लखनऊः केजीएमयू के पीजी रेसिडेंट डॉक्टर दीपक गुप्ता को बर्खास्त कर दिया गया है. दरअसल रेजीडेंट डॉक्टर पर ट्रामा सेंटर से एक मरीज को मुंशी पुलिया के मंजू अस्पताल में भेजने का आरोप लगा था. इसमें निजी अस्पताल के कर्मचारी, एंबुलेंस ड्राइवर भी मौके पर पकड़े गए थे. इन सभी को पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया था.
इस पूरे मामले पर केजीएमयू प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा था. इसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने आरोपी डॉ. दीपक गुप्ता को उसी दिन मौखिक रूप से निलंबित कर दिया था, लेकिन अब इस पूरे मामले पर कुलपति के मौखिक आदेश पर निलंबन के बाद आरोपियों को पुलिस के हवाले करते हुए जांच शुरू कर दी गई थी.
अब जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद डॉक्टर को बर्खास्त करने की कार्रवाई की है. कार्रवाई से केजीएमयू में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन यह भी साफ है कि ट्रामा सेंटर में मरीज रेफर कराने में चिकित्सकों की संलिप्तता भी छिपी नहीं है.
दरअसल मरीज को रेफर किए जाने का भंडाफोड़ केजीएमयू ट्रामा सेंटर के पीआरओ टीम ने 8 फरवरी को किया था. उन्होंने संदेह पर कहा था न्यूरोसर्जरी वार्ड के बाहर क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के पीजी सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर दीपक गुप्ता, वहां खड़े एंबुलेंस ड्राइवर कुलदीप और अस्पताल कर्मचारी राजकुमार कुशवाहा को पकड़ा था.
उनसे पूछताछ की तो डॉक्टर दीपक ने अपनी पहचान छुपाते हुए खुद को दूसरे विभाग का डॉक्टर बताने लगे. इसके बाद विभाग में पूछा पर पता चला उस विभाग में इस नाम से कोई चिकित्सक ही नहीं है. हालांकि सुरक्षा गार्ड व कर्मचारियों ने आरोपियों को पकड़ लिया था.
डॉ. दीपक गुप्ता पर केजीएमयू प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया है. उन्होंने गलत काम करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सके. हमारे सुरक्षा गार्ड व कर्मचारियों ने आरोपियों को पकड़ लिया था.
-डॉक्टर सुधीर सिंह, प्रवक्ता ,केजीएमयू