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वार्ता के लिए बुलाकर खुद नहीं पहुंचे ऊर्जा मंत्री, कर्मचारी नेता बोले- मांगें नहीं मानी तो होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

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Published : Mar 19, 2023, 3:26 PM IST

वार्ता के लिए मंत्री के न पहुंचने पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि टोकन स्ट्राइक रविवार की रात 10 बजे तक है लेकिन अगर कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई हुई तो ये अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जाएगी.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल खत्म कराने के लिए रविवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित किया. वार्ता के लिए समिति के नेता जल निगम के फील्ड हॉस्टल पहुंचे भी, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी ऊर्जा मंत्री वार्ता के लिए आए ही नहीं. नेताओं को बिना वार्ता के ही लौटना पड़ गया.

वार्ता के लिए मंत्री के न पहुंचने पर संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि जब भी सरकार की तरफ से हमें वार्ता के लिए बुलाया जाएगा हम तैयार हैं. जहां तक बात हड़ताल की बात है तो हमारी टोकन स्ट्राइक रविवार रात 10 बजे तक जारी रहेगी. अगर कोई दमनात्मक कार्रवाई होती है तो ये टोकन हड़ताल अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जाएगी.

उत्तर प्रदेश में गुरुवार रात 10 बजे से बिजली कर्मचारियों की हड़ताल शुरू हुई है. रविवार रात 10 बजे हड़ताल के 72 घंटे पूरे होने हैं. हड़ताल खत्म कराने के लिए ऊर्जा मंत्री ने कई बार विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के अलावा हड़ताल में शामिल संगठनों के नेताओं से वार्ता की, लेकिन वार्ता हर बार बेनतीजा ही रही. रविवार को एक बार फिर ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के साथ अन्य नेताओं को जल निगम के फील्ड हॉस्टल में आमंत्रित किया. हड़ताल कर रहे नेता वार्ता के लिए पहुंचे थे लेकिन ऊर्जा मंत्री ही वादाखिलाफी कर गए.

मंत्री खुद वार्ता के लिए नहीं पहुंचे. जब दोनों पक्ष में वार्ता नहीं हुई तो समिति के संयोजक ने कहा कि जब भी वार्ता होगी तो हमारी प्रमुख मांग होगी कि जो भी संविदा कर्मी सेवा से बर्खास्त किए गए हैं उन्हें वापस सेवा में लेने की होगी. साथ ही जिन नेताओं और बिजली विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, उसको भी वापस लेने की मांग रखी जाएगी. जब तक मांगें पूरी नहीं होगी तब तक बात नहीं बनेगी.

उन्होंने कहा कि फिलहाल हमने जो 72 घंटे की टोकन हड़ताल शुरू की थी, वह रविवार रात 10 बजे खत्म होगी, लेकिन इससे पहले अगर किसी तरह की कोई और कार्रवाई प्रबंधन की तरफ से की जाती है तो फिर जेल भरो आंदोलन भी होगा और हड़ताल भी अनिश्चितकालीन शुरू हो जाएगी. हाईकोर्ट में 20 नेताओं को सोमवार को उपस्थित होने के लिए बुलाया गया है. इस पर शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हाईकोर्ट में हम जाकर अपना पक्ष रखेंगे.

प्रदेश भर में हाहाकार, बिजली संकट बरकरारः बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश भर में बिजली के लिए हाहाकार मचा हुआ है. ग्रामीण इलाकों में बिजली गुल हुई तो वापस आई ही नहीं. शहरी इलाकों में भी बिजली के लिए हाहाकार मचा रहा. अनुमान लगाया जा रहा है कि 3 दिन की इस हड़ताल से प्रदेश भर में लगभग 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस का तो यह हाल है कि यहां पर ज्यादातर होटल बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के चलते जनरेटर से ही चल रहे हैं. इलेक्ट्रिक बसें और ई-रिक्शा चार्ज नहीं हो पा रहे हैं, जिससे वह सड़क पर संचालित ही नहीं हो रहे हैं.

अब तक 3000 संविदा कर्मियों पर गिरी गाजः बिजली संगठनों की हड़ताल में शामिल अब तक 3000 संविदा कर्मचारियों पर गाज गिर चुकी है. उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है. आगे भी संविदा कर्मियों को नौकरी से बाहर करने की तैयारी हो रही है, जबकि बिजली संगठनों की मांग है कि अभी तक जो भी कर्मचारी बर्खास्त किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए.

ये भी पढ़ेंः हड़ताल कर रहे छह अधिकारी निलंबित, बिजली विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी नेताओं की संपत्ति की हो सकती है जांच!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल खत्म कराने के लिए रविवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित किया. वार्ता के लिए समिति के नेता जल निगम के फील्ड हॉस्टल पहुंचे भी, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी ऊर्जा मंत्री वार्ता के लिए आए ही नहीं. नेताओं को बिना वार्ता के ही लौटना पड़ गया.

वार्ता के लिए मंत्री के न पहुंचने पर संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि जब भी सरकार की तरफ से हमें वार्ता के लिए बुलाया जाएगा हम तैयार हैं. जहां तक बात हड़ताल की बात है तो हमारी टोकन स्ट्राइक रविवार रात 10 बजे तक जारी रहेगी. अगर कोई दमनात्मक कार्रवाई होती है तो ये टोकन हड़ताल अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जाएगी.

उत्तर प्रदेश में गुरुवार रात 10 बजे से बिजली कर्मचारियों की हड़ताल शुरू हुई है. रविवार रात 10 बजे हड़ताल के 72 घंटे पूरे होने हैं. हड़ताल खत्म कराने के लिए ऊर्जा मंत्री ने कई बार विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के अलावा हड़ताल में शामिल संगठनों के नेताओं से वार्ता की, लेकिन वार्ता हर बार बेनतीजा ही रही. रविवार को एक बार फिर ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के साथ अन्य नेताओं को जल निगम के फील्ड हॉस्टल में आमंत्रित किया. हड़ताल कर रहे नेता वार्ता के लिए पहुंचे थे लेकिन ऊर्जा मंत्री ही वादाखिलाफी कर गए.

मंत्री खुद वार्ता के लिए नहीं पहुंचे. जब दोनों पक्ष में वार्ता नहीं हुई तो समिति के संयोजक ने कहा कि जब भी वार्ता होगी तो हमारी प्रमुख मांग होगी कि जो भी संविदा कर्मी सेवा से बर्खास्त किए गए हैं उन्हें वापस सेवा में लेने की होगी. साथ ही जिन नेताओं और बिजली विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, उसको भी वापस लेने की मांग रखी जाएगी. जब तक मांगें पूरी नहीं होगी तब तक बात नहीं बनेगी.

उन्होंने कहा कि फिलहाल हमने जो 72 घंटे की टोकन हड़ताल शुरू की थी, वह रविवार रात 10 बजे खत्म होगी, लेकिन इससे पहले अगर किसी तरह की कोई और कार्रवाई प्रबंधन की तरफ से की जाती है तो फिर जेल भरो आंदोलन भी होगा और हड़ताल भी अनिश्चितकालीन शुरू हो जाएगी. हाईकोर्ट में 20 नेताओं को सोमवार को उपस्थित होने के लिए बुलाया गया है. इस पर शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हाईकोर्ट में हम जाकर अपना पक्ष रखेंगे.

प्रदेश भर में हाहाकार, बिजली संकट बरकरारः बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश भर में बिजली के लिए हाहाकार मचा हुआ है. ग्रामीण इलाकों में बिजली गुल हुई तो वापस आई ही नहीं. शहरी इलाकों में भी बिजली के लिए हाहाकार मचा रहा. अनुमान लगाया जा रहा है कि 3 दिन की इस हड़ताल से प्रदेश भर में लगभग 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस का तो यह हाल है कि यहां पर ज्यादातर होटल बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के चलते जनरेटर से ही चल रहे हैं. इलेक्ट्रिक बसें और ई-रिक्शा चार्ज नहीं हो पा रहे हैं, जिससे वह सड़क पर संचालित ही नहीं हो रहे हैं.

अब तक 3000 संविदा कर्मियों पर गिरी गाजः बिजली संगठनों की हड़ताल में शामिल अब तक 3000 संविदा कर्मचारियों पर गाज गिर चुकी है. उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है. आगे भी संविदा कर्मियों को नौकरी से बाहर करने की तैयारी हो रही है, जबकि बिजली संगठनों की मांग है कि अभी तक जो भी कर्मचारी बर्खास्त किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए.

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