लखनऊ : यदि आपके बैंक अकाउंट में अचानक धनवर्षा होने लगे तो ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि कुछ ही समय में आपके ऊपर आफत भी बरस सकती है. आपको थाने और कचहरी के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं. आपको पुलिस के कई सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं. इतना ही नहीं आयकर विभाग की नोटिस भी आपको मिल सकती है. दरअसल, साइबर ठग आपकी गलती का फायदा उठाकर आपके बैंक अकाउंट को अपने फायदे के लिए इस्तमाल कर रहे हैं. आइए जानते हैं आखिर ऐसा क्या हो रहा है, और विशेषज्ञ किस तरह की सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.
ऋषभ के लिए अकाउंट में हुई धन वर्षा बनी बड़ी मुसीबत : राजधानी के अलीगंज के रहने वाले ऋषभ सिंह इस समय काफी परेशान हैं. परेशानी की वजह उनके बैंक अकाउंट में अचानक आए 70 लाख रुपए हैं, जो थोड़ी देर में चले भी गए. पैसे आने और फिर चले जाने से घबराए ऋषभ ने वकील से संपर्क किया और हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई. ऋषभ बताते हैं कि वो दिल्ली के एक बड़े होटल में जॉब कर रहे हैं. इस केस के चलते उन्हें लखनऊ बार-बार आना पड़ रहा है. इस चक्कर में अब तक उनके पचास हजार रुपए खर्च हो चुके हैं. ऋषभ कहते हैं कि पुलिस बार बार उन्हे थाने बुला रही है, इनकम टैक्स की नोटिस भी आने का डर है. वकील का कहना है कि कई बार कोर्ट में पेशी पर भी आना पड़ सकता है. ऐसे में ऋषभ फरवरी 2023 के उस दिन को कोस रहे हैं जब वो अपने एक जान पहचान की महिला के कहने पर इंटरव्यू देने लखनऊ के सारण चेंबर गए थे.
नौकरी का ऑफर देकर ले लिया अकाउंट का एक्सेस : ऋषभ बताते हैं कि, फरवरी माह को एचडीएफसी सेल्स डिपार्टमेंट में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी पलक खान ने उन्हें नौकरी का ऑफर दिया. ऐसे में वो पार्क रोड स्थित सरन चेंबर इंटरव्यू के लिए पहुंच गए. तीन लोगों के पैनल को उन्होंने अपना इंटरव्यू दिया और उनसे आधार कार्ड , पैन कार्ड लेकर उन्हें जाने के लिए कह दिया गया. मार्च माह में उन्हें एक कॉल आई और ऑफर लेटर भेजने के लिए उनके पिता और माता का आधार व पैन कार्ड मांगा गया. उन्होंने वह भी दे दिया. कुछ दिन बाद उनके घर पर एक बैंक का एटीएम कार्ड आया, नए अकाउंट का एटीएम देखा ऋषभ हैरान थे. उन्होंने संबंधित बैंक से संपर्क कर स्टेटमेंट निकलवाया तो देखा कि उनके अकाउंट में 70 लाख रुपए आए और कुछ ही देर में कुछ अन्य अकाउंट में ट्रांसफर भी कर दिए गए. यह देख वो परेशान हुए और उन्होंने वकील से संपर्क कर हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई. ऋषभ कहते है कि वो बीते दस दिनों से थाने और वकील के फोन से परेशान हो चुके हैं.
मोहित के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ : अलीगढ़ के रहने वाले मोहित भी ऋषभ की ही तरह हैरान और परेशान हैं. उनके अकाउंट में 53 लाख रुपए आए और फिर 13 अकाउंट में ट्रांसफर हो गए. ये सभी बिना उनकी अनुमति के हुआ. इतने पैसे अचानक अकाउंट में आते देख मोहित खुश हुए थे लेकिन उन्हें चिंता भी थी कहीं वो किसी कानूनी पचड़े में न फंस जाए. लिहाजा वो झट से साइबर क्राइम थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई. मोहित के मुताबिक, बीते एक माह से वो बहुत परेशान हैं. पुलिस उनसे ऐसे पूछताछ कर रही है, जैसे वह ही असली अपराधी हों.
पुलिस बोली- ऋषभ व मोहित ने की थी बड़ी गलती : साइबर सेल लखनऊ में तैनात सब इंस्पेक्टर शिशिर यादव कहते हैं कि पीड़ित को लगता है कि उसने कोई भी गलती नहीं की है. जबकि साइबर फ्रॉड सिर्फ और सिर्फ पीड़ित की नासमझी और गलतियों से ही होता है. लखनऊ के पीड़ित ऋषभ सिंह ने सबसे बड़ी गलती यह की थी कि उन्होंने अनजान लोगों को सिर्फ नौकरी की चाह में पहले तो अपना और पूरे परिवार आधार व पैन कार्ड नंबर दे दिया. फिर कॉल आने पर ओटीपी भी शेयर कर दी. इसका फायदा साइबर जालसाजों ने उठाया और उनके अकाउंट में दस्तावेजों को बदलवा अकाउंट का एक्सेस अपने पास रख लिया, फिर ठगी की गई रकम को उनके अकाउंट में डाल कर अन्य अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया. शिशिर कहते हैं कि यह इसलिए होता है ताकि पुलिस जब जालसाजों को ट्रेस करे तो हमे बैंक अकाउंट्स की एक लंबी चेन मिले, जब तक पुलिस ऋषभ जैसे नसमझ लोगों में जूझे तब तक वो ठगी की रकम निकाल लें.
एक्सपर्ट बोले- साइबर जालसाज की ही तरह पीड़ित भी है दोषी : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि , ऋषभ के मामले में तो साफ है कि इस जालसाजी में बैंक सेल्स डिपार्टमेंट के वो लोग शामिल हैं, जिन्होंने इंटरव्यू आयोजित करवाया था. दूसरा पुलिसिया कार्रवाई को यदि सही ढंग से देखें तो पीड़ित भी उतना ही दोषी है जितना साइबर जालसाज क्योंकि उसने अपने अकाउंट को ठगी का पैसा छुपाने में न जानते हुए हुए मदद की है. अलीगढ़ के मोहित के मामले में जैसा कि पीड़ित का कहना है कि उन्होंने किसी को भी अपना ओटीपी शेयर नहीं किया है. इस जालसाजी में बैंक कर्मी भी शामिल हो सकते हैं क्योंकि बिना बैंक और उनकी अनुमति के पैसा ट्रांसफर नहीं हो सकता. कभी-कभी पीड़ित असल बात छुपा या भूल जाता है, जो साइबर पुलिस को विवेचना में सामने आता है. ऐसे में संभव है कि मोहित ने कभी न कभी किसी से ओटीपी जरूर शेयर किया होगा.
साइबर ठग दो तरह के अकाउंट्स का करते हैं इस्तमाल : यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा कहते हैं कि, यह एक ऐसा फ्रॉड है, जिसमें पीड़ित का कुछ जा तो नहीं रहा लेकिन वह कानूनी पचड़ों में जरूर फंस कर अपना समय व खराब कर देता है. राहुल कहते हैं कि, साइबर जालसाज दो तरह के अकाउंट का इस्तमाल करते हैं, अपनी ठगी हुई रकम को ठिकाने लगाने के लिए. एक वो अकाउंट्स है, जो गांव देहात के लोगों के पहले से बने अकाउंट को कुछ पैसा देकर खरीद लेते हैं या फिर उनके दस्तावेजों के आधार पर नए अकाउंट बना लेते हैं. दूसरे वो अकाउंट जो ऋषभ व मोहित जैसे लोगों के होते हैं, जिन्हें नौकरी का लालच या अन्य कारणों को बता उनसे उनके बड़े अकाउंट का संचालन धोखे से ले लेते हैं. फिर उन्हें अपने इस्तेमाल के लिए प्रयोग करते हैं. ऐसे में जब ऋषभ और मोहित जैसे लोगों के अकाउंट में अचानक धन वर्षा होती है तो वो प्रसन्न होते हैं लेकिन अचानक चले जाने से हैरान होते हैं. बाद में थानों और कोर्ट के चक्कर लगाते हैं. इतना ही नहीं इतनी बड़ी रकम के आने पर आयकर विभाग की नोटिस का भी डर रहता है.
इस तरह बरतें सावधानी : साइबर एक्सपर्ट को माने तो कभी भी किसी भी अनजान या जान-पहचान वाले को ओटीपी शेयर ही ना करें, पहले यह तय कर लें कि ओटीपी किस नम्बर या किस एड्रेस से आया है, तब ही अपने जन पहचान वाले व्यक्ति को शेयर करें. अपने अकाउंट्स के स्टेटमेंट समय समय पर चेक करते रहे, कहीं ऐसा न हो कि आप साइबर जालसाजों के लिए लॉकर का काम कर रहे हो और आपको पता भी न चले. यदि गलती से आपके अकाउंट में पैसे आ जाएं तो उन्हें खर्च न करें, तत्काल बैंक और साइबर पुलिस से बात करें. कभी भी किसी अनजान के प्रलोभन में आकर थोड़ा पैसा लेकर अपने अकाउंट में पैसा न मंगवाए नहीं तो बड़े कानूनी पेंच में फंस सकते हैं.
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