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डीजल, पेट्रोल वाहनों को तगड़ा झटका देंगे इलेक्ट्रिक वाहन, इस सेक्टर को होगा बड़ा नुकसान - Electric vehicle policy will be implemented in UP

महंगाई के दौर में वाहनों का खर्च बढ़ता जा रहा है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन कुछ राहत की उम्मीद लेकर आए हैं. यूपी में जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी लागू होगी. इस पाॅलिसी के तहत लोगों को सीधी छूट मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के रखरखाव का खर्च भी कम होने की बात कही जा रही है.

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Published : Jan 5, 2023, 11:19 AM IST

Updated : Jan 5, 2023, 6:13 PM IST

देखें पूरी खबर.

लखनऊ : आने वाले दिनों में ऑटोमोबाइल सेक्टर (automobile sector) को डीजल और पेट्रोल वाहनों से बड़ा झटका लगेगा. जिस रफ्तार से इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ोतरी होगी, डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन कम होते जाएंगे. इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विस पर काफी कम खर्च होगा. जिससे वाहन स्वामी की पॉकेट पर काफी कम बोझ पड़ेगा. ऑटोमोबाइल्स सेक्टर के जानकारों की मानें तो पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों में कुल पांच हजार पुर्जे (auto parts) सर्विस के लिए होते हैं. वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) में काफी कम पुर्जों की सर्विसिंग की आवश्यकता पड़ती है. इलेक्ट्रिक वाहनों (convenience of electric vehicles) में सिर्फ टायर, स्टीयरिंग ऑयल और एयर फिल्टर की मुख्य रूप से सर्विस की आवश्यकता पड़ती है. जबकि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों में हर पुर्जे की सर्विस की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में वाहनों की सर्विस के लिए जो सेंटर बनाए गए हैं उन पर काफी प्रभाव पड़ेगा.

इलेक्ट्रिक वाहन (craze of electric vehicles) धीरे-धीरे लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे हैं. डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की तुलना में लोग दोपहिया, तीन पहिया और चार पहिया के रूप में इलेक्ट्रिक वाहन (benefits of electric vehicles) खरीदना पसंद करने लगे हैं. हालांकि अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत (price of electric vehicles) ज्यादा है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, लेकिन जल्द ही इलेक्ट्रिक पालिसी लागू होने पर इन वाहनों पर भारी छूट मिलने की उम्मीद है. इससे आने वाले दिनों में सड़क पर डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों की बड़ी संख्या में नजर आएंगी.

इलेक्ट्रिक वाहन (craze for electric vehicles) डीजल और पेट्रोल संचालित वाहनों की तुलना में लोगों की जेब पर काफी कम भार डालेंगे. अगर इलेक्ट्रिक वाहनों से डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना करें तो इनकी सर्विसिंग में वाहन स्वामी को अपनी जेब ज्यादा ढीली करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऑटो सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जहां डीजल और पेट्रोल के चार पहिया वाहनों की सर्विसिंग में वाहन स्वामी की 5000 से लेकर ₹6000 तक खर्च है. वहीं इलेक्ट्रिक वाहन सर्विसिंग के लिए सिर्फ दो हजार रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये तक का ही खर्च आता है. ऐसे में सीधे तौर पर वाहन स्वामी हर सर्विस पर ढाई हजार से तीन हजार रुपये की बचत कर सकेगा.

ऑटो सेक्टर के एक्सपर्ट्स (auto sector expert) बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में जैसे ही इलेक्ट्रिक पॉलिसी (Electric vehicle policy will be implemented in UP) लागू होगी, तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद शुरू हो जाएगी. इन वाहनों पर सरकार की तरफ से काफी छूट भी मिलेगी. लिहाजा, वर्तमान की तुलना में छह माह में ही सड़कों पर बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन ही दौड़ते नजर आएंगे. इलेक्ट्रिक वाहनों की बात करें तो अब हर तरह के वाहन मार्केट में मौजूद हैं. इनमें दोपहिया इलेक्ट्रिक स्कूटी और बाइक, तीन पहिया ई ऑटो, ई-रिक्शा और चार पहिया में विभिन्न कंपनियों की कारें उपलब्ध हैं. इसके अलावा अब पुणे में एक इलेक्ट्रिक कंपनी इलेक्ट्रिक ट्रक भी तैयार कर चुकी है. ऐसे में जल्द ही सड़कों पर इलेक्ट्रिक ट्रक भी चलते हुए नजर आएंगे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ लोगों का कितना आकर्षण है. इसके अलावा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर कितना जोर दे रही है.


ऑटो सेक्टर के एक्सपर्ट अमित कुमार (Auto sector expert Amit Kumar) का कहना है कि निश्चित तौर पर मार्केट का भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों में ही है. इससे वाहन स्वामी की जेब पर काफी कम (savings from electric vehicles) भार पड़ेगा तो पर्यावरण के लिए भी इलेक्ट्रिक वाहन काफी बेहतर हैं. जिस तरह से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इलेक्ट्रिक पॉलिसी (Electric vehicles policy in UP) लागू करने वाली है तो इसका असर आने वाले दिनों में मार्केट पर जरूर दिखेगा. जैसे ही यह पॉलिसी लागू होगी छह महीने के अंदर इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में तेजी से उछाल आएगा. जहां तक बात इलेक्ट्रिक वाहनों और डीजल पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की सर्विसिंग के खर्च की करें तो इलेक्ट्रिक वाहनों पर सर्विसिंग के रूप में वाहन स्वामी को पेट्रोल और डीजल वाहन की तुलना में आधे से भी कम खर्च करना पड़ेगा. जहां डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों की सर्विसिंग पर हर माह कम से कम ₹5000 से लेकर ₹6000 तक खर्च होते हैं. वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विसिंग पर यह खर्च सिर्फ दो हजार से 3000 के बीच ही आता है.

डीजल और पेट्रोल वाहनों के सर्विस सेंटर संचालक बबलू (Service Center Director Bablu) का मानना है कि भले ही इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विस पर शुरुआत में न के बराबर खर्च होता हो, लेकिन 30,000 किलोमीटर तक चलने के बाद जब इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विस होगी तो डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना में वाहन स्वामियों को कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. वजह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी (electric vehicle batteries) काफी महंगी है. साथ ही इन वाहनों में भी सर्विस की गुंजाइश होती है. हालांकि यह जरूर है कि डीजल और पेट्रोल के वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों में सर्विस के लिए उपकरण कम होते हैं. सर्विस सेंटर बंद नहीं होंगे, क्योंकि पेट्रोल वाहन इलेक्ट्रिक वाहन की संख्या बढ़ने के बाद भी बिकते रहेंगे और चलते रहेंगे.

यह भी पढ़ें : सीबीआई ने अभी तक अपने हाथ में नहीं लिया विनय पाठक का केस, एसटीएफ ने शासन को सौंपी रिपोर्ट

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लखनऊ : आने वाले दिनों में ऑटोमोबाइल सेक्टर (automobile sector) को डीजल और पेट्रोल वाहनों से बड़ा झटका लगेगा. जिस रफ्तार से इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ोतरी होगी, डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन कम होते जाएंगे. इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विस पर काफी कम खर्च होगा. जिससे वाहन स्वामी की पॉकेट पर काफी कम बोझ पड़ेगा. ऑटोमोबाइल्स सेक्टर के जानकारों की मानें तो पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों में कुल पांच हजार पुर्जे (auto parts) सर्विस के लिए होते हैं. वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) में काफी कम पुर्जों की सर्विसिंग की आवश्यकता पड़ती है. इलेक्ट्रिक वाहनों (convenience of electric vehicles) में सिर्फ टायर, स्टीयरिंग ऑयल और एयर फिल्टर की मुख्य रूप से सर्विस की आवश्यकता पड़ती है. जबकि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों में हर पुर्जे की सर्विस की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में वाहनों की सर्विस के लिए जो सेंटर बनाए गए हैं उन पर काफी प्रभाव पड़ेगा.

इलेक्ट्रिक वाहन (craze of electric vehicles) धीरे-धीरे लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे हैं. डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की तुलना में लोग दोपहिया, तीन पहिया और चार पहिया के रूप में इलेक्ट्रिक वाहन (benefits of electric vehicles) खरीदना पसंद करने लगे हैं. हालांकि अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत (price of electric vehicles) ज्यादा है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, लेकिन जल्द ही इलेक्ट्रिक पालिसी लागू होने पर इन वाहनों पर भारी छूट मिलने की उम्मीद है. इससे आने वाले दिनों में सड़क पर डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों की बड़ी संख्या में नजर आएंगी.

इलेक्ट्रिक वाहन (craze for electric vehicles) डीजल और पेट्रोल संचालित वाहनों की तुलना में लोगों की जेब पर काफी कम भार डालेंगे. अगर इलेक्ट्रिक वाहनों से डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना करें तो इनकी सर्विसिंग में वाहन स्वामी को अपनी जेब ज्यादा ढीली करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऑटो सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जहां डीजल और पेट्रोल के चार पहिया वाहनों की सर्विसिंग में वाहन स्वामी की 5000 से लेकर ₹6000 तक खर्च है. वहीं इलेक्ट्रिक वाहन सर्विसिंग के लिए सिर्फ दो हजार रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये तक का ही खर्च आता है. ऐसे में सीधे तौर पर वाहन स्वामी हर सर्विस पर ढाई हजार से तीन हजार रुपये की बचत कर सकेगा.

ऑटो सेक्टर के एक्सपर्ट्स (auto sector expert) बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में जैसे ही इलेक्ट्रिक पॉलिसी (Electric vehicle policy will be implemented in UP) लागू होगी, तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद शुरू हो जाएगी. इन वाहनों पर सरकार की तरफ से काफी छूट भी मिलेगी. लिहाजा, वर्तमान की तुलना में छह माह में ही सड़कों पर बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन ही दौड़ते नजर आएंगे. इलेक्ट्रिक वाहनों की बात करें तो अब हर तरह के वाहन मार्केट में मौजूद हैं. इनमें दोपहिया इलेक्ट्रिक स्कूटी और बाइक, तीन पहिया ई ऑटो, ई-रिक्शा और चार पहिया में विभिन्न कंपनियों की कारें उपलब्ध हैं. इसके अलावा अब पुणे में एक इलेक्ट्रिक कंपनी इलेक्ट्रिक ट्रक भी तैयार कर चुकी है. ऐसे में जल्द ही सड़कों पर इलेक्ट्रिक ट्रक भी चलते हुए नजर आएंगे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ लोगों का कितना आकर्षण है. इसके अलावा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर कितना जोर दे रही है.


ऑटो सेक्टर के एक्सपर्ट अमित कुमार (Auto sector expert Amit Kumar) का कहना है कि निश्चित तौर पर मार्केट का भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों में ही है. इससे वाहन स्वामी की जेब पर काफी कम (savings from electric vehicles) भार पड़ेगा तो पर्यावरण के लिए भी इलेक्ट्रिक वाहन काफी बेहतर हैं. जिस तरह से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इलेक्ट्रिक पॉलिसी (Electric vehicles policy in UP) लागू करने वाली है तो इसका असर आने वाले दिनों में मार्केट पर जरूर दिखेगा. जैसे ही यह पॉलिसी लागू होगी छह महीने के अंदर इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में तेजी से उछाल आएगा. जहां तक बात इलेक्ट्रिक वाहनों और डीजल पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की सर्विसिंग के खर्च की करें तो इलेक्ट्रिक वाहनों पर सर्विसिंग के रूप में वाहन स्वामी को पेट्रोल और डीजल वाहन की तुलना में आधे से भी कम खर्च करना पड़ेगा. जहां डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों की सर्विसिंग पर हर माह कम से कम ₹5000 से लेकर ₹6000 तक खर्च होते हैं. वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विसिंग पर यह खर्च सिर्फ दो हजार से 3000 के बीच ही आता है.

डीजल और पेट्रोल वाहनों के सर्विस सेंटर संचालक बबलू (Service Center Director Bablu) का मानना है कि भले ही इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विस पर शुरुआत में न के बराबर खर्च होता हो, लेकिन 30,000 किलोमीटर तक चलने के बाद जब इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विस होगी तो डीजल और पेट्रोल वाहनों की तुलना में वाहन स्वामियों को कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. वजह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी (electric vehicle batteries) काफी महंगी है. साथ ही इन वाहनों में भी सर्विस की गुंजाइश होती है. हालांकि यह जरूर है कि डीजल और पेट्रोल के वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों में सर्विस के लिए उपकरण कम होते हैं. सर्विस सेंटर बंद नहीं होंगे, क्योंकि पेट्रोल वाहन इलेक्ट्रिक वाहन की संख्या बढ़ने के बाद भी बिकते रहेंगे और चलते रहेंगे.

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Last Updated : Jan 5, 2023, 6:13 PM IST
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