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लखनऊ: डेंगू की जांच के लिए एलाइजा टेस्ट अनिवार्य

उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू संदिग्ध मरीजों के लिए एलाइजा (एंजाइम लिंक्ड इम्युनो सोरवेंट एस्से) टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक डेंगू की प्रमाणित जांच एलाइजा ही मानी जाती है. इस टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट सभी निजी व सरकारी संस्थानों को देने के निर्देश दिए गए हैं.

एलाइजा टेस्ट अनिवार्य
एलाइजा टेस्ट अनिवार्य
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Published : Oct 28, 2020, 10:58 AM IST

लखनऊ: कोरोना संक्रमित की संख्या पर लगाम लगने के बाद अब डेंगू मरीजों की संख्या राजधानी लखनऊ में तेजी से बढ़ रही है. डेंगू मरीजों की बढ़ती संख्या में विराम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू की जांच के लिए एलाइजा (एंजाइम लिंक्ड इम्युनो सोरवेंट एस्से) टेस्ट को अनिवार्य कर दिया गया है.

डेंगू संदिग्धों के लिए एलाइजा टेस्ट अनिवार्य
प्रदेश भर में डेंगू के बढ़ते मामले को देखते हुए स्वास्थ विभाग द्वारा डेंगू मरीज संदिग्धों के लिए एलाइजा (एंजाइम लिंक्ड इम्युनो सोरवेंट एस्से) टेस्ट को अनिवार्य किया गया है. साथ ही यह भी साफ किया गया है कि यदि एलाइजा टेस्ट में कोई मरीज डेंगू पॉजिटिव आता है तभी वह डेंगू पॉजिटिव माना जाएगा. इसके अलावा यदि कोई भी डेंगू संदिग्ध मरीज कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव आएगा तो वह मरीज डेंगू पॉजिटिव नहीं माना जाएगा. इसको लेकर के स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह आदेश जारी किया गया है. इस मामले में उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी से हमने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि डेंगू की प्रमाणित जांच एलाइजा ही मानी जाती है. इस टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट सभी निजी व सरकारी संस्थानों को देने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि सभी सीएमओ को भी इसका सख्ती से अनुपालन करना होगा.

मरीज पर मंहगाई की मार
दरअसल कार्ड टेस्ट सस्ता होने के साथ-साथ इसकी विश्वसनीयता 90 फीसदी तक है और चंद घंटों में इसकी रिपोर्ट आ जाने से उचित समय पर मरीज का इलाज भी शुरू हो जाता था, लेकिन अब एलाइजा टेस्ट इससे करीब 3 गुना महंगा है. बता दें, जहां कार्ड टेस्ट 500 का होता था तो वहीं एलाइजा टेस्ट 1500 का होता है. इस टेस्ट के अनिवार्य होने के कारण जहां एक ओर मरीज पर महंगाई की मार भी पड़ेगी तो वहीं अब एलाइजा टेस्ट की अनिवार्यता से आंकड़ा थोड़ा कम जरूर होगा.

लखनऊ: कोरोना संक्रमित की संख्या पर लगाम लगने के बाद अब डेंगू मरीजों की संख्या राजधानी लखनऊ में तेजी से बढ़ रही है. डेंगू मरीजों की बढ़ती संख्या में विराम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू की जांच के लिए एलाइजा (एंजाइम लिंक्ड इम्युनो सोरवेंट एस्से) टेस्ट को अनिवार्य कर दिया गया है.

डेंगू संदिग्धों के लिए एलाइजा टेस्ट अनिवार्य
प्रदेश भर में डेंगू के बढ़ते मामले को देखते हुए स्वास्थ विभाग द्वारा डेंगू मरीज संदिग्धों के लिए एलाइजा (एंजाइम लिंक्ड इम्युनो सोरवेंट एस्से) टेस्ट को अनिवार्य किया गया है. साथ ही यह भी साफ किया गया है कि यदि एलाइजा टेस्ट में कोई मरीज डेंगू पॉजिटिव आता है तभी वह डेंगू पॉजिटिव माना जाएगा. इसके अलावा यदि कोई भी डेंगू संदिग्ध मरीज कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव आएगा तो वह मरीज डेंगू पॉजिटिव नहीं माना जाएगा. इसको लेकर के स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह आदेश जारी किया गया है. इस मामले में उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी से हमने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि डेंगू की प्रमाणित जांच एलाइजा ही मानी जाती है. इस टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट सभी निजी व सरकारी संस्थानों को देने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि सभी सीएमओ को भी इसका सख्ती से अनुपालन करना होगा.

मरीज पर मंहगाई की मार
दरअसल कार्ड टेस्ट सस्ता होने के साथ-साथ इसकी विश्वसनीयता 90 फीसदी तक है और चंद घंटों में इसकी रिपोर्ट आ जाने से उचित समय पर मरीज का इलाज भी शुरू हो जाता था, लेकिन अब एलाइजा टेस्ट इससे करीब 3 गुना महंगा है. बता दें, जहां कार्ड टेस्ट 500 का होता था तो वहीं एलाइजा टेस्ट 1500 का होता है. इस टेस्ट के अनिवार्य होने के कारण जहां एक ओर मरीज पर महंगाई की मार भी पड़ेगी तो वहीं अब एलाइजा टेस्ट की अनिवार्यता से आंकड़ा थोड़ा कम जरूर होगा.

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