लखनऊ: राजधानी दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के सामने वकीलों और पुलिस के बीच हुई हिंसा की चर्चाएं पूरे देश में हो रही हैं, जिस तरीके से वकीलों ने थाने में पहुंचकर मारपीट की और आग लगा दी. उसको लेकर पुलिस कर्मचारियों में काफी आक्रोश है.
मंगलवार को दिल्ली पुलिस के जवानों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया. पुलिस कर्मचारी द्वारा किए गए प्रदर्शन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. एक अनुशासित विभाग होने के बावजूद इस तरीके के प्रदर्शन को सही नहीं ठहराया जा रहा है, क्योंकि पुलिस के इस तरीके के प्रदर्शन से जनता असुरक्षित महसूस करती है.
वकीलों के ऊपर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं होती
इस सबके बीच एक सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इस तरीके के विवादों का हल क्या है? दिल्ली ही नहीं उत्तर प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश में भी पिछले समय वकीलों की झड़प की कई घटनाएं सामने आईं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर वकील पेशा लगातार इतना हिंसक और आक्रामक क्यों होता जा रहा है? क्यों मारपीट की घटनाओं में वकीलों के ऊपर ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती हैं?
सरकार और हाईकोर्ट गंभीरता से लें मामला
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि वकालत के पेशे में कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी शामिल हो गए हैं, जिसके चलते माहौल सा बन गया है और वकील बात-बात पर मारपीट करने पर उतारू रहते हैं. इस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है. सरकार को और हाईकोर्ट को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.
पूर्व डीजीपी व वकील सुलखान सिंह बोले
इसी के साथ ही बार एसोसिएशन को भी ऐसे वकीलों को चिन्हित करना करना होगा जो अपराधी प्रवृत्ति के हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. एक सवाल के जवाब में पूर्व डीजीपी व वकील सुलखान सिंह ने कहा कि पुलिस विभाग में कुछ कर्मचारी भले ही आमजन से अभद्रता करते हों, लेकिन वकील पेशे से पुलिस अभद्रता नहीं करती. इस मामले में वकील पेशा पुलिस पर हावी रहता है, जिसका कारण बार एसोसिएशन कि राजनीति है, क्योंकि बड़े पैमाने पर रहते वकील है जो प्रैक्टिस नहीं करते, लेकिन काला कोट पहन के कई अन्य कामों में संलिप्त रहते हैं.
मनोबल बढ़ने से होती हैं घटनाएं
इन्हें वोट देने का अधिकार होता है लिहाजा यह अपने संख्या बल के दम पर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर दबाव बनाने में कामयाब हो जाते हैं. जिसका फायदा इनको आगे की कानूनी कार्रवाई में मिलता है जिससे इनका मनोबल बढ़ता है और इस तरीके की घटनाएं सामने आती हैं.
पार्किंग को लेकर हुआ था विवाद
दिल्ली उत्तर के अतिरिक्त डीसीपी हरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को तीस हजारी कोर्ट में पुलिस व वकील के बीच पार्किंग को लेकर विवाद हो गया था, जिसके बाद भारी संख्या में वकील इकट्ठा हो गए और वह लॉकअप में जाने का प्रयास करने लगे. जब वकील लॉकअप के अंदर नहीं पहुंच सके तो उन्होंने लॉकअप को तोड़ना चाहा, लेकिन जब वह लोग लॉकअप को तोड़ने में नाकामयाब रहे तो उन्होंने गेट के पास दो बाइक में आग लगा दी. कुछ गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ.
पुलिस ने किया प्रदर्शन
हालांकि दिल्ली के वकील पुलिस की इस बात से सहमत नहीं हैं. मंगलवार सुबह पुलिस विभाग के जवानों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर आरटीओ स्थित दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर के बाहर प्रदर्शन किया. इसके बाद कर्मचारियों को शांत कराने के लिए पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को मौके पर आना पड़ा और उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित कर शांत रहने की बात कही.
वकीलों के रवैये को लेकर है आक्रोश
इसके बाद भी काफी देर तक पुलिस कर्मचारी शांत नहीं हुए और उन्होंने जमकर नारेबाजी की. नारेबाजी के दौरान पुलिस कर्मचारियों ने कहा कि 'दिल्ली पुलिस कमिश्नर कैसा हो किरण बेदी जैसा हो' पुलिस कर्मचारियों के इस रवैया से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कर्मचारियों में वकीलों के रवैये को लेकर कितना आक्रोश है. दिल्ली ही नहीं कई अन्य क्षेत्रों से भी पुलिस के विरोध के मामले सामने आ रहे हैं.