लखनऊ: कोई सोच भी नही सकता है कि जो ई-एफआईआर लोगों के लिए मददगार साबित होती है. वही ई-एफआईआर किसी का बैंक अकाउंट खाली करने के लिए साइबर क्रिमनल्स के लिए वरदान साबित हो रही है. साइबर अपराधी आए दिन ठगी करने के लिए नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं. फोन करके बहाने से ओटीपी पूछने व लिंक भेजकर धोखाधड़ी करने को लेकर लोग जागरूक होने लगे तो साइबर अपराधियों ने नया तरीका इजाद कर लिया है. अब साइबर ठग शिकार के मोबाइल का सिम खो जाने की ई-एफआईआर कराते हैं, उसके आधार पर डुप्लीकेट सिम निकलवाते हैं और उसके बाद चंद मिनटों में बैंक खाता खाली कर देते हैं.
केस-1ः लखनऊ में अलीगंज के चांद गार्डन के दिव्यांश सिंह के एकाउंट से साइबर ठगों ने 16 लाख रुपये चपत कर लिए. उन्होंने बताया कि 3 जून को जब वह बैंक खाते का बैलेंस चेक किया तो पता चला कि किसी ने उनके पैसे निकाल लिए हैं. दिव्यांश ने बताया कि थोड़ी देर बाद जब उन्होंने अपने पिता व भाई के बैंक खाते की जांच की तो पता चला कि उनके खाते से भी पैसे भी निकाल लिए गए थे. साइबर ठगों ने तीनों बैंक खातों से कुल 16.04 लाख रुपये निकाल लिए. पीड़ित ने बैंक से संपर्क किया और बताया कि ठगों ने 31 मई को नेट बैंकिंग के जरिए पैसे निकाल लिए है. इसमें उनके बीएसएनएल मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था.
केस-2ः सरोजनीनगर के दारोगा खेड़ा के रहने वाले विकास शुक्ला के एकाउंट में डेढ़ लाख रुपये थे. 20 जनवरी को उन्होंने अपने बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट निकाला तो पता चला कि उनके खाते में महज 3 हजार रुपये ही बचे है. विकास के एकाउंट से भी उनके बीएसएनएल नंबर का प्रयोग कर ठगों ने नेट बैंकिंग के जरिये पैसे निकाल लिए थे.
कैसे होती है ठगीः साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा के मुताबिक दोनों ही मामलों में साइबर ठगों ने पीड़ितों के आधार कार्ड को हासिल किया होगा. उसके बाद उन्होंने अपने शिकार की रेकी की, उनके मोबाइल नंबर व डेबिट कार्ड की जानकारी खंगाली होगी. इसके बाद पीड़ितों के खातों से संबधित मोबाइल नंबर खो जाने की ई-एफआईआर दर्ज की और उसके बाद आधार कार्ड के आधार पर बीएसएनएल ऑफिस से नया सिम निकलवा लिया. जिसके बाद साइबर ठगों ने इंटरनेट बैंकिंग के जरिये खाता खाली कर दिया.
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ठगी से कैसे बचेंः राहुल मिश्रा के मुताबिक, ऐसी ठगी के पीछे पीड़ित के जानकार शामिल होते हैं, जो पीड़ित के आधार कार्ड और मोबाइल नंबर की जानकारी रखते हैं. वे किसी भी एक जानकारी को लेकर अन्य जानकारियां निकाल लेते है. राहुल के मुताबिक कोई भी व्यक्ति अपना आधार कार्ड किसी भी हालात में कहीं भी न छोड़े. डेबिट कार्ड के पीछे मौजूद CVV नंबर काले रंग से छुपा कर रखें. अपने मोबाइल को खासतौर पर जिस नबंर को बैंक खाते से लिंक कराया होता है, उसे समय समय पर चेक करते रहें कि कहीं वो बंद तो नही हैं. या फिर उसमें अचानक नेटवर्क तो नही चला गया है. राहुल के मुताबिक, यदि ये सभी बातें ध्यान में रखी जाती हैं तो किसी भी हाल में ऐसी ठगी नही हो सकेगी.
लापरवाही का फायदा उठा रहे हैं साइबर ठगः साइबर सेल के मुताबिक, ऐसी ठगी दो जिम्मेदार विभागों की लापरवाही से भी होती है. पहली लापरवाही उस टेलीकॉम कंपनी की है, जिसने बिना सत्यापन किये ही ठगों को नया सिम दे दिया. उन्हें डुप्लीकेट सिम लेने वाले के दस्तावेज सत्यापित करने चाहिए और सिमधारक को ही सिम देना चाहिए था. साइबर सेल के मुताबिक, दूसरी लापरवाही हमारे पुलिस विभाग की ओर से हो रही है. ठगों ने यूपी कॉप एप्लिकेशन के जरिये ई-FIR दर्ज कराई. इस दौरान उससे सिर्फ शिकायती पत्र ही अपलोड कराया जाता है, न की शिकायतकर्ता से कोई दस्तावेज मांगे जाते है और न ही सत्यापन किया जाता है कि ई-FIR दर्ज कराने वाला सही है या नही. उनके मुताबिक, ऐसे तो किसी का भी बैंक खाता सुरक्षित नही है.
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