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कानून को गणितीय समीकरण में परिभाषित करना असंभव : तेज बहादुर सिंह - लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में संगोष्ठी

लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी रियल एस्टेट : मुद्दे और चुनौतियां विषय पर वक्ताओं ने विचार रखे. इसके अलावा संगोष्ठी को यूपी रेरा अपीलीय न्यायाधिकरण के सेवानिवृत्त न्यायिक सदस्य तेज बहादुर सिंह ने भी संबोधित किया.

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Published : May 20, 2023, 8:50 PM IST

लखनऊ : रियल एस्टेट क्षेत्र महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रहा हैं, लेकिन इसमें अनियमिताएं देखने को मिल रही हैं. जिसका प्रमुख कारण धोखाधड़ी, उच्च लेन-देन लागत और काम मे देरी हैं. इसके कारण उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ती हैं. रियल एस्टेट सेक्टर में कंप्लीशन सर्टिफिकेट के संबंध में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए एक्ट में दंडात्मक प्रावधान की जरूरत हैं. उन्होंने छात्रों को बताया कि कानून को गणितीय समीकरण के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है बल्कि यह अनुभवों का एक संग्रह है.

"कानून को गणितीय समीकरण में परिभाषित करना असंभव"

यह बात यूपी रेरा अपीलीय न्यायाधिकरण के सेवानिवृत्त न्यायिक सदस्य तेज बहादुर सिंह की. वे डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के तत्वावधान में शनिवार को रियल एस्टेट : मुद्दे और चुनौतिया विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अथिति बोल रहे थे. कार्यक्रम की शुरुआत में संगोष्ठी के संयोजक प्रो. मनीष सिंह और सह संयोजक डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने विषय के बारे में जानकारी दी.

"कानून को गणितीय समीकरण में परिभाषित करना असंभव"


इस अवसर पर विधि विवि के कुलपति प्रो. सुबीर कुमार भटनागर ने बताया कि जब भी दो पक्षों को संतुलित करने वाला कानून होता है तो कमियां होती हैं. रियल एस्टेट कानूनों में कमियों को भरने की जरूरत है. रियल एस्टेट कानूनों में सुधारों और विनियमों के लिए विभिन्न सुझाव देने के लिए इस तरह के सम्मेलन बहुत आवश्यक हैं. सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के अधिवक्ता एसएम सिंह रॉयकवार, मुरली मनोहर श्रीवास्तव और यूपी रेरा के रियल एस्टेट सलाहकार मनीष दीवान ने रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ताओं और डेवलपर्स के सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों को सामने रखा. उन्होंने टाउनशिप का निर्माण करते समय डेवलपर्स के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा की और खरीदारों के लिए सुझाव दिए. उनके अनुसार खरीदारों को ऋण मुक्त संपत्ति खरीदनी चाहिए या कम से कम भूमि ऋण मुक्त होनी चाहिए. साथ ही एक टाउनशिप विकसित करने के लिए आवश्यक मंजूरी की संख्या कम की जानी चाहिए और सरकार को ऑनलाइन पंजीकरण, ऑनलाइन फाइलिंग, ऑनलाइन मंजूरी आदि पर ध्यान देना चाहिए. इसके बाद देश भर से आये छात्रों ने अपने पेपर प्रेजेंट किए.


कार्यक्रम के समापन में आरबीआई के लीगल एडवाइजर प्रदीप कुमार राय ने अल्बर्ट आइंस्टीन को कोट करते हुए कहा कि एक व्यक्ति जिसने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की. रेरा 2016 में बनाया गया एक नया विनियमन है, यह विनियमन की आलोचना करना उचित या न्यायोचित नहीं हो सकता है. इसके बजाय कार्यान्वयन की आलोचना की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह ब्रह्मांड को सुचारू रूप से चलाने में हर कण महत्वपूर्ण है. उसी तरह रियल एस्टेट क्षेत्र में भी हर हितधारक को समान महत्व मिला है. कार्यक्रम में संयोजक प्रो. मनीष सिंह, सह संयोजक डॉ. आशीष श्रीवास्तव, प्रो. एपी सिंह, डॉ. अमनदीप सिंह, डॉ. अपर्णा सिंह, डॉ. मलय पांडेय, डॉ. शकुंतला, प्रदीप कुमार, ज्योतिराज सिंह भदौरिया, आयुष वर्मा मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें : युद्ध दो देशों के बीच में होता है, पर असर पूरे विश्व पर पड़ता है : आरएन रवि

लखनऊ : रियल एस्टेट क्षेत्र महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रहा हैं, लेकिन इसमें अनियमिताएं देखने को मिल रही हैं. जिसका प्रमुख कारण धोखाधड़ी, उच्च लेन-देन लागत और काम मे देरी हैं. इसके कारण उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ती हैं. रियल एस्टेट सेक्टर में कंप्लीशन सर्टिफिकेट के संबंध में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए एक्ट में दंडात्मक प्रावधान की जरूरत हैं. उन्होंने छात्रों को बताया कि कानून को गणितीय समीकरण के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है बल्कि यह अनुभवों का एक संग्रह है.

"कानून को गणितीय समीकरण में परिभाषित करना असंभव"

यह बात यूपी रेरा अपीलीय न्यायाधिकरण के सेवानिवृत्त न्यायिक सदस्य तेज बहादुर सिंह की. वे डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के तत्वावधान में शनिवार को रियल एस्टेट : मुद्दे और चुनौतिया विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अथिति बोल रहे थे. कार्यक्रम की शुरुआत में संगोष्ठी के संयोजक प्रो. मनीष सिंह और सह संयोजक डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने विषय के बारे में जानकारी दी.

"कानून को गणितीय समीकरण में परिभाषित करना असंभव"


इस अवसर पर विधि विवि के कुलपति प्रो. सुबीर कुमार भटनागर ने बताया कि जब भी दो पक्षों को संतुलित करने वाला कानून होता है तो कमियां होती हैं. रियल एस्टेट कानूनों में कमियों को भरने की जरूरत है. रियल एस्टेट कानूनों में सुधारों और विनियमों के लिए विभिन्न सुझाव देने के लिए इस तरह के सम्मेलन बहुत आवश्यक हैं. सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के अधिवक्ता एसएम सिंह रॉयकवार, मुरली मनोहर श्रीवास्तव और यूपी रेरा के रियल एस्टेट सलाहकार मनीष दीवान ने रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ताओं और डेवलपर्स के सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों को सामने रखा. उन्होंने टाउनशिप का निर्माण करते समय डेवलपर्स के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा की और खरीदारों के लिए सुझाव दिए. उनके अनुसार खरीदारों को ऋण मुक्त संपत्ति खरीदनी चाहिए या कम से कम भूमि ऋण मुक्त होनी चाहिए. साथ ही एक टाउनशिप विकसित करने के लिए आवश्यक मंजूरी की संख्या कम की जानी चाहिए और सरकार को ऑनलाइन पंजीकरण, ऑनलाइन फाइलिंग, ऑनलाइन मंजूरी आदि पर ध्यान देना चाहिए. इसके बाद देश भर से आये छात्रों ने अपने पेपर प्रेजेंट किए.


कार्यक्रम के समापन में आरबीआई के लीगल एडवाइजर प्रदीप कुमार राय ने अल्बर्ट आइंस्टीन को कोट करते हुए कहा कि एक व्यक्ति जिसने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की. रेरा 2016 में बनाया गया एक नया विनियमन है, यह विनियमन की आलोचना करना उचित या न्यायोचित नहीं हो सकता है. इसके बजाय कार्यान्वयन की आलोचना की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह ब्रह्मांड को सुचारू रूप से चलाने में हर कण महत्वपूर्ण है. उसी तरह रियल एस्टेट क्षेत्र में भी हर हितधारक को समान महत्व मिला है. कार्यक्रम में संयोजक प्रो. मनीष सिंह, सह संयोजक डॉ. आशीष श्रीवास्तव, प्रो. एपी सिंह, डॉ. अमनदीप सिंह, डॉ. अपर्णा सिंह, डॉ. मलय पांडेय, डॉ. शकुंतला, प्रदीप कुमार, ज्योतिराज सिंह भदौरिया, आयुष वर्मा मौजूद रहे.

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