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DIOS के पत्र से लखनऊ के एडेड स्कूलों में खलबली, जानिए पूरा मामला - लखनऊ के एडेड स्कूलों में खलबली

जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों से उनकी प्रबंध समिति के संबंध में सूचनाएं मांगी है. निर्देशों के मुताबिक यदि सूचनाओं को उपलब्ध नहीं कराया गया तो शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन जारी नहीं किया जाएगा.

DIOS के पत्र से लखनऊ के एडेड स्कूलों में खलबली
DIOS के पत्र से लखनऊ के एडेड स्कूलों में खलबली
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Published : Jun 8, 2021, 9:57 PM IST

लखनऊ: सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में इस समय खलबली मची हुई है. इसका कारण जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से जारी एक पत्र है. विभाग ने सभी सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों से उनकी प्रबंध समिति के संबंध में सूचनाएं मांगी है. डीआईओएस ने पूछा है कि क्या यह समितियां कालातीत तो नहीं हो गई हैं.

ये है पूरा मामला

दरअसल, लखनऊ में कई ऐसे सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं, जिनका संचालन करने वाली प्रबंध समितियों की वैधता काफी समय पहले समाप्त हो चुकी है. इनमें बैठे कुछ लोग स्कूल पर कब्जा जमाए रहने के लिए दोबारा चुनाव नहीं कराने देते, जो कि नियमानुसार गलत है. इन परिस्थितियों में माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा सीधे तौर पर स्कूल को अधिकृत कर संचालित करने की व्यवस्था है. अब हालात यह है कि सूचनाएं उपलब्ध कराने के बजाय स्कूल प्रबंधन इससे बचने की जुगाड़ तलाशने में जुटा हुआ है. ऐसे में जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा है कि अगर किसी स्कूल की तरफ से सूचना नहीं उपलब्ध कराई गई, तो वहां के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाएगा.

राजधानी में हैं 100 से ज्यादा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय

वर्तमान में राजधानी में 100 से ज्यादा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. इनमें से तमाम स्कूल शहर से संचालित हो रहे हैं. इन विद्यालयों में बड़े-बड़े भवन और खेल के मैदान हैं, जिनपर भू-माफियाओं की नजरें हैं. बीते दिनों राजधानी के सबसे व्यस्त इलाके लालबाग में पुराने एलडीए ऑफिस के सामने बने लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज को गिराने की कोशिश की गई. इस तरह के प्रयास करने के बाद विफल हो चुके माफियाओं ने अब कानूनी ढंग से इन पर नियंत्रण का खेल शुरू कर दिया है. ये लोग स्कूलों की प्रबंध समितियों के माध्यम से कब्जा करने में लगे हुए हैं. शिक्षा विभाग के नियमों के तहत इन प्रबंध समितियों का नियमित चुनाव होना चाहिए. चुनी हुई प्रबंध समिति ही मान्य होती है. विद्यालयों पर कब्जा करने की नियत से समितियों का चुनाव नहीं होने दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें: अखिलेश यादव के यूटर्न पर क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, सुनिए...

'सूचना नहीं तो वेतन नहीं'

जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह इस षड्यंत्र को रोकने के लिए एक्टिव मोड में आ गए हैं. मुकेश कुमार ने स्कूलों के भविष्य को बचाने के लिए प्रबंध समिति से जुड़ी सूचनाएं मांगी है. उनकी ओर से जारी पत्र में साफ कह दिया गया है कि जो स्कूल इन सूचनाओं को उपलब्ध नहीं कराएंगे वहां के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन जारी नहीं किया जाएगा. डीआईओएस की इस कार्रवाई के बाद से सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की प्रबंध समितियों के पसीने छूटे हुए हैं.

लखनऊ: सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में इस समय खलबली मची हुई है. इसका कारण जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से जारी एक पत्र है. विभाग ने सभी सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों से उनकी प्रबंध समिति के संबंध में सूचनाएं मांगी है. डीआईओएस ने पूछा है कि क्या यह समितियां कालातीत तो नहीं हो गई हैं.

ये है पूरा मामला

दरअसल, लखनऊ में कई ऐसे सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं, जिनका संचालन करने वाली प्रबंध समितियों की वैधता काफी समय पहले समाप्त हो चुकी है. इनमें बैठे कुछ लोग स्कूल पर कब्जा जमाए रहने के लिए दोबारा चुनाव नहीं कराने देते, जो कि नियमानुसार गलत है. इन परिस्थितियों में माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा सीधे तौर पर स्कूल को अधिकृत कर संचालित करने की व्यवस्था है. अब हालात यह है कि सूचनाएं उपलब्ध कराने के बजाय स्कूल प्रबंधन इससे बचने की जुगाड़ तलाशने में जुटा हुआ है. ऐसे में जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा है कि अगर किसी स्कूल की तरफ से सूचना नहीं उपलब्ध कराई गई, तो वहां के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाएगा.

राजधानी में हैं 100 से ज्यादा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय

वर्तमान में राजधानी में 100 से ज्यादा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. इनमें से तमाम स्कूल शहर से संचालित हो रहे हैं. इन विद्यालयों में बड़े-बड़े भवन और खेल के मैदान हैं, जिनपर भू-माफियाओं की नजरें हैं. बीते दिनों राजधानी के सबसे व्यस्त इलाके लालबाग में पुराने एलडीए ऑफिस के सामने बने लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज को गिराने की कोशिश की गई. इस तरह के प्रयास करने के बाद विफल हो चुके माफियाओं ने अब कानूनी ढंग से इन पर नियंत्रण का खेल शुरू कर दिया है. ये लोग स्कूलों की प्रबंध समितियों के माध्यम से कब्जा करने में लगे हुए हैं. शिक्षा विभाग के नियमों के तहत इन प्रबंध समितियों का नियमित चुनाव होना चाहिए. चुनी हुई प्रबंध समिति ही मान्य होती है. विद्यालयों पर कब्जा करने की नियत से समितियों का चुनाव नहीं होने दिया जा रहा है.

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'सूचना नहीं तो वेतन नहीं'

जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह इस षड्यंत्र को रोकने के लिए एक्टिव मोड में आ गए हैं. मुकेश कुमार ने स्कूलों के भविष्य को बचाने के लिए प्रबंध समिति से जुड़ी सूचनाएं मांगी है. उनकी ओर से जारी पत्र में साफ कह दिया गया है कि जो स्कूल इन सूचनाओं को उपलब्ध नहीं कराएंगे वहां के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन जारी नहीं किया जाएगा. डीआईओएस की इस कार्रवाई के बाद से सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की प्रबंध समितियों के पसीने छूटे हुए हैं.

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