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झांसी अग्निकांड: खुद की जुड़वां बेटियां नहीं बचीं, पर जलते वार्ड से 7 नवजात बच्चों को बचा लाए याकूब

UP MEDICAL COLLEGE FIR: याकूब की दो बच्चियां झांसी मेडिकल काॅलेज में उसी वार्ड में भर्ती थीं, जिसमें 15 नवंबर की रात आग लगी थी. वह अपनी मां और साले की मदद से दूसरे मासूमों को बचाते रहे... सुनिए- हिम्मती पिता की दर्दभरी कहानी

याकूब से खास बातचीत
याकूब से खास बातचीत (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 58 minutes ago

हमीरपुर: झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज में हुए अग्निकांड में 10 बच्चों की आग में झुलसने से मौत हो गई थी. आग नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र में शुक्रवार की रात तकरीबन 11 बजे लगी थी. वहीं, हमीरपुर जिले के राठ कस्बा निवासी याकूब के भी दो जुड़वा बच्चें उसी वार्ड में भर्ती थे. जिसकी जलकर दर्दनाक मौत हो गई थी. जिस शिशु वार्ड में आग लगी थी. याकूब ने खुद उसी वार्ड से 7 बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन वो अपने बच्चों को बाहर नहीं निकाल पाए.

रात 11 बजे लगी थी आग: गौरतलब हो कि 15 नवंबर को झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में रात तकरीबन 11 बजे भीषण आग लग गई थी. जिसमें 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी. जबकि, दो बच्चे ने बाद दम तोड़ दिया था. हमीरपुर जनपद के राठ कस्बे के सिकंदरपुरा मोहल्ला निवासी नजमा पत्नी याकूब की दो नवजात बालिकाओं को प्रसव के बाद सांस में तकलीफ होने पर एसएनसीयू में भर्ती करा दिया गया था. इस वार्ड में आग में जलकर दोनों बच्चियों की मौत हो गई. नवजात बेटियों की मौत के बाद परिवार में मातम पसरा है.

याकूब से खास बातचीत (Video Credit; ETV Bharat)
जुड़वा बच्चों को कराया था भर्तीः याकूब ने बताया कि उसकी पत्नी ने 9 नवंबर को दो जुड़वा बेटियों को मेडिकल कॉलेज में जन्म दिया था. जिसके बाद हालत ठीक न होने पर दोनों को NICU में भर्ती किया गया, तभी बीते 15 नवंबर की रात 11 बजे अचानक शॉर्ट शर्किट से NICU में आग लगी. जिससे मेडिकल में अफरा तफरी मच गई. शुक्रवार रात जब लगने की घटना घटी वह अपनी मां बिलकिस व साले रानू के साथ मेडिकल कॉलेज में बरामदे में बैठे थे. आग लगने की जानकारी होने पर वह एसएनसीयू यूनिट के बाहर पहुंच गए. जहां उनकी बेटियां थीं. वहां धुएं का गुबार भरा था. कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. अस्पताल कर्मी मौके से भाग चुके थे. उन्होंने अपनी मां व साले की मदद से यूनिट में भर्ती सात बच्चों को एक-एक कर बाहर निकाला. उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

दोनों बेटियों को नही बचा पाए: उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी नजमा अपनी बेटियों का मुंह भी नहीं देख पाई थी. बताया कि उन्होंने सात बच्चों को बचाया, लेकिन अपनी बेटियां को नहीं बचा पाए. याकूब तीन भाइयो में सबसे छोटा है. याकूब की एक वर्ष शादी हुई थी. याकूब बक्से की दुकान में कारीगर है.


यह भी पढ़ें: झांसी अग्निकांड; हमीरपुर के याकूब ने आग से बचाई थी 7 नवजात की जान, अपनी बेटियों को खोया

यह भी पढ़ें: झांसी अग्निकांड: एक और बच्चे की मौत, मृत बच्चों की संख्या 11 हुई, पीड़ित 9 परिवारों के खाते में ट्रांसफर हुए 5-5 लाख

हमीरपुर: झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज में हुए अग्निकांड में 10 बच्चों की आग में झुलसने से मौत हो गई थी. आग नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र में शुक्रवार की रात तकरीबन 11 बजे लगी थी. वहीं, हमीरपुर जिले के राठ कस्बा निवासी याकूब के भी दो जुड़वा बच्चें उसी वार्ड में भर्ती थे. जिसकी जलकर दर्दनाक मौत हो गई थी. जिस शिशु वार्ड में आग लगी थी. याकूब ने खुद उसी वार्ड से 7 बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन वो अपने बच्चों को बाहर नहीं निकाल पाए.

रात 11 बजे लगी थी आग: गौरतलब हो कि 15 नवंबर को झांसी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में रात तकरीबन 11 बजे भीषण आग लग गई थी. जिसमें 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी. जबकि, दो बच्चे ने बाद दम तोड़ दिया था. हमीरपुर जनपद के राठ कस्बे के सिकंदरपुरा मोहल्ला निवासी नजमा पत्नी याकूब की दो नवजात बालिकाओं को प्रसव के बाद सांस में तकलीफ होने पर एसएनसीयू में भर्ती करा दिया गया था. इस वार्ड में आग में जलकर दोनों बच्चियों की मौत हो गई. नवजात बेटियों की मौत के बाद परिवार में मातम पसरा है.

याकूब से खास बातचीत (Video Credit; ETV Bharat)
जुड़वा बच्चों को कराया था भर्तीः याकूब ने बताया कि उसकी पत्नी ने 9 नवंबर को दो जुड़वा बेटियों को मेडिकल कॉलेज में जन्म दिया था. जिसके बाद हालत ठीक न होने पर दोनों को NICU में भर्ती किया गया, तभी बीते 15 नवंबर की रात 11 बजे अचानक शॉर्ट शर्किट से NICU में आग लगी. जिससे मेडिकल में अफरा तफरी मच गई. शुक्रवार रात जब लगने की घटना घटी वह अपनी मां बिलकिस व साले रानू के साथ मेडिकल कॉलेज में बरामदे में बैठे थे. आग लगने की जानकारी होने पर वह एसएनसीयू यूनिट के बाहर पहुंच गए. जहां उनकी बेटियां थीं. वहां धुएं का गुबार भरा था. कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. अस्पताल कर्मी मौके से भाग चुके थे. उन्होंने अपनी मां व साले की मदद से यूनिट में भर्ती सात बच्चों को एक-एक कर बाहर निकाला. उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

दोनों बेटियों को नही बचा पाए: उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी नजमा अपनी बेटियों का मुंह भी नहीं देख पाई थी. बताया कि उन्होंने सात बच्चों को बचाया, लेकिन अपनी बेटियां को नहीं बचा पाए. याकूब तीन भाइयो में सबसे छोटा है. याकूब की एक वर्ष शादी हुई थी. याकूब बक्से की दुकान में कारीगर है.


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Last Updated : 58 minutes ago
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