लखनऊ : राजधानी का आरटीओ कार्यालय दलालों के अड्डे के रूप में हमेशा से ही बदनाम रहा है. बाहरी लोग बाबुओं से मिलकर दलाली का खुला खेल खेलते हैं, लेकिन इस कोरोना काल में आरटीओ के बाबू पर ही दलाली का आरोप लग रहा है. आरोप है कि आरटीओ में सुविधा शुल्क लिए बिना कागज पर उनकी कलम नहीं चलती या फिर कंप्यूटर पर डाटा फीडिंग के लिए उनकी उंगलियां काम करना बंद कर देती हैं.
सुविधा शुल्क मिलते ही कलम भी सरपट दौड़ने लगती है और उंगलियों में भी तेजी के साथ कंप्यूटर पर चलने लगती हैं. आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड पर बाबुओं ने फिटनेस सर्टिफिकेट के नाम पर सुविधा शुल्क में भी इजाफा कर दिया है. हालांकि जब इस तरह के खेल के बारे में आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों को जानकारी दी गई तो उन्होंने इस पूरे मामले से अनभिज्ञता जताई. उनका कहना था कि अब मामला संज्ञान में आ गया है तो इसकी जांच कराई जाएगी.
कोरोना के दौर से पहले हर रोज आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड पर 150 से 200 वाहन फिटनेस के लिए आते थे. ऐसे में यहां पर काम करने वाले लोगों की चांदी हो जाती थी. अब कोरोना फैला हुआ है ऐसे में फिटनेस कराने आने वालों की संख्या पहले की तुलना में चौथाई भर ही रह गई है. लिहाजा आरटीओ कार्यालय में काम करने वाले बाबुओं की रिश्वतखोरी पर काफी असर पड़ा है.
ऐसे में अब यहां के बाबुओं ने एक नया तरीका निकाल लिया है. आरोप है कि उन्होंने अपनी सुविधा शुल्क में दोगुने का इजाफा कर दिया है. यानी पहले जिस काम के लिए ₹100 देने पड़ते थे, वहीं अब गाड़ी के फिटनेस सर्टिफिकेट के नाम पर दोगुनी कीमत अदा करनी पड़ रही है. जो वाहन स्वामी कीमत नहीं देता है उसे यहां के बाबू तीन से चार दिन दौड़ाते हैंं. वहीं जो सुविधा शुल्क दे देता है उसका आनन-फानन में काम हो जाता हैै.
आरटीओ कार्यालय में फिटनेस कराने आए एक वाहन स्वामी ने कैमरे पर तो कुछ भी बोलने से इनकार किया, लेकिन सुमित नाम के इस वाहन स्वामी का कहना था कि कोरोना से पहले बाबू को ₹100 देने पड़ते थे. लेकिन अब कोरोना में फिटनेस के लिए गाड़ियां कम आ रही हैं तो ₹200 सुविधा शुल्क मांगा जाता है. अगर कोई वाहन स्वामी नहीं देता है तो उसे यह कहकर बाद में बुलाया जाता है कि अभी बहुत काम है. इसी तरह दो से तीन दिन चक्कर लगवाए जाते हैं. और जो वाहन स्वामी ₹200 दे देता है उसका काम हो जाता है. इसी तरह एक अन्य वाहन स्वामी ने कहा कि जिस सर्टिफिकेट की कोई भी फीस नहीं लगती है उसके लिए अब ₹200 मांगे जाते हैं.
जब इस तरह के मामले को एआरटीओ (प्रशासन) अंकिता शुक्ला की नजर में लाया गया तो उन्होंने इस तरह की अब तक कोई भी शिकायत होने से इंकार किया. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि अगर घूसखोरी चल रही है तो पूरी गंभीरता से जांच करायी जायेगी. और जो भी बाबू दोषी होगा उस पर कड़ी कार्रवाई भी करेंगे.