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यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक, जानिए क्यों फिर बन रहे ऐसे समीकरण

उत्तर प्रदेश सरकार और यूपीएससी की खींचतान के बीच स्थाई डीजीपी का चयन अटका हुआ है. वरिष्ठता के आधार पर कई अफसर डीजीपी चयन प्रक्रिया के दायरे में हैं, लेकिन सरकार अभीतक सिर्फ कार्यवाहक डीजीपी के सहारे काम चला रही है.

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Published : May 24, 2023, 7:50 PM IST

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यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा कि लगातार तीसरी बार कार्यवाहक डीजीपी की ही तैनाती होगी. ये इसलिए माना जा रहा है क्योंकि 31 मई को मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी आरके विश्वकर्मा का रिटायरमेंट है और अब तक सरकार द्वारा यूपीएससी को डीजीपी के चयन हेतु प्रस्ताव नही भेजा जा सका है. हालांकि वरिष्ठता के तहत नए डीजीपी के लिए आनंद कुमार और विजय कुमार डीजीपी पद की दौड़ में आगे हैं.

यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.
यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.

लगातार तीसरी बार कार्यवाहक डीजीपी बनने की संभावना : 11 मई 2022 को डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया और फिर 31 मार्च को आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके पीछे का कारण सरकार द्वारा डीजीपी के चयन हेतु प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को न भेजना था. ऐसे में बीते एक वर्ष से राज्य में स्थाई डीजीपी तय नहीं हो पाया. अब जब आरके विश्वकर्मा भी 31 मई को रिटायर हो रहे है और कयास लगाए का रहे हैं. अब तक सरकार ने यूपीएससी को प्रस्ताव नहीं भेजा तो क्या कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक लगाई जाएगी. ऐसे में ये जानना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर इतने डीजी होने के बाद भी कार्यवाहक डीजीपी बनने की दौड़ में कौन कौन अधिकारी शामिल हैं.

यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.
यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.
जटिल सियासी व प्रशासनिक समीकरण : वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला कहते हैं कि वैसे तो यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह किस अधिकारी से काम लेना चाहती है और किससे नहीं. यह जरूर है कि एक बड़ी फोर्स को उसका स्थाई डीजीपी नहीं मिल पा रहा है यह चिंताजनक है. पहले पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक से हटा देना फिर यूपीएससी का प्रस्ताव लौटाते हुए मुकुल गोयल को हटाए जाने का कारण पूछना यह दिखाता है कि आयोग सरकार द्वारा पुलिस चीफ के चयन प्रक्रिया से अधिक खुश नहीं है. ज्ञानेंद्र कहते हैं कि यूपी में सियासी और प्रशासनिक समीकरण इस कदर जटिल हैं और पसंद व नापसंद के पेंच इतने उलझे हुए हैं कि लंबे वक्त से यूपी में स्थाई डीजीपी नहीं मिल सका है.यह भी पढ़ें : पांच वर्ष से छोटे बच्चे हो रहे वीडियो गेम के एडिक्टेड, जानिए कैसे छुड़ाएं मोबाइल की लत

यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा कि लगातार तीसरी बार कार्यवाहक डीजीपी की ही तैनाती होगी. ये इसलिए माना जा रहा है क्योंकि 31 मई को मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी आरके विश्वकर्मा का रिटायरमेंट है और अब तक सरकार द्वारा यूपीएससी को डीजीपी के चयन हेतु प्रस्ताव नही भेजा जा सका है. हालांकि वरिष्ठता के तहत नए डीजीपी के लिए आनंद कुमार और विजय कुमार डीजीपी पद की दौड़ में आगे हैं.

यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.
यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.

लगातार तीसरी बार कार्यवाहक डीजीपी बनने की संभावना : 11 मई 2022 को डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया और फिर 31 मार्च को आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके पीछे का कारण सरकार द्वारा डीजीपी के चयन हेतु प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को न भेजना था. ऐसे में बीते एक वर्ष से राज्य में स्थाई डीजीपी तय नहीं हो पाया. अब जब आरके विश्वकर्मा भी 31 मई को रिटायर हो रहे है और कयास लगाए का रहे हैं. अब तक सरकार ने यूपीएससी को प्रस्ताव नहीं भेजा तो क्या कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक लगाई जाएगी. ऐसे में ये जानना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर इतने डीजी होने के बाद भी कार्यवाहक डीजीपी बनने की दौड़ में कौन कौन अधिकारी शामिल हैं.

यूपी में लग सकती है कार्यवाहक डीजीपी की हैट्रिक.
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जटिल सियासी व प्रशासनिक समीकरण : वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला कहते हैं कि वैसे तो यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह किस अधिकारी से काम लेना चाहती है और किससे नहीं. यह जरूर है कि एक बड़ी फोर्स को उसका स्थाई डीजीपी नहीं मिल पा रहा है यह चिंताजनक है. पहले पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल को अचानक से हटा देना फिर यूपीएससी का प्रस्ताव लौटाते हुए मुकुल गोयल को हटाए जाने का कारण पूछना यह दिखाता है कि आयोग सरकार द्वारा पुलिस चीफ के चयन प्रक्रिया से अधिक खुश नहीं है. ज्ञानेंद्र कहते हैं कि यूपी में सियासी और प्रशासनिक समीकरण इस कदर जटिल हैं और पसंद व नापसंद के पेंच इतने उलझे हुए हैं कि लंबे वक्त से यूपी में स्थाई डीजीपी नहीं मिल सका है.यह भी पढ़ें : पांच वर्ष से छोटे बच्चे हो रहे वीडियो गेम के एडिक्टेड, जानिए कैसे छुड़ाएं मोबाइल की लत
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