लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन के उपयोग को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश नगरीय निकाय विभाग की ओर से कंपनियों पर अब यह दबाव बनाया जाएगा कि वह जो भी चिप्स बेच रही हैं, उसके पैकेट को वापस लेकर ग्राहकों को अतिरिक्त डिस्काउंट दें. इससे पॉलिथीन के पैकट सड़क पर नहीं फेंके जाएंगे और उनको रीसायकल किया जा सकेगा. इसके अतिरिक्त स्थानीय निकाय निदेशालय अब छोटे दुकानदारों की जगह सीधे बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा.
उल्लंघन करने पर छह माह की सजा: प्रदेश में 50 माइक्रॉन से कम मोटाई की पॉलीथीन के निर्माण, बिक्री, भंडारण पर भी रोक लगा दी गई है. साथ ही, प्रतिबंधित पॉलीथीन बनाने और बेचने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है. 10 हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना और छह माह तक की जेल भेजने का प्रावधान किया गया है.
पांच लाख रुपये तक जुर्माना: इस प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने के लिए सरकार छापामारी का अभियान चलाती है. जिला प्रशासन, नगरीय निकाय, पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीमें गठित की गई हैं, जो कि कार्रवाई करती हैं. यह प्रतिबंध कारगर नहीं हो पाया है. इसके पहले दिसंबर 2015 में अखिलेश सरकार ने सूबे में पॉलीथीन के कैरीबैग्स पर प्रतिबंध लगाया था. इसके लिए सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम (Environment Protection Act) को भी मंजूरी दी थी. एक्ट में व्यवस्था थी कि अगर कोई प्रतिबंधित पॉलीथीन का इस्तेमाल करता पाया जाएगा, तो उसे छह महीने की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.
पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास: यह व्यवस्था पिछले सात साल से और सख्त तरीके से लागू की जा रही है. इसके बावजूद प्रतिबंधित पॉलीथिन के इस्तेमाल और उत्पादन पर रोक ठीक से लागू नहीं हो पा रही है. ऐसे में स्वच्छता रैंकिंग पर भी प्रभाव पड़ रहा है और उत्तर प्रदेश के नगर स्वच्छता रैंकिंग में अन्य राज्यों के मुकाबले पीछे रहे जा रहे हैं. अब नगर निकाय में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए कुछ नए प्रयास करने जा रहा है. उत्तर प्रदेश के नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने इस बारे में बताया कि जो भी कंपनियां उत्तर प्रदेश में काम कर रही है, उनको पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ बजट खर्च करना पड़ता है.
उत्तर प्रदेश में नयी व्यवस्था लागू: पॉलिथीन के उपयोग को कम करने के लिए और रीसायकिलिंग को लेकर हम नई व्यवस्था लागू करने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जितनी भी पोटैटो चिप्स और इसी तरह की अन्य कंपनी का काम कर रही हैं, उनसे बातचीत (yogi govt consulting companies for scheme) करके पॉलिथीन वापस करके कस्टमर को कुछ स्कीम या डिस्काउंट देने की योजना बनाई जाएगी. इससे युवा वर्ग प्रभावित होगा और वह पॉलिथीन रीसायकल होने में मदद करेगा. इससे सड़क पर पॉलिथीन नजर नहीं आएगी. हमें इस दिशा में प्रयासरत हैं और निकट भविष्य में यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश में लागू की जाएगी.
प्रोडक्शन हाउस पर कसेगा शिकंजा: उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन का उपयोग करने वाले छोटे दुकानदारों को नगर निगम परेशान नहीं करेगा. अमृत अभिजात ने बताया कि अब हम सीधे प्रोडक्शन हाउस पर शिकंजा कसेंगे, ताकि पॉलिथीन की बिक्री हो ही ना पाए. अगर उत्पादन ही रुक जाएगा, तो फिर पॉलिथीन बिकेगी कैसे. यही हमारी कोशिश है.
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