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मोती झील में गिर रहा गंदा नाला, धोबी समुदाय के लोग परेशान

लखनऊ के फैजुल्लागंज नगर निगम क्षेत्र में स्थित प्राकृतिक मोती झील की हालत बदतर हो चुकी है. नाली व सीवर का गंदा पानी उसमें गिर रहा है. पहले तमाम धोबी कपड़े धुल कर अपना रोजगार चलाते थे. वहीं अब धोबी समुदाय के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Feb 4, 2021, 11:03 AM IST

मोती झील में गिर रहा गंदा नाला,
मोती झील में गिर रहा गंदा नाला.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के फैजुल्लागंज नगर निगम क्षेत्र में स्थित प्राचीन मोती झील कॉलोनी और सीवर का पानी गिरने की वजह से संकट की कगार पर खड़ी है. इस झील में बताया जा रहा है कि पहले तमाम धोबी कपड़े धुल कर अपना रोजगार चलाते थे. साथ ही किसान आसपास के खेतों में सिंचाई के लिए इस झील का उपयोग किया करते थे. वहीं अब इस झील में सीवर का पानी गिरने की वजह से पानी गंदा हो गया है. जिससे धोबी समुदाय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मोती झील में गिर रहा गंदा नाला.

झील को संरक्षित करना जरूरी
बताया जा रहा है कि जिन लोगों के घर पर पानी की समस्या हुआ करती थी. वह भी उसे नहाने के प्रयोग में लिया करते थे. साथ ही इस झील की वजह से यहां का वाटर लेवल भी संतुलित रहता था. इस झील में गंदा पानी गिरने की वजह से जहां एक तरफ धोबी समुदाय का रोजगार छीना है, तो वहीं आसपास के रहने वाले लोगों को गंदे पानी में पनपते कीड़ों और गंदगी की वजह से बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. इस झील में पानी पीने वाले जानवर पानी पीकर बीमार हो जाते हैं. लोगों ने बताया कि पहले भी कई जानवर इस झील का पानी पीकर मर भी चुके हैं. यह झील खसरा संख्या 69 गाजीपुर बलराम के नाम से सरकारी अभिलेखों में 3.5 बीघे में दर्ज है. जिसका अस्तित्व खत्म होते-होते वर्तमान समय में मात्र डेढ़ बीघा बचा है. अगर इस झील को संरक्षित नहीं किया गया, तो यह झील एक दिन अपना अस्तित्व खो बैठेगा.

इस मामले को लेकर जलकल विभाग से बात की तो उन्होंने बताया कि यह हमारे क्षेत्र से संबंधित नहीं है. न ही इसको लेकर हमने कोई अनुमति पत्र दिया गया है. इसमें नगर निगम की भूमिका है. साथ ही नगर निगम क्षेत्र के लेखपाल सुशील कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि आज तक इस तालाब पर कोई सुंदरीकरण और न ही कोई मरम्मत कार्य किया गया है.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के फैजुल्लागंज नगर निगम क्षेत्र में स्थित प्राचीन मोती झील कॉलोनी और सीवर का पानी गिरने की वजह से संकट की कगार पर खड़ी है. इस झील में बताया जा रहा है कि पहले तमाम धोबी कपड़े धुल कर अपना रोजगार चलाते थे. साथ ही किसान आसपास के खेतों में सिंचाई के लिए इस झील का उपयोग किया करते थे. वहीं अब इस झील में सीवर का पानी गिरने की वजह से पानी गंदा हो गया है. जिससे धोबी समुदाय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मोती झील में गिर रहा गंदा नाला.

झील को संरक्षित करना जरूरी
बताया जा रहा है कि जिन लोगों के घर पर पानी की समस्या हुआ करती थी. वह भी उसे नहाने के प्रयोग में लिया करते थे. साथ ही इस झील की वजह से यहां का वाटर लेवल भी संतुलित रहता था. इस झील में गंदा पानी गिरने की वजह से जहां एक तरफ धोबी समुदाय का रोजगार छीना है, तो वहीं आसपास के रहने वाले लोगों को गंदे पानी में पनपते कीड़ों और गंदगी की वजह से बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. इस झील में पानी पीने वाले जानवर पानी पीकर बीमार हो जाते हैं. लोगों ने बताया कि पहले भी कई जानवर इस झील का पानी पीकर मर भी चुके हैं. यह झील खसरा संख्या 69 गाजीपुर बलराम के नाम से सरकारी अभिलेखों में 3.5 बीघे में दर्ज है. जिसका अस्तित्व खत्म होते-होते वर्तमान समय में मात्र डेढ़ बीघा बचा है. अगर इस झील को संरक्षित नहीं किया गया, तो यह झील एक दिन अपना अस्तित्व खो बैठेगा.

इस मामले को लेकर जलकल विभाग से बात की तो उन्होंने बताया कि यह हमारे क्षेत्र से संबंधित नहीं है. न ही इसको लेकर हमने कोई अनुमति पत्र दिया गया है. इसमें नगर निगम की भूमिका है. साथ ही नगर निगम क्षेत्र के लेखपाल सुशील कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि आज तक इस तालाब पर कोई सुंदरीकरण और न ही कोई मरम्मत कार्य किया गया है.

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