाउंटर करने लगी. जब-जब जिले के कप्तान से लेकर लखनऊ में बैठे अफसरों की कुर्सी हिली तो ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए गए. पुलिस में एनकाउंटर के जरिए कुर्सी बचाने की होड़ सी मच गई और कई एनकाउंटर सवालों के घेरे में आ गए.

अबतक कितने हुए एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 से फरवरी 2019 तक हुए एनकाउंटरों पर नजर डालें तो अब तक कुल 3577 मुठभेड़ें हो चूकी हैं. इनमें एनकाउंटरों में कुल 7967 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है और 1023 बदमाश घायल हुए हैं. इन मुठभेड़ों में 73 अपराधी मारे गये हैं, 638 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और 5 पुलसकर्मी मारे भी गए. धीरे-धीरे इन ताबड़तोड़ एनकाउंटरों पर सवाल खड़े होने लगे. इसके चलते नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पीयूसीएल (पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज) ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ों पर प्रदेश सरकार से जवाब मांग लिया. जिन एनकाउंटरों पर फर्जी होने के सवाल उठाये गए, उनमें से ज्यादातर पश्चिम उत्तर प्रदेश में हुए हैं.

ये एनकाउंटर रहे विवादित
सबसे पहले 5 अक्टूबर 2018 को ग्रेटर नोएडा में सुमित गुर्जर का एनकाउंटर विवादित हुआ और आरोप लगाया गया कि यह एनकाउंटर नहीं हत्या थी. उसके बाद नोएडा में एक दारोगा ने बहन की सगाई से लौट रहे जिम संचालक को गोली मार दी और उसे एनकाउंटर का रूप देने की कोशिश की. 10 अगस्त 2017 को बागपत के बड़ौत में मामूली फल विक्रेता इकराम का एनकाउंटर किया गया. पुलिस का दावा था कि फल विक्रेता इकराम लूट के सामान के साथ भागने की कोशिश कर रहा था. 12 सितंबर 2017 को पुलिस ने जेल में बंद शमशाद को एनकाउंटर में मार गिराया और पुलिस ने कहा कि उसने हिरासत से भागने की कोशिश की थी. वहीं परिवार वालों का कहना है कि शमशाद की सजा खत्म होने वाली थी, ऐसे में वह हिरासत से क्यों भागेगा.

Intro:उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जिस एनकाउंटर के सहारे बेहतर पुलिसिंग और बेहतर कानून व्यवस्था बनाने की कोशिश की थी वह एनकाउंटर दरअसल अफसरों के लिए कुर्सी बचाने का हथकंडा साबित हुआ। जब जब जिले के कप्तान से लेकर लखनऊ में बैठे अफसरों की कुर्सी हिली,ताबड़तोड़ एनकाउंटर का दौर चलाया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस में एनकाउंटर से कुर्सी बचाने की होड़ सी मच गई और कई एनकाउंटर सवालो के घेरे में आ गए। यूपी की एनकाउंटर पुलिसिंग पर एक रिपोर्ट।


Body:उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस को बदमाशों की गोली का जवाब गोली से देने की छूट दी तो लखीमपुर से लेकर ललितपुर तक गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर तक, पुलिस एनकाउंटर करने लगी।
उत्तर प्रदेश में मार्च2017 से फरवरी 2019 तक हुए एनकाउंटर पर एक नजर....

अब तक हुई कुल मुठभेड़...3577
गिरफ्तार बदमाश...7967
घायल हुए बदमाश...1023
मारे गए बदमाश...73
मुठभेड़ में घायल पुलिस कर्मी...638
बदमाशो की मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस कर्मी..05


एनकाउंटर के दौर के साथ ही कई विवाद भी खड़े हो गए जिसके चलते ही नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पीयूसीएल यानी पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ों पर सरकार से जवाब मांग लिया। एनकाउंटर की ज्यादातर घटनाएं पश्चिम उत्तर प्रदेश में हुई। जिन पर सवाल उठे और फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा।
जिसमें 5 अक्टूबर 2018 को ग्रेटर नोएडा में सुमित गुर्जर एनकाउंटर सबसे विवादित मामला बना। आरोप लगा एनकाउंटर नहीं हत्या थी।
... नोएडा में एक दरोगा ने बहन की सगाई से लौट रहे जिम संचालक को गोली मार दी और एनकाउंटर का रूप देने की कोशिश की।

....10 अगस्त 2017 को बागपत के बड़ौत में मामूली फल विक्रेता इकराम का एनकाउंटर किया गया। पुलिस का दावा था फल विक्रेता इकराम लूट के सामान के साथ भागने की कोशिश कर रहा था और मारा गया।
... 12 सितंबर 2017 को पुलिस ने जेल में बंद शमशाद एनकाउंटर में मार गिराया। पुलिस ने कहा हिरासत से भागने की कोशिश की थी। परिवार वालों ने सवाल खड़ा किया कि जब शमशाद की सजा खत्म होने वाली थी तो वो हिरासत से क्यों भागेगा।

तमाम फर्जी एनकाउंटर के साथ संभल में एनकाउंटर के दौरान पुलिस वाले की पिस्टल फंसी तो साथी दरोगा ने मुंह से ही ठाएं ठाएं की आवाज निकाली। मामला खूब वायरल हुआ सरकार की किरकिरी हुई।

कई बार एनकाउंटर का कुछ ऐसा दौर भी चला जब कभी 24 घंटे तो कभी 48 घंटे में यूपी में एक साथ 12-12 मुठभेड़ में होने लगी। कहीं बदमाश मारे गए तो कई बदमाश की गोली से पुलिस।


Conclusion:यह आंकड़े और मामले बताने को काफी है कि एनकाउंटर के नाम पर यूपी पुलिस वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही थी, वह किरकिरी का सबब बन गई। जिले के कप्तान से लेकर लखनऊ में बैठे मुखिया ने तक कभी कुर्सी बचाने के लिए तो कभी वाह वाही लूटने के लिए एनकाउंटरो का सहारा लिया। सवाल उठना इसलये लाजमी है क्योंकि आचार संहिता लगने के बाद से उत्तर प्रदेश में ना तो अपराध थमा है और ना ही अपराधी कहीं गए हैं। लेकिन अगर थमा है तो सिर्फ एनकाउंटर।

end ptc

संतोष कुमार 9305275733
Last Updated : Mar 17, 2019, 6:38 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.