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लखनऊ: लॉकडाउन के बाद एक बार फिर ड्राइविंग लाइसेंस बनने शुरू हुए - लखनऊ समाचार

लॉकडाउन के बाद लखनऊ में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया अब पटरी पर आ गई है. आरटीओ कार्यालय में रोजाना बड़ी तादाद में डीएल आवेदक पहुंच रहे हैं.

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संभागीय परिवहन कार्यालय.
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Published : Aug 21, 2020, 7:21 AM IST

लखनऊ: लॉकडाउन के बाद ट्रांसपोर्ट नगर स्थित संभागीय परिवहन कार्यालय में प्रारम्भ हुई ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया अब पटरी पर आ गई है. तीन चरणों में शुरू की गई डीएल बनवाने की व्यवस्था में सोशल डिस्टेंसिंग आवेदकों को कोरोना से बचाव में मददगार साबित हो रही है. प्रत्येक शिफ्ट में 100 से अधिक डीएल आवेदकों पहुंच रहे हैं.

आरटीओ कार्यालय में रोजाना बड़ी तादाद में डीएल आवेदक आ रहे हैं. ऐसे में अफसरों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की व्यवस्था बरकरार रखना और आवेदकों को कोरोना से बचाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. अफसरों की निगरानी में कोरोना से बचाव के मूलमंत्र सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन और थर्मल स्क्रीनिंग के बेहतर तालमेल से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम किया जा रहा है.

कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद बीती 6 जून से आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी. इस दौरान 10 बजे से 12 बजे, 12.30 से 2.30 और 3 से 5 बजे तक तीन शिफ्टों में आवेदकों को बुलाने की व्यवस्था की गई है. मौजूदा समय में प्रत्येक शिफ्ट में लर्निंग लाइसेंस के 20-20 आवेदक, रिन्यूवल के 22 और स्थायी डीएल के 92 आवेदक कार्यालय बुलाए जा रहे हैं. ऐसे में रोजाना 276 स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा रहे हैं.

पिछले दिनों आरटीओ कार्यालय में कुछ कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद दफ्तर बंद होने से काम रुक गया था, लेकिन अधिकारी लगातार प्रयासरत हैं कि ड्राइविंग लाइसेंस का काम सुचारू रूप से चलता रहे. संभागीय निरीक्षक (आरआई) सर्वेश चतुर्वेदी ने बताया कि आरटीओ कार्यालय में भीड़ न जुटे, इसके लिए शिफ्टवार आवेदकों को बुलाया जा रहा था. अब भी शिफ्ट खत्म नहीं की गई है. इतनी संख्या में लाइसेंस के आवेदन भी स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं, जिससे किसी तरह की कोई दिक्कत सामने आए.

लखनऊ: लॉकडाउन के बाद ट्रांसपोर्ट नगर स्थित संभागीय परिवहन कार्यालय में प्रारम्भ हुई ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया अब पटरी पर आ गई है. तीन चरणों में शुरू की गई डीएल बनवाने की व्यवस्था में सोशल डिस्टेंसिंग आवेदकों को कोरोना से बचाव में मददगार साबित हो रही है. प्रत्येक शिफ्ट में 100 से अधिक डीएल आवेदकों पहुंच रहे हैं.

आरटीओ कार्यालय में रोजाना बड़ी तादाद में डीएल आवेदक आ रहे हैं. ऐसे में अफसरों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की व्यवस्था बरकरार रखना और आवेदकों को कोरोना से बचाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. अफसरों की निगरानी में कोरोना से बचाव के मूलमंत्र सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन और थर्मल स्क्रीनिंग के बेहतर तालमेल से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम किया जा रहा है.

कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद बीती 6 जून से आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी. इस दौरान 10 बजे से 12 बजे, 12.30 से 2.30 और 3 से 5 बजे तक तीन शिफ्टों में आवेदकों को बुलाने की व्यवस्था की गई है. मौजूदा समय में प्रत्येक शिफ्ट में लर्निंग लाइसेंस के 20-20 आवेदक, रिन्यूवल के 22 और स्थायी डीएल के 92 आवेदक कार्यालय बुलाए जा रहे हैं. ऐसे में रोजाना 276 स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा रहे हैं.

पिछले दिनों आरटीओ कार्यालय में कुछ कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद दफ्तर बंद होने से काम रुक गया था, लेकिन अधिकारी लगातार प्रयासरत हैं कि ड्राइविंग लाइसेंस का काम सुचारू रूप से चलता रहे. संभागीय निरीक्षक (आरआई) सर्वेश चतुर्वेदी ने बताया कि आरटीओ कार्यालय में भीड़ न जुटे, इसके लिए शिफ्टवार आवेदकों को बुलाया जा रहा था. अब भी शिफ्ट खत्म नहीं की गई है. इतनी संख्या में लाइसेंस के आवेदन भी स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं, जिससे किसी तरह की कोई दिक्कत सामने आए.

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