लखनऊ : अस्थमा एक सांस की बीमारी है जो वायुमार्ग को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इससे घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ होती है. अस्थमा एक आम बीमारी है, जो दुनिया भर में अनुमानित 34 करोड़ लोगों को प्रभावित करती है. यह बीमारी मुख्य रूप से छोटे उम्र के बच्चों में पायी जाती है. अस्थमा का प्रसार हाल के वर्षों में लगातार बढ़ रहा है. यह बातें सोमवार को केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने अस्थमा पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहीं.
प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान डॉ. वेद ने कहा कि 'अस्थमा से हर वर्ष अनुमानित रूप से 2.5 लाख लोगों की मृत्यु होती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अस्थमा अधिक पाया जाता है. अस्थमा मुख्य रूप से बच्चों में होता है और दुनिया भर में अनुमानित 14 प्रतिशत बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हैं. हर वर्ष अस्थमा के चलते कई बच्चों का स्कूल छूटता है. अस्थमा की बीमारी से पड़ने वाला आर्थिक बोझ बहुत महत्वपूर्ण है, वर्ष 2021 में एक अनुमान के हिसाब से पूरे विश्व में लगभग 6 लाख करोड़ रुपये अस्थमा की बीमारी से निपटने के लिये खर्च हुए हैं.'
उन्होंने बताया कि 'ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार, लगभग 6.2 प्रतिशत भारतीय (लगभग 74 मिलियन लोग) अस्थमा से प्रभावित हैं, जिसमें लगभग 2-3 प्रतिशत बच्चे प्रभावित हैं. भारत में नॉन इन्फेक्टिव कारणों से होने वाली सभी मृत्यु का 10 प्रतिशत हिस्सा अस्थमा की वजह से होता है. भारत में अस्थमा का प्रसार बढ़ने के लिये वायु प्रदूषण जिम्मेदार है. एक अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अस्थमा से पीड़ित केवल पांच प्रतिशत लोगों का सही निदान और उपचार किया जाता है. अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बेहतर अस्थमा नियंत्रण के लिए मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. ग्लोबल इनिशएटिव फार अस्थमा (GINA) ने 2023 विश्व अस्थमा दिवस के लिए थीम के रूप में 'अस्थमा केयर फॉर ऑल' को चुना है. अस्थमा केयर फॉर ऑल संदेश दिया है.'
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