लखनऊः केंद्र सरकार एक फरवरी को बजट पेश करने जा रही है. बजट को लेकर राजधानी लखनऊ के अर्थशास्त्र विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी. अर्थशास्त्र विशेषज्ञों को आने वाले बजट से काफी कुछ आपेक्षाएं हैं. जिनसे लोगों को राहत मिल सकती हैं.
बजट पर अर्थशास्त्रियों की राय
अर्थशास्त्र विशेषज्ञ मनोज अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार के बजट से काफी अपेक्षाएं हैं. कोरोना के दौरान एक नई आर्थिक रणनीति आत्मनिर्भर भारत की तैयार की गई है. उसके लिए बहुत विस्तृत स्तर पर वित्त मंत्री सीतारमण ने अपना कार्यक्रम रखा था. उसी को आगे बढ़ाना चाहिए.
इन सेक्टर्स पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
अर्थशास्त्र विशेषज्ञ मनोज अग्रवाल ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर में विशेष रुप से ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान रहेगा. उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण और मानव विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए. ये ग्रोथ के विशेष मार्ग हैं.
'टैक्स में नहीं होगी बढ़ोतरी'
मनोज अग्रवाल ने कहा कि कि जहां तक मेरा मानना है कि टैक्स में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. उन्होंने बताया कि वैसे भी जीएसटी बजट में शामिल नहीं है, जीएसटी के निर्धारण के लिए उसकी काउंसिल अलग होती है.
आत्मनिर्भर भारत पर विशेष जोर
मनोज अग्रवाल ने कहा कि कहीं न कहीं सरकार आय में थोड़ी राहत दे सकती है. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि मान्य बढ़ाने की ओर प्रयास होगा. उन्होंने कहा कि सरकार का आत्मनिर्भर पर विशेष जोर होगा. पहले के बजट की अपेक्षा यह बहुत अलग तरह से बजट हो सकता है.
आम जनता को मिल सकती है राहत
विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक कैथल का कहना है कि इस बजट से सभी को बहुत आपेक्षाएं हैं. मुझे लगता है कि इस बजट से आम जनता को काफी राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र का हो या ग्रामीण सबको ध्यान में रखते हुए ये बजट आने की संभावना है. उन्होंने बताया कि हमारे हिसाब से रोजगार और सरकार के द्वारा जो 80c का प्रावधान है, उसमें छूट दी जानी चाहिए. 80d जिससे होम बॉयर्स रियल स्टेट को बूस्ट किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि टैक्स में 5 लाख तक की छूट दे देनी चाहिए. जिससे लोग आसानी से उसे व्यय कर सकें और अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से आगे बढ़ा सकें. उन्होंने बताया कि सरकार को आधार संरचना पर फोकस करने की ज्यादा जरूरत है. शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था को विस्तारित किया जाना चाहिए. इसके अलावा स्वास्थ्य व्यवस्था पर जोर देने की आवश्यकता है.