लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फर्जी दत्तक विलेख के सहारे नौकरी पाने वाले बिजली विभाग के कर्मचारी को राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने कर्मचारी की द्वितीय अपील को खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालतों के निर्णय में कोई भी खामी नहीं है.
बिजली विभाग में ली थी नौकरी
यह निर्णय न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल सदस्यीय पीठ ने शिव दर्शन यादव की अपील पर पारित किया. अपीलार्थी का कहना था कि उसे दत्तक विलेख के आधार पर बिजली विभाग में क्लर्क के पद पर मृतक आश्रित कोटे में नौकरी मिली थी. उसे अपर सिविल जज कोर्ट ने विभाग के अधिशाषी अभियंता द्वारा दाखिल वाद को निर्णित करते हुए खारिज कर दिया. अपीलार्थी ने निर्णय को प्रथम अपील के माध्यम से चुनौती दी लेकिन अपीलेट कोर्ट ने उसके अपील को खारिज कर दिया. जिसके बाद हाईकोर्ट के समक्ष द्वितीय अपील दाखिल की गई.
नौकरी के लिए बनवाया फर्जी विलेख
अपीलार्थी ने बिजली विभाग के एक कर्मचारी कन्हैया लाल के स्थान पर मृतक आश्रित कोटे से फैजाबाद जनपद में क्लर्क के पद पर नौकरी प्राप्त की. दरअसल, अपीलार्थी का कहना था कि कन्हैया लाल ने उसे गोद लिया था और बकायदा दत्तक विलेख भी तैयार किया गया था. एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी, फैजाबाद के समक्ष शिकायत दर्ज कराई कि मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने मात्र के लिए उक्त दत्तक विलेख तैयार करवाया गया है व इसकी जांच की जानी चाहिए.
फर्जी दत्तक विलेख किया निरस्त
जिलाधिकारी के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच के उपरांत शिकायत को सही पाया. जिसके बाद अपीलार्थी को निलम्बित कर दिया गया. वहीं अधिशाषी अभियंता ने दत्तक विलेख को निरस्त कराने के लिए सिविल जज के यहां वाद दायर किया जिस पर सिविल जज ने डिक्री पारित करते हुए दत्तक विलेख को निरस्त कर दिया. वहीं अपीलेट कोर्ट ने भी अपीलार्थी को कोई राहत न देते हुए अपने निर्णय में माना कि दत्तक विलेख की वास्तविकता सिद्ध करने में अपीलार्थी असफल रहा है.
विलेख धोखाधड़ी पर आधारित है और अपीलार्थी ने मात्र नौकरी पाने के लिए विलेख तैयार करवाया है. कोर्ट ने यह भी पाया कि कथित गोद के समय अपीलार्थी की उम्र 25 वर्ष थी. हाईकोर्ट ने दोनों निचली अदालतों के निर्णयों पर मुहर लगाते हुए अपील को खारिज कर दिया.