लखनऊ : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नशा मुक्ति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं. बावजूद इसके मादक पदार्थों की तस्करी और युवाओं के नशे की लत में पड़ने की घटनाओं कोई कमी दिखाई नहीं देती. तस्करों की घुसपैठ किस तरह है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने अगस्त 2022 से अब तक साढ़े छह हजार किलो ड्रग्स बरामद की है. जिसकी कीमत 35 करोड़ से अधिक बताई जाती है. स्वाभाविक है कि बरामद खेप कुल तस्करी का एक हिस्सा ही होगा.
ऐसा नहीं है कि सरकार मादक पदार्थों पर नियंत्रण नहीं चाहती. इसके लिए सरकार के स्तर पर तमाम कदम उठाए गए हैं और निरंतर इस दिशा में प्रयास भी किए जा रहे हैं. इसके बावजूद तस्करों के तंत्र को तोड़ पाना काफी कठिन है. दरअसल इस धंधे में पैसा इतना ज्यादा है कि लोग जल्द अमीर बनने के चक्कर में इस काम में शामिल होते हैं और नशे के दलदल में धंसते चले जाते हैं. सरकार ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन का निर्णय किया है. साथ ही आबकारी नीति में बदलाव करते हुए सभी रेस्टोरेंट्स और बार आदि के बाहर चेतावनी बोर्ड लगवाना अनिवार्य कर दिया गया. नशा उन्मूलन के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. सरकार द्वारा एनडीपीएस अधिनियम के सबसे ज्यादा लंबित मुकदमों वाले दस जिलों में विशेष न्यायालय का गठन किया जा रहा है.
नशा मुक्ति जागरूकता अभियान के तहत प्रदेश में कुल 22 नशा उन्मूलन केंद्र चल रहे हैं. साथ ही अभियान के अंतर्गत नुक्कड़ सभाओं, रैलियों, शपथ, खेलकूद, मोटरसाइकिल रैली आदि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. हालांकि यह प्रयास भी काफी नहीं हैं. नशे के खिलाफ काफी काम कर चुके पूर्व पुलिस अधिकारी एपी गंगवार कहते हैं कि सरकार को छोटी-मोटी बरामदगियों के बजाय बड़े नेटवर्क की कमर तोड़ने के लिए काम करना चाहिए. साथ ही बच्चों ही नहीं उनके अभिभावकों को भी तालीम देने की जरूरत है, ताकि वह अपने बच्चों पर नजर रख सकें कि कहीं उनके बच्चे गलत सोहबत या नशे के आदी तो नहीं हो रहे. इन उपायों के नशे के अवैध कारोबार पर कुछ हद तक अंकुश जरूर लग सकता है.