लखनऊ: दुनियाभर में वर्ल्ड सेप्सिस डे मनाया जाता है. इस बार की थीम 'द ग्लोबल थ्रेट' रही. ऐसे में केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग में 'एंटीबायोटिक के दुरुपयोग' के प्रति सजग करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें देशभर से एक हजार डॉक्टर ऑनलाइन जुड़े. इस दौरान विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि तमाम लोग बिना चिकित्सकीय परामर्श के एंटीबायोटिक का सेवन कर लेते हैं. वहीं तमाम दवा तो डॉक्टर की सलाह पर शुरू करते हैं. मगर, राहत मिलने पर खुद दवा छोड़ देते हैं. एंटीबायोटिक का अधूरा कोर्स करने पर बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं होता है और वह अपने स्वरूप में बदलाव करने लगता है. इससे मरीज पर यह एंटीबायोटिक रजिस्टेन्स हो जाती है. उसे एंटीबायोटिक की डोज देने पर असर ही नहीं करती है.
एंटीबायोटिक की तय डोज को ब्रेक करना घातक: डॉ. वेद प्रकाश
एंटीबायोटिक का बेजा इस्तेमाल बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है. एक तरफ जहां छोटी-छोटी बीमारियों में हाई एंटीबायोटिक की डोज दे दे जाती है, वहीं कई मरीज तय डोज का अधूरा कोर्स ही करते हैं. ऐसे में ड्रग रजिस्टेन्स का खतरा बढ़ जाता है. ये बातें केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कही.
लखनऊ: दुनियाभर में वर्ल्ड सेप्सिस डे मनाया जाता है. इस बार की थीम 'द ग्लोबल थ्रेट' रही. ऐसे में केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग में 'एंटीबायोटिक के दुरुपयोग' के प्रति सजग करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें देशभर से एक हजार डॉक्टर ऑनलाइन जुड़े. इस दौरान विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि तमाम लोग बिना चिकित्सकीय परामर्श के एंटीबायोटिक का सेवन कर लेते हैं. वहीं तमाम दवा तो डॉक्टर की सलाह पर शुरू करते हैं. मगर, राहत मिलने पर खुद दवा छोड़ देते हैं. एंटीबायोटिक का अधूरा कोर्स करने पर बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं होता है और वह अपने स्वरूप में बदलाव करने लगता है. इससे मरीज पर यह एंटीबायोटिक रजिस्टेन्स हो जाती है. उसे एंटीबायोटिक की डोज देने पर असर ही नहीं करती है.