लखनऊ : जब छोटे थे पहाड़े याद नहीं होते थे तो टीचर छड़ी से पीटते थे. हालांकि अब टीचर व स्टूडेंट के बीच का व्यवहार बदल चुका है. यदि आपको जीवन में कुछ करना है तो टीचर को माता-पिता से भी अधिक सम्मान देना है. इसी तरह की बातों को बताकर स्कूल और जीवन में टॉप करने के टिप्स सूबे के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने दिए हैं. लखनऊ के चिल्ड्रन एकेडमी में गुरुवार को आयोजित 'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम के दौरान दोनों नेताओं ने शहर के 19 स्कूलों के छात्रों से ऐसी ही चर्चा की. बृजेश पाठक व सुधांशु त्रिवेदी ने कुछ अपनी कही और कुछ बच्चों से सुनी.
मॉल एवेन्यू स्थित चिल्ड्रन एकेडमी स्कूल में परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी पहुंचे थे. सबसे पहले बृजेश पाठक ने छात्रों के लिए सैंडविच मंगवाई और उसके बाद छात्रों के बीच जाकर उनसे संवाद किया. बृजेश पाठक ने छात्रों से कहा कि स्कूल में टॉप करने के कई तरीके होते है. टीचर जो पढ़ाये उनका पीछा नहीं छोड़ना चाहिए. जब तक समझ में न आ जाए तब तक उनसे पूछते रहना चाहिए. माता-पिता को रोजाना प्रणाम करना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण कि टीचर को माता-पिता से भी अधिक सम्मान देना चाहिए. कहा कि जो दिल लगा कर पढ़ाई करता है, मां-बाप व टीचर का सम्मान करता है वह बृजेश पाठक, सुधांशु त्रिवेदी या कुछ भी बड़ा बन सकता है. इस दौरान एक छात्रा ने बृजेश पाठक से सवाल पूछा कि आजकल के बच्चे टीचर का कहना ही नहीं मानते हैं वे जो कहते हैं हम उल्टा ही करते हैं. इस पर डिप्टी सीएम ने कहा कि जो माता-पिता और टीचर के कहे पर नहीं चलता वह कुछ भी नहीं बन सकेगा. उन्होंने कहा कि हमारा मन सिर्फ निगेटिव सोचता है, इसलिए हमें खुद पर मन को हावी नहीं होने देना है.
सुधांशु त्रिपाठी ने एक कहानी सुनाते हुए बच्चों से बात शुरू की. उन्होंने बताया कि एक मां ने 2 बेटों से कहा कि दूध गर्म है इसे छूना नहीं. पहले बेटे ने बात मानते हुए नहीं छुआ और आगे निकल गया. दूसरे बेटे ने यह सोच कर दूध छू लिया कि मैं मां के कहने पर क्यों फैसला लूं और उसने दूध का कटोरा छू लिया. जिसके बाद उसे संभलने में वक़्त लगा और पहला बेटा काफी आगे निकल गया. सुधांशु ने कहा कि यही जीवन का सार है कि जो जीवन में किसी बड़े के अनुभव से नहीं सीखता है. वह पीछे रह जाता है और पछताता है.
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि बच्चों को प्रभु श्रीराम के जीवन से सीखना चाहिए. श्रीराम सुबह उठ कर सबसे पहले अपने माता-पिता व गुरु को प्रणाम करते थे. इसके बाद नित्यक्रिया में जुटते थे. सुधांशु ने बच्चों से कहा कि हमें जीवन में पढ़ाई के साथ संस्कार भी सीखने होते है. आतंकी याकूब मेमन, अफजल गुरु, बुरहान वानी और अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला करने वाले आतंकी पढ़े लिखे थे. कोई साइंटिस्ट था तो कोई इंजीनयर और कोई चार्टेड इंकॉउंटेन. बावजूद इसके वे आतंकी बने. इसके पीछे उनमें संस्कार की कमी थी, जिस कारण वे पढ़ लिख कर भी आतंकी ही बने. इसी लिए कहा गया है कि मनुष्य व पशु में महज यही अंतर् है कि मनुष्य कला, संगीत और साहित्य जानता है, लेकिन पशु इन सब से विहीन है.
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