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Lucknow News : थ्री डी प्रिंटेड मॉडल पर होगा दवाओं का ट्रायल, जानिए वजह

बाजारों में कोई भी दवा आने से पहले जानवरों पर ट्रायल किया जाता रहा (Lucknow News) है. ट्रायल के बाद कई बार दवा का रिएक्शन देखने को मिलता था, अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि दवा का ट्रायल नए तरीके से किये जाने की तैयारी है.

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Published : Mar 27, 2023, 1:49 PM IST

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लखनऊ : पहले के समय में जब भी कोई मेडिसिन बाजार में आती थी या उसे बनाया जाता था उसे बनाने के बाद जानवरों पर उस दवा का ट्रायल किया जाता था. कई बार ऐसा होता था कि यह ट्रायल फेल होता था और इस दवा का जानवरों पर बुरा प्रभाव पड़ता था. यहां तक कि जानवरों की मौत तक हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. दरअसल, अब दवाओं का ट्रायल जानवरों से पहले थ्री डी प्रिंटेड मॉडल पर किया जाएगा. केजीएमयू की मेडिकल रिसर्च यूनिट एमआरयू के इस प्रोजेक्ट को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर ने अनुमति दे दी है. जल्द ही इसके लिए बजट भी जारी कर दिया जाएगा. अब इसका ट्रायल जानवरों पर नहीं होगा और बेजुबान जानवरों की भी इससे मौत नहीं हो सकेगी.

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि 'केजीएमयू संस्थान हमेशा से शोध में अव्वल रहा है. केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी द्वारा यह सराहनीय काम होने जा रहा है. एमआरयू का यह प्रोजेक्ट है, जिसे आईसीएमआर ने मंजूरी दी है. संस्थान ने इंडियन क्लीनिकल ट्रायल एंड एजुकेशन नेटवर्क के तहत पांच सेक्शन में संस्थानों का चयन किया है. सेंट्रल जोन से सिर्फ केजीएमयू को इसके लिए सेंटर बनाया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत दवा को बाजार में लांच करने से पहले उसका जानवरों जैसे, खरगोश, चूहा, बंदरों आदि पर ट्रायल किया जाता है, जिसमें लंबा समय लगता है और जानवरों पर इसका नकारात्मक असर भी पड़ता है. जब 3डी मॉडल पर इसका ट्रायल होगा तो कोई भी दिक्कत नहीं होने वाली है और 3D मॉडल में मेडिसिन का ट्रायल होने के बाद फिर यह मेडिसिन बाजारों में उपलब्ध होगी.

3डी मॉडल पर पहले ट्रायल : उन्होंने बताया कि 'इस प्रोजेक्ट के तहत कंप्यूटर द्वारा 3डी प्रिंटिंग मॉडल जनरेट किया जाएगा. इसकी दवा का ट्रायल किया जाएगा, जिसके बाद यह देखा जाएगा कि मॉलिक्यूल पर केमिकल का क्या असर होता है, केमिकल का रिएक्शन और असर हो कहां-कहां रहा है. इस मॉडल पर ठीक उसी तरह असर देखने को मिलेगा जैसा जानवरों में ट्रायल के दौरान देखने को मिलता है. ऐसे में मनुष्य या जानवरों को बिना नुकसान पहुंचाए दवा का ट्रायल आसानी से पूरा हो जाएगा.



उन्होंने कहा कि 'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के द्वारा क्लीनिकल ड्रग्स ट्रायल के लिए देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न इंस्टिट्यूट को नोडल सेंटर बनाया गया है. इसमें से नॉर्थ इंडिया में एकमात्र केजीएमयू को नोडल सेंटर के तौर पर चुना गया है. यह अपने आप में गर्व की बात है. इसके लिए केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी ने सभी को बधाई भी दी है.'

यह भी पढ़ें : आलमबाग बस स्टेशन पर हुई थी एनएचआई के इंजीनियर की मौत, एसआरएन को मुख्यालय से किया संबद्ध

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लखनऊ : पहले के समय में जब भी कोई मेडिसिन बाजार में आती थी या उसे बनाया जाता था उसे बनाने के बाद जानवरों पर उस दवा का ट्रायल किया जाता था. कई बार ऐसा होता था कि यह ट्रायल फेल होता था और इस दवा का जानवरों पर बुरा प्रभाव पड़ता था. यहां तक कि जानवरों की मौत तक हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. दरअसल, अब दवाओं का ट्रायल जानवरों से पहले थ्री डी प्रिंटेड मॉडल पर किया जाएगा. केजीएमयू की मेडिकल रिसर्च यूनिट एमआरयू के इस प्रोजेक्ट को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर ने अनुमति दे दी है. जल्द ही इसके लिए बजट भी जारी कर दिया जाएगा. अब इसका ट्रायल जानवरों पर नहीं होगा और बेजुबान जानवरों की भी इससे मौत नहीं हो सकेगी.

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि 'केजीएमयू संस्थान हमेशा से शोध में अव्वल रहा है. केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी द्वारा यह सराहनीय काम होने जा रहा है. एमआरयू का यह प्रोजेक्ट है, जिसे आईसीएमआर ने मंजूरी दी है. संस्थान ने इंडियन क्लीनिकल ट्रायल एंड एजुकेशन नेटवर्क के तहत पांच सेक्शन में संस्थानों का चयन किया है. सेंट्रल जोन से सिर्फ केजीएमयू को इसके लिए सेंटर बनाया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत दवा को बाजार में लांच करने से पहले उसका जानवरों जैसे, खरगोश, चूहा, बंदरों आदि पर ट्रायल किया जाता है, जिसमें लंबा समय लगता है और जानवरों पर इसका नकारात्मक असर भी पड़ता है. जब 3डी मॉडल पर इसका ट्रायल होगा तो कोई भी दिक्कत नहीं होने वाली है और 3D मॉडल में मेडिसिन का ट्रायल होने के बाद फिर यह मेडिसिन बाजारों में उपलब्ध होगी.

3डी मॉडल पर पहले ट्रायल : उन्होंने बताया कि 'इस प्रोजेक्ट के तहत कंप्यूटर द्वारा 3डी प्रिंटिंग मॉडल जनरेट किया जाएगा. इसकी दवा का ट्रायल किया जाएगा, जिसके बाद यह देखा जाएगा कि मॉलिक्यूल पर केमिकल का क्या असर होता है, केमिकल का रिएक्शन और असर हो कहां-कहां रहा है. इस मॉडल पर ठीक उसी तरह असर देखने को मिलेगा जैसा जानवरों में ट्रायल के दौरान देखने को मिलता है. ऐसे में मनुष्य या जानवरों को बिना नुकसान पहुंचाए दवा का ट्रायल आसानी से पूरा हो जाएगा.



उन्होंने कहा कि 'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के द्वारा क्लीनिकल ड्रग्स ट्रायल के लिए देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न इंस्टिट्यूट को नोडल सेंटर बनाया गया है. इसमें से नॉर्थ इंडिया में एकमात्र केजीएमयू को नोडल सेंटर के तौर पर चुना गया है. यह अपने आप में गर्व की बात है. इसके लिए केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी ने सभी को बधाई भी दी है.'

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