लखनऊः यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू योगी सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि पिछले 214 दिनों में 363 लोगों ने खुदकुशी और आत्मदाह का प्रयास किया है, जो बहुत ही दुखद है. उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों का अपनी जीवन लीला खत्म करने का प्रयास करना निश्चित तौर पर योगी सरकार के भ्रष्ट एवं पंगु प्रशासनिक तंत्र का प्रत्यक्ष प्रमाण है.
पीड़ितों की नहीं होती सुनवाई
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है, जिसके चलते ब्लॉक और जिला स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता और जिले के प्रशासनिक अधिकारी आम जनता से लगातार धन उगाही कर रहे हैं. पीड़ितों की न तो थाने पर सुनवाई हो रही है, और न ही जिला मुख्यालय के अधिकारी उन्हें इंसाफ दिला रहे हैं. यही वजह है कि जिलों से पीड़ित न्याय की आस में राजधानी आते हैं, और अधिकारियों के चक्कर काटकर हताश होकर न्याय न मिलने के चलते खुदकुशी को विवश हो रहे हैं. यही वजह है कि मात्र सात महीने में ही 363 लोगों ने राजधानी में मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने आत्मदाह का प्रयास किया है.
न गुण्डाराज, न भ्रष्टाचार का नारा खोखला
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि किसी भी चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार का पहला दायित्व आम जनता को न्याय और सुरक्षा देना है. जिसमें योगी सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है. जिलों में पीड़ितों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. भारतीय जनता पार्टी का न गुण्डाराज न भ्रष्टाचार का नारा खोखला साबित हुआ है.
जमीन से जुड़े विवाद सबसे ज्यादा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सर्वाधिक आत्मदाह के प्रयास जमीन से जुड़े विवाद को लेकर हुए हैं. इससे यह साबित होता है कि तहसील से लेकर जिले के एसडीएम और डीएम तक पीड़ितों की नहीं सुन रहे हैं. जबकि प्रदेश के मुखिया आये दिन अधिकारियों के साथ मीटिंग करते और निर्देश देते हुए दिखाई देते हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री का शासन और प्रशासनिक अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है. सरकार की छवि साफ-सुथरी दिखाने के नाम पर थानों में एफआईआर नहीं दर्ज हो रही है, और सत्तापक्ष से जुड़े नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की दबंगई आम जनता के न्याय में रोड़ा बने हुए हैं.
भ्रष्टाचार ने स्थापित किए कीर्तिमान
लल्लू ने कहा कि योगीराज में लूटतन्त्र इंसाफ पर हावी है. पिछले चार सालों में भ्रष्टाचार ने कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं, और जनता दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हुई है. न्याय की गुहार लगाने वाली आम जनता को न्याय के बजाय लाठियां मिली हैं. आज स्थिति ये है कि खुद सत्ताधारी दल के विधायकों और सांसदों ने अधिकारियोें के न सुने जाने का कई बार आरोप लगाया है, और धरने पर बैठने को विवश किया है.