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ई स्टाम्प व्यवस्था से पांच हजार करोड़ के पुराने स्टाम्प पेपर बेकार, सरकार करेगी यह काम

यूपी में आननफानन लाई गई ई स्टाम्प व्यवस्था से पांच हजार करोड़ के पुराने स्टाम्प पेपर रद्दी हो रहे हैं. फिलहाल सरकार को पास इन स्टांप के इस्तेमाल की कोई योजना नहीं है. हालांकि स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का कहना है कि जल्द ही इसके लिए कोई कदम उठाया जाएगा.

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Published : May 1, 2023, 1:53 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में राज्य सरकार ने जमीन की खरीद फरोख्त में ई स्टाम्प व्यवस्था लागू कर दी है. इससे लोगों को काफी सहूलियत भी मिली है, लेकिन बिना सोचे समझे और व्यापक रणनीति बनाए बगैर ई स्टाम्प लागू करने के चक्कर मे करीब पांच हजार करोड़ से अधिक कीमत के पुराने स्टाम्प पेपर बेकार हो गए हैं. इससे सरकार को बड़ा राजस्व नुकसान भी हुआ है. पूराने स्टाम्प का अब क्या होगा इसको लेकर संशय बना हुआ है.


दरअसल प्रदेश में पिछले साल राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक के माध्यम से स्टांप की व्यवस्था सुनिश्चित करने को मंजूरी दी थी. इसके बाद से उत्तर प्रदेश के रजिस्ट्री कार्यालयों और कोषागार ओं में भौतिक स्टांप करीब 5000 करोड़ रुपये से अधिक कीमत के डंप पड़े हुए हैं. इनमें ₹5000 से अधिक के स्टांप पेपर हैं जो तमाम रजिस्ट्री कार्यालयों के साथ-साथ कोषागार में पड़े हुए हैं. ई-स्टांप व्यवस्था लागू होने के बाद से प्रिंट करके भौतिक स्टांप का उपयोग नहीं हो पा रहा है. इन के उपयोग से पहले राज्य सरकार के स्तर पर कैबिनेट से मंजूरी प्रदान की जाएगी.


विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द ही अनुमति नहीं मिली तो यह छत पर पड़े स्टांप पूरी तरह से बेकार हो जाएंगे और सरकार को बड़ा राजस्व का नुकसान होगा. इसके साथ ही स्टांप खराब होने के बाद विभागीय स्तर पर भी किसी ना किसी की जिम्मेदारी तय होगी जो ठीक नहीं रहेगा. अधिकारियों का कहना है कि इस विषय में शासन के उच्चाधिकारियों को भी जानकारी दी गई है कि ई स्टाम्प की व्यवस्था जब से शुरू की गई है तब से पुराने स्टांप का उपयोग नहीं हो पा रहा है और इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है. समस्या यह है कि अगर यह स्टांप पूरी तरह से बेकार हो जाएंगे तो सरकार को न सिर्फ राजस्व नुकसान होगा, बल्कि अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय की जाएगी कि आखिर इस विषय पर शासन को अवगत क्यों नहीं कराया गया. शासन को बार-बार अवगत कराए जाने के बावजूद भी पुराने छपे पड़े स्टांप के बारे में कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सका है. जिससे अधिकारियों का परेशान होना भी स्वाभाविक है.


स्टांप एवं पंजीयन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इस विषय में शासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जल्द ही अगर इस बारे में निर्णय नहीं लिया जाएगा. तो यह 5000 करोड़ रुपये से अधिक के स्टांप पेपर तमाम जगहों पर बेकार पड़े हुए हैं. इनके बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी तो यह कूड़े की तरह हो जाएंगे और इससे सरकार को राजस्व होने के साथ-साथ अधिकारियों के खिलाफ भी जिम्मेदारी तय की जाएगी. इसका डर सभी अधिकारियों को बना हुआ है. शासन के एक अधिकारी ने कहा कि हम इसको लेकर उच्च स्तर पर बातचीत कर रहे हैं. जल्दी ही कोई निर्णय लिया जाएगा. ईटीवी भारत ने इस विषय पर प्रदेश सरकार के स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि इस विषय की जानकारी मिली है. उच्च स्तर पर बातचीत करके पुराने भौतिक स्टांप के उपयोग किए जाने के बारे में फैसला किया जाएगा. सरकार को किसी भी प्रकार का राजस्व नुकसान नहीं होने दिया जाएगा.


यह भी पढ़ें : Weather in UP : बारिश और तेज हवा से गिरा पारा, पांच दिनों तक कूल रहेगा मौसम का मिजाज

लखनऊ : प्रदेश में राज्य सरकार ने जमीन की खरीद फरोख्त में ई स्टाम्प व्यवस्था लागू कर दी है. इससे लोगों को काफी सहूलियत भी मिली है, लेकिन बिना सोचे समझे और व्यापक रणनीति बनाए बगैर ई स्टाम्प लागू करने के चक्कर मे करीब पांच हजार करोड़ से अधिक कीमत के पुराने स्टाम्प पेपर बेकार हो गए हैं. इससे सरकार को बड़ा राजस्व नुकसान भी हुआ है. पूराने स्टाम्प का अब क्या होगा इसको लेकर संशय बना हुआ है.


दरअसल प्रदेश में पिछले साल राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक के माध्यम से स्टांप की व्यवस्था सुनिश्चित करने को मंजूरी दी थी. इसके बाद से उत्तर प्रदेश के रजिस्ट्री कार्यालयों और कोषागार ओं में भौतिक स्टांप करीब 5000 करोड़ रुपये से अधिक कीमत के डंप पड़े हुए हैं. इनमें ₹5000 से अधिक के स्टांप पेपर हैं जो तमाम रजिस्ट्री कार्यालयों के साथ-साथ कोषागार में पड़े हुए हैं. ई-स्टांप व्यवस्था लागू होने के बाद से प्रिंट करके भौतिक स्टांप का उपयोग नहीं हो पा रहा है. इन के उपयोग से पहले राज्य सरकार के स्तर पर कैबिनेट से मंजूरी प्रदान की जाएगी.


विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अगर जल्द ही अनुमति नहीं मिली तो यह छत पर पड़े स्टांप पूरी तरह से बेकार हो जाएंगे और सरकार को बड़ा राजस्व का नुकसान होगा. इसके साथ ही स्टांप खराब होने के बाद विभागीय स्तर पर भी किसी ना किसी की जिम्मेदारी तय होगी जो ठीक नहीं रहेगा. अधिकारियों का कहना है कि इस विषय में शासन के उच्चाधिकारियों को भी जानकारी दी गई है कि ई स्टाम्प की व्यवस्था जब से शुरू की गई है तब से पुराने स्टांप का उपयोग नहीं हो पा रहा है और इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है. समस्या यह है कि अगर यह स्टांप पूरी तरह से बेकार हो जाएंगे तो सरकार को न सिर्फ राजस्व नुकसान होगा, बल्कि अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय की जाएगी कि आखिर इस विषय पर शासन को अवगत क्यों नहीं कराया गया. शासन को बार-बार अवगत कराए जाने के बावजूद भी पुराने छपे पड़े स्टांप के बारे में कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सका है. जिससे अधिकारियों का परेशान होना भी स्वाभाविक है.


स्टांप एवं पंजीयन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इस विषय में शासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जल्द ही अगर इस बारे में निर्णय नहीं लिया जाएगा. तो यह 5000 करोड़ रुपये से अधिक के स्टांप पेपर तमाम जगहों पर बेकार पड़े हुए हैं. इनके बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी तो यह कूड़े की तरह हो जाएंगे और इससे सरकार को राजस्व होने के साथ-साथ अधिकारियों के खिलाफ भी जिम्मेदारी तय की जाएगी. इसका डर सभी अधिकारियों को बना हुआ है. शासन के एक अधिकारी ने कहा कि हम इसको लेकर उच्च स्तर पर बातचीत कर रहे हैं. जल्दी ही कोई निर्णय लिया जाएगा. ईटीवी भारत ने इस विषय पर प्रदेश सरकार के स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि इस विषय की जानकारी मिली है. उच्च स्तर पर बातचीत करके पुराने भौतिक स्टांप के उपयोग किए जाने के बारे में फैसला किया जाएगा. सरकार को किसी भी प्रकार का राजस्व नुकसान नहीं होने दिया जाएगा.


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