लखनऊ : चार साल पहले वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए बिजली विभाग ने मुआवजा कानून बनाया था, लेकिन आज तक बिजली कंपनियों ने यह मुआवजा कानून लागू ही नहीं किया. जिससे उपभोक्ताओं को मुआवजा का लाभ मिल ही नहीं पा रहा है. उपभोक्ता दिवस पर उपभोक्ताओं के हित में मुआवजा कानून लागू कराने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया. आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह के निर्देश पर आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने पाॅवर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज को पत्र लिखकर 2003 के प्रावधानों के तहत बनाए गए मुआवजा कानून को प्रदेश में न लागू करने को बहुत ही गंभीर मामला बताया. पाॅवर काॅरपोरेशन तत्काल विद्युत अधिनियम 2003 प्रावधाननुसार बनाए गए स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन 2019 के तहत मुआवजा कानून को प्रदेश में लागू कराए. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पूरी व्यवस्था ऑनलाइन हो जिससे पारदर्शिता बनी रहे.
उपभोक्ता समस्या | मामले में मुआवजा | |
अण्डरग्राउन्ड केबिल ब्रकडाउन सब-स्टेशन का निर्माण बाधित होने की स्थिति में वोल्टेज विचलन नया कनेक्शन वितरण मेन्स उपलब्धता पर मीटर रीडिंग के मामले डिफेक्टिव मीटर / सामान्य फ्यूज आफ बिलिंग शिकायत/भार में कमी/आधिक्य श्रेणी परिवर्तन ट्रांसफार्मर फेल ग्रामीण अस्थायी कनेक्शन का निर्गमन सबस्टेशन की स्थापना काल सेन्टर द्वारा रिस्पान्स न दिया जाना फर्जी अवशेषों को आगे ले जाना नया कनेक्शन/अतिरिक्त भार ओवरहेड लाइन/केबिल ब्रेकडाउन | 100 प्रतिदिन 250 प्रतिदिन 50 प्रतिदिन 200 प्रतिदिन 50 प्रतिदिन 50 प्रतिदिन 50 प्रतिदिन 150 प्रतिदिन 100 प्रतिदिन 500 प्रतिदिन 50 प्रतिदिन 50 प्रतिदिन 100 प्रतिचक्र 250 प्रतिदिन 100 प्रतिदिन |
नियामक आयोग की तरफ से भेजे गए पत्र में बिजली कंपनियों पर कड़ा एतराज जताते हुए यह निर्देश दिए गए हैं कि संवैधानिक परिपाटी के तहत प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को मुआवजा मिलने का पूरा अधिकार है. उसमें विलंब किया जाना रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के खिलाफ है. जिसे विद्युत नियामक आयोग ने बहुत ही गंभीरता से लिया है. आयोग ने बिजली कंपनियों को मुआवजा कानून के मामले में प्रत्येक तिमाही पूरी रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश जारी किया है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत वितरण संहिता में दिए गए प्रावधान के अनुसार उपभोक्ताओं की प्रत्येक समस्या का तय समय में निपटारा किया जाना होता है. यदि तय समय में निपटारा नहीं किया जाएगा तो प्रदेश की बिजली कंपनियों को कानूनन उपभोक्ताओं को ऑनलाइन उनके विद्युत बिल में मुआवजा देना होगा. जिसके लिए आज विद्युत नियामक आयोग ने जो आदेश पाॅवर काॅरपोरेशन के चेयरमैन को भेजा है. उससे निश्चित ही आने वाले समय में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को मुआवजा मिलना शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं जैसे ब्रेक डाउन, केबिल फाल्ट, ट्रांसफार्मर, नया कनेक्शन, मीटर रीडिंग, लोड घटना बढ़ाना व अन्य मामले जिनके लिए नए कानून में एक नियत समय तय है.
उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिल जाएगा. आयोग की तरफ से जारी कानून में उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमाण्ड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर जैसे एक किलोवाट का उपभोक्ता अगर महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ तो उसे अधिकतम एक वित्तीय वर्ष में 360 रुपये का मुआवजा मिलेगा.
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