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मंत्रियों की आनाकानी और कोरोना की भेंट चढ़ गया रोडवेज का स्थापना दिवस - 1 jun up roadways foundation day

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की स्थापना 1 जून 1970 को हुई थी. हर साल यह स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन 2017 में जब से उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई, तबसे उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अपना स्थापना दिवस मनाना ही भूल गया है. आज रोडवेज का स्थापना दिवस है और एक बार फिर स्थापना दिवस मनाया ही नहीं गया. दो सालों से कोरोना का बहाना और उससे पहले विभागीय मंत्रियों की बहानेबाजी के चलते स्थापना दिवस नहीं मना, जिससे ड्राइवर-कंडक्टररों का बड़ा नुकसान हुआ है.

यूपी रोडवेज का स्थापना दिवस
यूपी रोडवेज का स्थापना दिवस
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Published : Jun 1, 2021, 10:41 PM IST

लखनऊ : साल 2017 से पहले हर साल एक जून को रोडवेज प्रशासन धूमधाम से अपना स्थापना दिवस मनाता था. स्थापना दिवस के मौके पर प्रदेश भर के विभिन्न डिपो से कुशल ड्राइवर-कंडक्टर को सिलेक्ट किया जाता था और उन्हें बड़े मंच पर सम्मानित किया जाता था. इस दौरान जिन चालकों ने साल भर में एक भी दुर्घटना नहीं की हुई होती है, ऐसे चालकों को ₹10000 नकद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाता था. इतना ही नहीं संविदा चालक-परिचालकों को भी प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है. संविदा चालक-परिचालक अच्छा एवरेज लाने पर इनाम के हकदार होते थे. प्रोत्साहन राशि और प्रशस्ति पत्र पाकर यह ड्राइवर-कंडक्टर कई ड्राइवर-कंडक्टरों के लिए प्रेरणास्रोत बनते थे. अगले साल मंच पर पुरस्कार पाने की इच्छा उन चालक-परिचालकों में भी जागृत होती थी. लेकिन पिछले पांच साल में ड्राइवर-कंडक्टर प्रोत्साहित होने के बजाय हतोत्साहित ही हुए हैं.

कोरोना की भेंट चढ़ गया रोडवेज का स्थापना दिवस

सांत्वना ही देते रहे पूर्व मंत्री स्वतंत्र देव सिंह
2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो परिवहन मंत्री का दायित्व स्वतंत्र देव सिंह को सौंपा गया. उनके कार्यकाल के दौरान तीन बार रोडवेज का स्थापना दिवस मनाने का मौका आया, लेकिन मंत्री जी ड्राइवर-कंडक्टरों को झूठी तसल्ली देते रहे. किसी भी साल उन्होंने रोडवेज का स्थापना दिवस तक नहीं मनाने दिया. उसके बाद सरकार ने स्वतंत्र देव सिंह को परिवहन मंत्री से हटाकर भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया और परिवहन मंत्री की कमान अशोक कटारिया को सौंप दी. लेकिन अशोक कटारिया ने भी परिवहन निगम का स्थापना दिवस मनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. हालांकि ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कटारिया के कार्यकाल में दो साल से कोरोना ने ही ऐसी दस्तक दे रखी है, ऐसे में स्थापना दिवस मनाने के लिए सोचना भी दूभर है.
स्थापना दिवस पर यह होता है चालक-परिचालकों का फायदा

  • दुर्घटना शून्य चालकों को ₹10000 नकद पुरस्कार
  • उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का प्रशंसा प्रशस्ति पत्र
  • अपने जीवन काल में कोई दुर्घटना न करने वाले चालक को ₹100000 का इनाम
  • प्रदेशभर में बेहतर डीजल एवरेज लाने वाले ड्राइवर और बेहतर आय लाने वाले परिचालक को भी नकद इनाम

'स्थापना दिवस मने तो अच्छा रहे'

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद शाखा के अध्यक्ष जनीश मिश्रा व रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रांतीय प्रतिनिधि संजय वर्मा का कहना था कि पिछले कई सालों से स्थापना दिवस नहीं मना है, जिससे संविदा कर्मचारी खासतौर पर हतोत्साहित हुए हैं. हर साल स्थापना दिवस मानना चाहिए. इससे कर्मचारियों में काम के प्रति उत्साह बना रहता है. उन्हें सम्मान मिलता है तो वह प्रोत्साहित होते हैं. स्थापना दिवस हर वर्ष मने तो कर्मचारियों के लिए अच्छा रहेगा.

'कर्मचारियों का हित सर्वोपरि'

यूपीएसआरटीसी के प्रबंधक निदेशक धीरज साहू का कहना था कि स्थापना दिवस कोरोना के कारण नहीं मनाया जा सका है, यह सच है. स्थापना दिवस काफी महत्वपूर्ण होता है. यह परिवहन निगम के लिए गौरवशाली क्षण होते हैं. हम अपने कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति सजग हैं. उनकी हर समस्या का समाधान करने के लिए कटिबद्ध हैं.

लखनऊ : साल 2017 से पहले हर साल एक जून को रोडवेज प्रशासन धूमधाम से अपना स्थापना दिवस मनाता था. स्थापना दिवस के मौके पर प्रदेश भर के विभिन्न डिपो से कुशल ड्राइवर-कंडक्टर को सिलेक्ट किया जाता था और उन्हें बड़े मंच पर सम्मानित किया जाता था. इस दौरान जिन चालकों ने साल भर में एक भी दुर्घटना नहीं की हुई होती है, ऐसे चालकों को ₹10000 नकद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाता था. इतना ही नहीं संविदा चालक-परिचालकों को भी प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है. संविदा चालक-परिचालक अच्छा एवरेज लाने पर इनाम के हकदार होते थे. प्रोत्साहन राशि और प्रशस्ति पत्र पाकर यह ड्राइवर-कंडक्टर कई ड्राइवर-कंडक्टरों के लिए प्रेरणास्रोत बनते थे. अगले साल मंच पर पुरस्कार पाने की इच्छा उन चालक-परिचालकों में भी जागृत होती थी. लेकिन पिछले पांच साल में ड्राइवर-कंडक्टर प्रोत्साहित होने के बजाय हतोत्साहित ही हुए हैं.

कोरोना की भेंट चढ़ गया रोडवेज का स्थापना दिवस

सांत्वना ही देते रहे पूर्व मंत्री स्वतंत्र देव सिंह
2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो परिवहन मंत्री का दायित्व स्वतंत्र देव सिंह को सौंपा गया. उनके कार्यकाल के दौरान तीन बार रोडवेज का स्थापना दिवस मनाने का मौका आया, लेकिन मंत्री जी ड्राइवर-कंडक्टरों को झूठी तसल्ली देते रहे. किसी भी साल उन्होंने रोडवेज का स्थापना दिवस तक नहीं मनाने दिया. उसके बाद सरकार ने स्वतंत्र देव सिंह को परिवहन मंत्री से हटाकर भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया और परिवहन मंत्री की कमान अशोक कटारिया को सौंप दी. लेकिन अशोक कटारिया ने भी परिवहन निगम का स्थापना दिवस मनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. हालांकि ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कटारिया के कार्यकाल में दो साल से कोरोना ने ही ऐसी दस्तक दे रखी है, ऐसे में स्थापना दिवस मनाने के लिए सोचना भी दूभर है.
स्थापना दिवस पर यह होता है चालक-परिचालकों का फायदा

  • दुर्घटना शून्य चालकों को ₹10000 नकद पुरस्कार
  • उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का प्रशंसा प्रशस्ति पत्र
  • अपने जीवन काल में कोई दुर्घटना न करने वाले चालक को ₹100000 का इनाम
  • प्रदेशभर में बेहतर डीजल एवरेज लाने वाले ड्राइवर और बेहतर आय लाने वाले परिचालक को भी नकद इनाम

'स्थापना दिवस मने तो अच्छा रहे'

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद शाखा के अध्यक्ष जनीश मिश्रा व रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रांतीय प्रतिनिधि संजय वर्मा का कहना था कि पिछले कई सालों से स्थापना दिवस नहीं मना है, जिससे संविदा कर्मचारी खासतौर पर हतोत्साहित हुए हैं. हर साल स्थापना दिवस मानना चाहिए. इससे कर्मचारियों में काम के प्रति उत्साह बना रहता है. उन्हें सम्मान मिलता है तो वह प्रोत्साहित होते हैं. स्थापना दिवस हर वर्ष मने तो कर्मचारियों के लिए अच्छा रहेगा.

'कर्मचारियों का हित सर्वोपरि'

यूपीएसआरटीसी के प्रबंधक निदेशक धीरज साहू का कहना था कि स्थापना दिवस कोरोना के कारण नहीं मनाया जा सका है, यह सच है. स्थापना दिवस काफी महत्वपूर्ण होता है. यह परिवहन निगम के लिए गौरवशाली क्षण होते हैं. हम अपने कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति सजग हैं. उनकी हर समस्या का समाधान करने के लिए कटिबद्ध हैं.

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