लखनऊः धर्मांतरण के लिए इस्लामिक दावा सेंटर को विदेशों से फंडिंग हो रही थी. ATS के द्वारा सौंपे गए दस्तावेज के आधार पर खातों की जांच के लिए शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने केस दर्ज कर लिया. UP ATS की तरफ से भेजे गए दस्तावेज की जांच पड़ताल के बाद ED ने केस दर्ज किया है.
इस केस की जांच ED की ATS शाखा करेगी. प्रवर्तन निदेशालय की ATS शाखा की जॉइंट डायरेक्टर सोनिया नारंग ने बताया कि केस फाइल करके जांच शुरू कर दी गई है. मामले से जुड़े और दस्तावेज UPATS से मांगे गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि जिन खातों की जानकारी मिली थी. उससे जुड़े साक्ष्य ED को भेजे गए थे. गिरफ्तार मौलानाओं को रिमांड पर लेकर पूछताछ चल रही है. जल्द ही ED भी इनसे पूछताछ करेगी.
ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि बीते 21 जून को यूपी एटीएस ने उमर गौतम और जहांगीर को गिरफ्तार किया था. ATS को दोनों आरोपियों की सात दिन की रिमांड भी मिल गई है. इन दोनों ने अब तक गरीब महिलाओं के साथ मूक-मधिर गरीब बच्चों और अपाहिजों को मिलाकर 1000 से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण कराया है. एटीएस के मुताबिक, उमर और जहांगीर न सिर्फ लालच, बल्कि डरा-धमका कर भी धर्म परिवर्तित करवाते थे. टीम दोनों से पूछताछ कर रही है. रोजाना नए नए खुलासे हो रहे हैं.
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एटीएस की जांच में खुलासा हुआ था कि इस्लामिक दावा सेंटर को एक विदेशी खाते से फंडिंग होती थी. साथ ही धर्मान्तरण के मामले में गिरफ्तार मौलाना उमर गौतम और काजी जहांगीर से मिली जानकारी के आधार पर सहारनपुर के प्रवीण कुमार के घर पहुंची तो पता चला कि उनका धर्म परिवर्तन हुआ ही नहीं है. प्रवीण ने बताया कि उनसे कभी किसी ने इस मामले में संपर्क तक नहीं किया. इसके बाद शक गहराया और मौलानाओं से मिली सूची की फिर से पड़ताल की गई तो बड़ी जालसाजी सामने आई थी.
जालसाजी कर ऐंठ रहे थे मोटी रकम
ATS ने छानबीन की तो पता चला कि धर्मांतरित व्यक्तियों की एक हजार की सूची में 40 फीसदी फर्जी हैं. एक ही व्यकि के दो से तीन सर्टिफिकेट बनाकर संख्या बढ़ाई गई थी. यही सर्टिफिकेट दिखाकर इस्लामिक दावा सेंटर ISI सहित अपने विदेशी रहनुमाओं से जालसाजी करके मोटा फंड ले रहा था. इसी छानबीन में ATS को खाड़ी देश के एक खाते की जानकारी मिली, जिससे इस्लामिक दावा सेंटर को कई बार मे बड़ी रकम भेजी गई थी.
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IDC इस तरह कर रहा था जालसाजी
इस्लामिक दावा सेंटर से मिली सूची में दिल्ली के अली रोड निवासी देवर्षि ठाकुर का धर्म परिवर्तित करवाकर दानिश खान बना दिया गया. इन्हें सर्टिफिकेट नम्बर 1102 जारी किया गया. इसके बाद 1103 नम्बर सर्टिफिकेट भी इसी देवर्षि ठाकुर को जारी किया गया. 1102 नम्बर सर्टिफिकेट में उन्हें नौकरीपेशा दर्शाया गया था, जबकि 1103 नम्बर सर्टिफिकेट में ट्रावेल्स कारोबारी बताया गया. इसी तरह सूची में शामिल 40 फीसदी सर्टिफिकेट में खेल करके IDC ने विदेशी संगठनों से फंड जुटाए थे.