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लखनऊ: होली बनानी हो स्पेशल तो इस्तेमाल करें केमिकल रहित रंग

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Published : Mar 9, 2020, 10:07 AM IST

होली रंगों का त्योहार है, लेकिन मार्केट में उपलब्ध ये रंग हानिकारक हो सकते हैं. ज्यादातर बाजार में उपलब्ध रंगों में केमिकल होता है, जो हमारी सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है. ऐसे में हमें क्या विकल्प चुनने चाहिए ये सीधे जानते हैं आयुर्वेदिक चिकित्सकों से, जिनसे ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की.

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रंग.

लखनऊ: रंगों के त्योहार होली पर बच्चे हो या बुजुर्ग हर कोई रंगों से खेलना पसंद करता है, लेकिन ये रंग हानिकारक हो सकते हैं. ऐसे में रंग अगर केमिकल रहित हों तो उससे बेहतर और क्या हो सकता है. ईटीवी भारत की टीम ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों से बातचीत की ताकि आप तक सही जानकारी पहुंचा सकें. आपकों बता सकें कि कैसे रंगों का प्रयोग करने से स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

होली पर करें केमिकल रहित रंगों का प्रयोग.

इस होली जरा भी परेशान न हों, क्योंकि डॉ. आरएन बाजपेयी और डॉ. आयुष्मान बत्रा ने सभी परेशानियों का समाधान कर दिया है. इसलिए बिना उत्साह कम किए जाने कि डॉक्टरों ने क्या कहा ?

क्या है डॉक्टरों का कहना ?

डॉक्टरों का कहना है कि प्राकृतिक चीजों से तैयार रंगों का प्रयोग करें. इन रंगों से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता. बाजार में मिलने वाले ज्यादातर रंगों में तरह-तरह के केमिकल पदार्थ मिले रहते हैं. ऐसे में रंगों को अगर घर में ही तैयार कर लिया जाए तो यह स्वास्थ्यवर्धक होगा.

रंग को बनाने में प्राकृतिक वस्तुओं को इस्तेमाल किया जाना चाहिए. गुलाबी रंग बनाने के लिए चुकंदर को कद्दुकस करके रख दें. इसी तरह टेसू के फूल का भी प्रयोग कर सकते हैं. उनसे भी रंगों को तैयार किया जाता है. इसी प्रकार अलग-अलग तरीकों से बहुत सारे रंग मिलाकर के बनाए जा सकते हैं, जिनसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी. इसी प्रकार हरा रंग बनाने के लिए पालक और नीम की पत्ती को पीसकर छान लें और फिर उससे रंग बनाएं. इस तरह ही लाल रंग बनाने के लिए गुड़हल के फूल को पीसकर छान लें...ऐसा करने से आपका प्राकृतिक रंग तैयार हो जाएगा.

पढ़ें: मऊ: कोरोना और महंगाई ने होली के बाजारों को किया फीका, रंग के भाव भी चढ़े

पीला रंग बनाने के लिए हल्दी का प्रयोग करें. इसी प्रकार केसरिया रंग बनाने के लिए टेसू के फूल रात भर गर्म पानी में भिगोए जा सकते हैं. इन रंगों को पिचकारी में भरकर भी खेला जा सकता है. इससे त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा.

लखनऊ: रंगों के त्योहार होली पर बच्चे हो या बुजुर्ग हर कोई रंगों से खेलना पसंद करता है, लेकिन ये रंग हानिकारक हो सकते हैं. ऐसे में रंग अगर केमिकल रहित हों तो उससे बेहतर और क्या हो सकता है. ईटीवी भारत की टीम ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों से बातचीत की ताकि आप तक सही जानकारी पहुंचा सकें. आपकों बता सकें कि कैसे रंगों का प्रयोग करने से स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

होली पर करें केमिकल रहित रंगों का प्रयोग.

इस होली जरा भी परेशान न हों, क्योंकि डॉ. आरएन बाजपेयी और डॉ. आयुष्मान बत्रा ने सभी परेशानियों का समाधान कर दिया है. इसलिए बिना उत्साह कम किए जाने कि डॉक्टरों ने क्या कहा ?

क्या है डॉक्टरों का कहना ?

डॉक्टरों का कहना है कि प्राकृतिक चीजों से तैयार रंगों का प्रयोग करें. इन रंगों से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता. बाजार में मिलने वाले ज्यादातर रंगों में तरह-तरह के केमिकल पदार्थ मिले रहते हैं. ऐसे में रंगों को अगर घर में ही तैयार कर लिया जाए तो यह स्वास्थ्यवर्धक होगा.

रंग को बनाने में प्राकृतिक वस्तुओं को इस्तेमाल किया जाना चाहिए. गुलाबी रंग बनाने के लिए चुकंदर को कद्दुकस करके रख दें. इसी तरह टेसू के फूल का भी प्रयोग कर सकते हैं. उनसे भी रंगों को तैयार किया जाता है. इसी प्रकार अलग-अलग तरीकों से बहुत सारे रंग मिलाकर के बनाए जा सकते हैं, जिनसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी. इसी प्रकार हरा रंग बनाने के लिए पालक और नीम की पत्ती को पीसकर छान लें और फिर उससे रंग बनाएं. इस तरह ही लाल रंग बनाने के लिए गुड़हल के फूल को पीसकर छान लें...ऐसा करने से आपका प्राकृतिक रंग तैयार हो जाएगा.

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पीला रंग बनाने के लिए हल्दी का प्रयोग करें. इसी प्रकार केसरिया रंग बनाने के लिए टेसू के फूल रात भर गर्म पानी में भिगोए जा सकते हैं. इन रंगों को पिचकारी में भरकर भी खेला जा सकता है. इससे त्वचा को कोई नुकसान नहीं होगा.

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