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आम के बागों में लग रहे रोग, दवा नहीं कर रही काम

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Published : Apr 10, 2021, 11:04 PM IST

इस समय बागो में लग रहे रोगों से मलिहाबाद के बागवान परेशान हैं. इस समय आम के फसलों पर भुनगा, रूसी, और कटर रोग लग रहे हैं. रोगों से इसे बचाव के लिए किसान दवा का छिड़काव पेड़ों पर करा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है.

आम के बाग.
आम के बाग.

लखनऊः मलिहाबाद क्षेत्र के आम बागवानों के लिए समस्याए कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इस समय बागो में लग रहे रोगों से बगवान परेशान हैं. बागो में इस समय भुनगा, रूसी, और कटर रोग से बागवान चिंतित हैं. यह रोग आम की फसल में तेजी से लग रहा है. इससे बचाव के लिए किसान दवा का छिड़काव पेड़ों पर करा रहे हैं लेकिन फर्क पड़ता नही दिख रहा है. छोटू शर्मा, प्रमोद कुमार, अजयकांत मौर्य बागवान के अनुसार वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रूप से भुनगा, कटर कीट तथा रूजी रोग से क्षति पहुंचने की अधिक संभावना रहती है. जब गर्मी पड़ने लगती है तो यह रोग प्रभावी होता है. अधिकांश बागों में यह भुनगा कीट रोग बढ़ रहा है. बचाव के लिए दवा का छिड़काव करा रहे हैं.

इस तरह नुकसान पहुंचाता है भुनगा रूजी और कटर रोग
आम के बागों में भुनगा रूजी व कटर कीट कोमल पत्तियां एवं छोटे फलों के रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं. कटर छोटे-छोटे आम के फलों को खा जाता है तो वही रूजी फलों के रंगरूप को बदसूरत बना देती है, जिससे आम का फल सूखकर गिर जाता है. यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है, जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जम जाती है. आम के बौर में लगने वाला मिज कीट मंजरियों एवं तुरंत बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अंडे देती है, जिसकी सूड़ी अंदर ही अंदर फल को खाकर क्षति पहुंचाती है. प्रभावित आम का भाग काला पड़ कर सूख जाता है.
बार-बार छिड़काव कर हो गए परेशान
मलिहाबाद आम बगवान छोटू शर्मा ने बताया कि समय बागों में स्प्रे कर कर के थक गए हैं लेकिन रोग कम नहीं हो रहे है. अभी 3 दिन पहले ही भुनगे के खात्मे के लिए बागो में छिड़काव कराया था. भुनगा तो दूर साथ ही रूजी और कटर जैसे रोगों ने एक साथ हमला कर दिया है. अगर छिड़काव नहीं करते है तो फसल को नुकसान हो रहा है. वहीं, महंगी दवाओं से बार बार छिड़काव करने से खर्च बहुत आ रहा है. अभी आगे की मंडी का कुछ पता नहीं कि किस दामो में आम की बिक्री होंगी. हम बागवानों का आय का प्रमुख स्रोत आम के बाग ही है.
2-3 दिनों तक ही रहता है दवाओं का असर
आम के थोक आढ़ती तसव्वर शेख ने बताया कि कीटों के प्रकोप से मलिहाबाद का बागवान चिंतित हैं. दवाओं से छिड़काव का असर मात्र 2-3 दिनों तक ही रहता है. इसके बाद फिर से कीटों का प्रकोप शुरू हो जाता है. रूजी और भुनगे से आम की फसल को बहुत नुकसान हो रहा है. दवाएं इतनी महंगी है कि बागवानों और किसानों को समस्याएं हो रही हैं. सरकार मलिहाबाद के बागो में एग्रीकल्चर के लोगों को भेजकर दिखाएं. जिससे समस्या का कोई हल निकल सके.

यह भी पढ़ें-बढ़ते कोरोना संक्रमण से मलिहाबाद फलपट्टी के बागवान चिंतित

बागवानों को नहीं डरने की जरूरत
मुख्य उद्यान प्रभारी डॉ. राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि आम बागवानों को ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है. फलपट्टी क्षेत्र में बागो को देखा है, फसल बहुत अच्छी है. इस समय मौसम के उतार चढ़ाव में रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है. इस समय रूजी भुनगा और कटर का प्रकोप है. इन रोगों से बचाव के लिए आम बागवान 2 ग्राम थायोमेगजाजाम प्रति लीटर पानी की दर से य इमिडा क्लोरोपिड 0.3 प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. बागो में फफूंद लगने पर डायनोकैप 2 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करें.

लखनऊः मलिहाबाद क्षेत्र के आम बागवानों के लिए समस्याए कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इस समय बागो में लग रहे रोगों से बगवान परेशान हैं. बागो में इस समय भुनगा, रूसी, और कटर रोग से बागवान चिंतित हैं. यह रोग आम की फसल में तेजी से लग रहा है. इससे बचाव के लिए किसान दवा का छिड़काव पेड़ों पर करा रहे हैं लेकिन फर्क पड़ता नही दिख रहा है. छोटू शर्मा, प्रमोद कुमार, अजयकांत मौर्य बागवान के अनुसार वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रूप से भुनगा, कटर कीट तथा रूजी रोग से क्षति पहुंचने की अधिक संभावना रहती है. जब गर्मी पड़ने लगती है तो यह रोग प्रभावी होता है. अधिकांश बागों में यह भुनगा कीट रोग बढ़ रहा है. बचाव के लिए दवा का छिड़काव करा रहे हैं.

इस तरह नुकसान पहुंचाता है भुनगा रूजी और कटर रोग
आम के बागों में भुनगा रूजी व कटर कीट कोमल पत्तियां एवं छोटे फलों के रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं. कटर छोटे-छोटे आम के फलों को खा जाता है तो वही रूजी फलों के रंगरूप को बदसूरत बना देती है, जिससे आम का फल सूखकर गिर जाता है. यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है, जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जम जाती है. आम के बौर में लगने वाला मिज कीट मंजरियों एवं तुरंत बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अंडे देती है, जिसकी सूड़ी अंदर ही अंदर फल को खाकर क्षति पहुंचाती है. प्रभावित आम का भाग काला पड़ कर सूख जाता है.
बार-बार छिड़काव कर हो गए परेशान
मलिहाबाद आम बगवान छोटू शर्मा ने बताया कि समय बागों में स्प्रे कर कर के थक गए हैं लेकिन रोग कम नहीं हो रहे है. अभी 3 दिन पहले ही भुनगे के खात्मे के लिए बागो में छिड़काव कराया था. भुनगा तो दूर साथ ही रूजी और कटर जैसे रोगों ने एक साथ हमला कर दिया है. अगर छिड़काव नहीं करते है तो फसल को नुकसान हो रहा है. वहीं, महंगी दवाओं से बार बार छिड़काव करने से खर्च बहुत आ रहा है. अभी आगे की मंडी का कुछ पता नहीं कि किस दामो में आम की बिक्री होंगी. हम बागवानों का आय का प्रमुख स्रोत आम के बाग ही है.
2-3 दिनों तक ही रहता है दवाओं का असर
आम के थोक आढ़ती तसव्वर शेख ने बताया कि कीटों के प्रकोप से मलिहाबाद का बागवान चिंतित हैं. दवाओं से छिड़काव का असर मात्र 2-3 दिनों तक ही रहता है. इसके बाद फिर से कीटों का प्रकोप शुरू हो जाता है. रूजी और भुनगे से आम की फसल को बहुत नुकसान हो रहा है. दवाएं इतनी महंगी है कि बागवानों और किसानों को समस्याएं हो रही हैं. सरकार मलिहाबाद के बागो में एग्रीकल्चर के लोगों को भेजकर दिखाएं. जिससे समस्या का कोई हल निकल सके.

यह भी पढ़ें-बढ़ते कोरोना संक्रमण से मलिहाबाद फलपट्टी के बागवान चिंतित

बागवानों को नहीं डरने की जरूरत
मुख्य उद्यान प्रभारी डॉ. राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि आम बागवानों को ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है. फलपट्टी क्षेत्र में बागो को देखा है, फसल बहुत अच्छी है. इस समय मौसम के उतार चढ़ाव में रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है. इस समय रूजी भुनगा और कटर का प्रकोप है. इन रोगों से बचाव के लिए आम बागवान 2 ग्राम थायोमेगजाजाम प्रति लीटर पानी की दर से य इमिडा क्लोरोपिड 0.3 प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. बागो में फफूंद लगने पर डायनोकैप 2 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करें.

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