लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में शनिवार को एक और कर्मचारी की पत्नी की इलाज के अभाव में मौत हो गई. इसके बाद कर्मचारियों ने प्रशासनिक भवन पर जमकर हंगामा काटा. कर्मचारियों ने निदेशक का घेराव कर एक बार फिर कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए बेड आरक्षित करने का लिखित आदेश देने की मांग की.
रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी खोला मोर्चा
एसजीपीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी लैब टेक्नीशियन की पत्नी की मौत के बाद संस्थान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. डॉक्टर भी कर्मचारियों अधिकारियों और चिकित्सकों के लिए बेड आरक्षित किए जाने की मांग कर रहे हैं. एसजीपीजीआई रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एसजीपीजीआई कर्मचारी महासंघ के आंदोलन को पूरा समर्थन देने की घोषणा की है.
बढ़ी निदेशक की मुसीबत
एसजीपीजीआई कर्मचारी महासंघ के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों के भी मैदान में आ जाने से एसजीपीजीआई प्रशासन की मुसीबत बढ़ गई है. महासंघ ने पहले से ही 27 अप्रैल से कार्य बहिष्कार की धमकी दे रखी है. अब रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष आकाश माथुर ने भी निदेशक को पत्र लिखकर बेड आरक्षित न किए जाने की स्थिति में कर्मचारियों के साथ कार्य बहिष्कार में शामिल होने की धमकी दी है.
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खत्म हो वीआईपी कल्चर
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन और एसजीपीजीआई कर्मचारी महासंघ ने एक स्वर से एसजीपीजीआई से वीआईपी कल्चर समाप्त किए जाने की मांग की है. डॉक्टरों और कर्मचारियों का कहना है कि संस्थान में भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए, जिससे यहां आम लोगों को भी इलाज की सुविधा मुहैया हो सके.