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एक तरफ ऊर्जा मंत्री से 22 नेताओं की वार्ता, दूसरी तरफ इन पर दर्ज हो गई एफआईआर

प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को खत्म करने के लिए शनिवार को ऊर्जा मंत्री के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की वार्ता विफल रही. ऊर्जा मंत्री से वार्ता के दौरान ही आंदोलनकारी 22 नेताओं पर केस दर्ज कर लिया गया.

UP Energy Minister AK Sharma
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Published : Mar 19, 2023, 8:52 AM IST

लखनऊः प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से संकट गहराता ही जा रहा है. एक तरफ ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक सहित विभिन्न संगठनों के नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया. वहीं, दूसरी तरफ संयोजक शैलेंद्र दुबे सहित 22 नेताओं पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज होने की कार्रवाई शुरू हो गई. अभी वार्ता खत्म भी नहीं हुई कि हजरतगंज कोतवाली में हड़ताल करने वाले इन 22 नेताओं और अधिकारियों पर केस दर्ज हो गया. शनिवार को ऊर्जा मंत्री और नेताओं के बीच तकरीबन 3:30 घंटे तक वार्ता चली. लेकिन, इसका कोई हल नहीं निकल सका और वार्ता विफल हो गई.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे के बाद से 72 घंटों की हड़ताल पर हैं. ऐसे में पूरे प्रदेश में बिजली संकट गहरा गया. हड़ताल कर रहे कर्मचारी वापस काम पर लौट आएं, इसके लिए सरकार ने उनसे वार्ता भी की. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे सहित विभिन्न संगठनों के नेताओं के बीच 3 बार वार्ता हुई. लेकिन, इसका कोई हल नहीं निकल सका.

देर शाम ऊर्जा मंत्री के आवास पर संगठन के नेता अपनी मांगें मनवाने के लिए वार्ता कर रहे थे. उधर, हजरतगंज कोतवाली में इन्हीं 22 नेताओं पर मुकदमा दर्ज हो गया. इस बीच पुलिस उनकी तलाश में ऊर्जा मंत्री के आवास पर जा पहुंची. ऊर्जा मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शनिवार दोपहर में ही साफ कर दिया था कि 22 नेताओं पर एस्मा के तहत कार्रवाई की गई है.

बता दें कि बिजलीकर्मियों की हड़ताल से प्रदेश भर में बिजली आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है. राजधानी लखनऊ भी इससे अछूती नहीं रही. लखनऊ के तमाम इलाकों में सुबह से लेकर रात तक बिजली संकट रहा. इससे लोगों को पानी के लिए भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस दौरान जब शाम तक बिजली नहीं आई तो कानपुर रोड पर लोगों ने सड़क जाम कर दी. वहीं, दाउदनगर में आक्रोशित लोगों ने उपकेंद्र का घेराव कर लिया.

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि बिजली विभाग जब बिजली का बिल समय से लेता है तो व्यवस्था भी करनी चाहिए थी. अगर हड़ताल की जानकारी पहले से थी तो वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? कर्मचारियों और प्रबंधन की आपसी लड़ाई में जनता को पिसना पड़ रहा है. कई जगह बिजली गुल होने की जानकारी लखनऊ में ही सामने आई. वहीं, प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में 12 घंटे से लेकर 18 घंटे तक बिना बिजली के ही लोगों को गुजारना पड़ा. लखनऊ समेत प्रदेश भर में लाखों लोगों ने शनिवार को बिजली संकट झेला. बिजली गुल होने का व्यापारियों के साथ ही उद्योग धंधों पर भी बड़ा असर पड़ा है.

ये भी पढ़ेंः हड़ताल कर रहे छह अधिकारी निलंबित, बिजली विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी नेताओं की संपत्ति की हो सकती है जांच!

लखनऊः प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से संकट गहराता ही जा रहा है. एक तरफ ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक सहित विभिन्न संगठनों के नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया. वहीं, दूसरी तरफ संयोजक शैलेंद्र दुबे सहित 22 नेताओं पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज होने की कार्रवाई शुरू हो गई. अभी वार्ता खत्म भी नहीं हुई कि हजरतगंज कोतवाली में हड़ताल करने वाले इन 22 नेताओं और अधिकारियों पर केस दर्ज हो गया. शनिवार को ऊर्जा मंत्री और नेताओं के बीच तकरीबन 3:30 घंटे तक वार्ता चली. लेकिन, इसका कोई हल नहीं निकल सका और वार्ता विफल हो गई.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे के बाद से 72 घंटों की हड़ताल पर हैं. ऐसे में पूरे प्रदेश में बिजली संकट गहरा गया. हड़ताल कर रहे कर्मचारी वापस काम पर लौट आएं, इसके लिए सरकार ने उनसे वार्ता भी की. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे सहित विभिन्न संगठनों के नेताओं के बीच 3 बार वार्ता हुई. लेकिन, इसका कोई हल नहीं निकल सका.

देर शाम ऊर्जा मंत्री के आवास पर संगठन के नेता अपनी मांगें मनवाने के लिए वार्ता कर रहे थे. उधर, हजरतगंज कोतवाली में इन्हीं 22 नेताओं पर मुकदमा दर्ज हो गया. इस बीच पुलिस उनकी तलाश में ऊर्जा मंत्री के आवास पर जा पहुंची. ऊर्जा मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शनिवार दोपहर में ही साफ कर दिया था कि 22 नेताओं पर एस्मा के तहत कार्रवाई की गई है.

बता दें कि बिजलीकर्मियों की हड़ताल से प्रदेश भर में बिजली आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है. राजधानी लखनऊ भी इससे अछूती नहीं रही. लखनऊ के तमाम इलाकों में सुबह से लेकर रात तक बिजली संकट रहा. इससे लोगों को पानी के लिए भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस दौरान जब शाम तक बिजली नहीं आई तो कानपुर रोड पर लोगों ने सड़क जाम कर दी. वहीं, दाउदनगर में आक्रोशित लोगों ने उपकेंद्र का घेराव कर लिया.

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि बिजली विभाग जब बिजली का बिल समय से लेता है तो व्यवस्था भी करनी चाहिए थी. अगर हड़ताल की जानकारी पहले से थी तो वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? कर्मचारियों और प्रबंधन की आपसी लड़ाई में जनता को पिसना पड़ रहा है. कई जगह बिजली गुल होने की जानकारी लखनऊ में ही सामने आई. वहीं, प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में 12 घंटे से लेकर 18 घंटे तक बिना बिजली के ही लोगों को गुजारना पड़ा. लखनऊ समेत प्रदेश भर में लाखों लोगों ने शनिवार को बिजली संकट झेला. बिजली गुल होने का व्यापारियों के साथ ही उद्योग धंधों पर भी बड़ा असर पड़ा है.

ये भी पढ़ेंः हड़ताल कर रहे छह अधिकारी निलंबित, बिजली विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी नेताओं की संपत्ति की हो सकती है जांच!

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