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डाॅ. सोनिया नित्यानंद को मिला दो चिकित्सा संस्थानों का प्रभार, जानिए इसके पीछे की वजह

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की निदेशक के साथ प्रो. सोनिया नित्यानंद को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) का कुलपति का भी जिम्मा सौंपा गया है. इसके अलावा उनके पास कई अन्य जिम्मेदारियां भी हैं. ऐसे में कई वरिष्ठ डाॅक्टरों को नजरअंदाज करने के पीछे वजह तलाशनी लाजमी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2023, 10:47 AM IST

लखनऊ : हाल ही में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) की वीसी बनाई गईं प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद इन दिनों उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी लॉबी के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं. कई अन्य को सुपरसीड करते हुए उनको केजीएमयू का वीसी बनाया गया है. इसके साथ ही लोहिया इंस्टिट्यूट का भी निदेशक बनाया गया है. माना जा रहा है कि अपने राजभवन कनेक्शन के दम पर वे लगातार मजबूत हो रही हैं. जिसको लेकर अफसरों में असंतोष भी है. हाल ही में डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में नर्सों की भर्ती को लेकर भी सोनिया नित्यानंद को गड़बड़ियों का आरोप झेलना पड़ा था. स्पष्ट कहा जा रहा है कि नर्सों की भर्ती परीक्षा के दौरान जमकर नकल की गई. जिस एजेंसी को इस एग्जाम को कराने के लिए रखा गया था उसने मनमानी की और शहीदों को भर्ती मिल गई. इसके बावजूद सोनिया नित्यानंद का बाल भी बांका नहीं हो सका.

डाॅ. सोनिया नित्यानंद पर आरोप.
डाॅ. सोनिया नित्यानंद पर आरोप.




लोहिया संस्थान की निदेशक के साथ प्रो. सोनिया नित्यानंद केजीएमयू की नई कुलपति बनाई गईं. प्रो. सरोज चूड़ामणि के बाद केजीएमयू की बागडोर संभालने वाली प्रो. सोनिया नित्यानंद दूसरी महिला कुलपति हैं. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उनके नाम पर मुहर लगा दी. उन्होंने नौ अगस्त को कार्यभार ग्रहण किया. प्रो. सोनिया का कार्यकाल तीन साल का है. वह केजीएमयू के निवर्तमान कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन पुरी का स्थान ले चुकी हैं.



कई बड़े डॉक्टर रह गए पीछे : केजीएमयू के कुलपति की दौड़ में राजधानी के अलग-अलग संस्थानों के पांच वरिष्ठ डॉक्टर थे. इनमें एसजीपीजीआई, अटल विवि और केजीएमयू के साथ ही प्रो. सोनिया नित्यानंद भी शामिल थीं. प्रो. सोनिया ने अपनी पढ़ाई केजीएमयू से की है. इस समय वे मूलरूप से एसजीपीजीआई में हिमेटोलॉजी विभाग की शिक्षक हैं. सोनिया नित्यानंद के केजीएमयू के साथ लोहिया संस्थान में भी निदेशक की जिम्मेदारी दे दी गई है. जिसको लेकर कहा जा रहा है कि उनके राजभवन के साथ में सकारात्मक संबंध काफी काम आ रहे हैं. तमाम विरोधों के बावजूद उनका दो-दो बड़े संस्थानों की जिम्मेदारी दे दी गई है.

यह भी पढ़ें : शीघ्र शुरू होगी यूपी में तीस हजार सोलर पंप लगाने की प्रक्रिया, कृषि मंत्री ने दिए निर्देश

लखनऊ : हाल ही में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) की वीसी बनाई गईं प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद इन दिनों उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी लॉबी के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं. कई अन्य को सुपरसीड करते हुए उनको केजीएमयू का वीसी बनाया गया है. इसके साथ ही लोहिया इंस्टिट्यूट का भी निदेशक बनाया गया है. माना जा रहा है कि अपने राजभवन कनेक्शन के दम पर वे लगातार मजबूत हो रही हैं. जिसको लेकर अफसरों में असंतोष भी है. हाल ही में डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में नर्सों की भर्ती को लेकर भी सोनिया नित्यानंद को गड़बड़ियों का आरोप झेलना पड़ा था. स्पष्ट कहा जा रहा है कि नर्सों की भर्ती परीक्षा के दौरान जमकर नकल की गई. जिस एजेंसी को इस एग्जाम को कराने के लिए रखा गया था उसने मनमानी की और शहीदों को भर्ती मिल गई. इसके बावजूद सोनिया नित्यानंद का बाल भी बांका नहीं हो सका.

डाॅ. सोनिया नित्यानंद पर आरोप.
डाॅ. सोनिया नित्यानंद पर आरोप.




लोहिया संस्थान की निदेशक के साथ प्रो. सोनिया नित्यानंद केजीएमयू की नई कुलपति बनाई गईं. प्रो. सरोज चूड़ामणि के बाद केजीएमयू की बागडोर संभालने वाली प्रो. सोनिया नित्यानंद दूसरी महिला कुलपति हैं. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उनके नाम पर मुहर लगा दी. उन्होंने नौ अगस्त को कार्यभार ग्रहण किया. प्रो. सोनिया का कार्यकाल तीन साल का है. वह केजीएमयू के निवर्तमान कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन पुरी का स्थान ले चुकी हैं.



कई बड़े डॉक्टर रह गए पीछे : केजीएमयू के कुलपति की दौड़ में राजधानी के अलग-अलग संस्थानों के पांच वरिष्ठ डॉक्टर थे. इनमें एसजीपीजीआई, अटल विवि और केजीएमयू के साथ ही प्रो. सोनिया नित्यानंद भी शामिल थीं. प्रो. सोनिया ने अपनी पढ़ाई केजीएमयू से की है. इस समय वे मूलरूप से एसजीपीजीआई में हिमेटोलॉजी विभाग की शिक्षक हैं. सोनिया नित्यानंद के केजीएमयू के साथ लोहिया संस्थान में भी निदेशक की जिम्मेदारी दे दी गई है. जिसको लेकर कहा जा रहा है कि उनके राजभवन के साथ में सकारात्मक संबंध काफी काम आ रहे हैं. तमाम विरोधों के बावजूद उनका दो-दो बड़े संस्थानों की जिम्मेदारी दे दी गई है.

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