लखनऊ: लॉकडाउन की वजह से आम जनजीवन पूरी तरह से ठप हो गया है. गरीब व्यक्तियों तक सरकार व प्रशासन जरूरी सामान मुहैया कराने के दावे भी कर रहा है. ऐसे में सांप-बिच्छू के खेल दिखाने वाले सपेरों की जिंदगी पर लॉकडाउन का बुरा असर पड़ा है.
सपेरों की जिंदगी हुई ठप
पूरे देश में 21 दिनों का लॉक डाउन है, जो शायद आगे बढ़ भी सकता है. ऐसे में सरकार और प्रशासन लगातार कोशिशों में जुटी हुई है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए. लॉकडाउन ने बड़े व्यापारियों से लेकर आम जनता की जिंदगी के दैनिक कार्यों को ठप कर दिया है. ऐसे में सांप-बिच्छुओं के खेलों को जगह-जगह दिखाकर अपने परिवार का पेट पालने वाले सपेरों की जिंदगी लॉकडाउन में कैसे कट रही है यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम, राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर तहसील के अंतर्गत आने वाले सौसीरन खेड़ा गांव पहुंची. इस गांव में लगभग 60 से ज्यादा सपेरों के परिवार रहते हैं. इस गांव को बंगालियों का गांव भी कहते हैं.
सपेरों ने बयां किया दर्द
ईटीवी भारत से बात करते हुए सपेरों ने बताया कि लॉकडाउन में उनकी दैनिक आमदनी पूरी तरह से ठप हो गई है, जिससे उन्हें जिंदगी गुजर-बसर करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अगर सुबह खाना मिल जाए तो शाम के खाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. वह एक टाइम खाकर काम चला रहे हैं.
सपेरों ने बताया कि पहले जब वह बाहर अपने खेल दिखाने जाते थे तो उन्हें पैसों के साथ-साथ कुछ अनाज भी मिल जाता था, जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे, लेकिन लॉक डाउन के बाद ना उन्हें पेट भर भोजन मिल पा रहा है और ना ही अन्य दैनिक कार्य सही से हो पा रहे हैं.
बहुत से सपेरों ने खाना ना उपलब्ध होने के कारण अपने सांप-बिच्छुओं को जंगलों में छोड़ दिया है. जब ईटीवी भारत ने उनसे पूछा ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा कि जब वह अपने परिवार का पेट नहीं पाल पा रहे हैं, तो इन जानवरों को कैसे पालेंगे, इसलिए उन्होंने सांपो को जंगलों में छोड़ दिया.