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डीजीपी ने दिए निर्देश, आईटी एक्ट की धारा 66A का न करें प्रयोग - आईटी एक्ट की धारा 66 ए का यूपी में नहीं होगा प्रयोग

प्रदेश के डीजीपी ने सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आईटी एक्ट की धारा 66 A का प्रयोग न करें. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके तहत कोई भी एफआईआर दर्ज न की जाए.

डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी.
डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी.
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Published : Nov 23, 2020, 11:00 PM IST

Updated : Nov 24, 2020, 6:37 AM IST

लखनऊ: प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश किया है कि किसी भी दशा में धारा 66A के तहत एफआईआर न दर्ज की जाए. आईटी एक्ट की धारा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक ठहराया गया है. इसके बाद भी इस धारा के तहत अभी भी प्रदेश के जिलों में मुकदमे दर्ज किए जा रहे थे. इस संबंध में लगातार शिकायतें मिल रही थी. डीजीपी ने कहा है कि सभी अधिकारी आईटी एक्ट को ठीक से समझ लें और अपने अधीनस्थों को इस बारे में पता दें कि उक्त धारा का प्रयोग नहीं करना है.


क्या है धारा 66 A
आईटी एक्ट की धारा 66 A को सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पारित निर्णय का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक माना है. इसके बाद भी प्रदेश के जिलों में अभी भी इस धारा के तहत पुलिस मुकदमा दर्ज कर रही थी. इस धारा के तहत कंप्यूटर या संचार उपकरणों के माध्यम से कोई भी अपमानजनक या अवैध एवं खतरनाक सूचना भेजना दंडनीय अपराध माना गया था.

लखनऊ: प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश किया है कि किसी भी दशा में धारा 66A के तहत एफआईआर न दर्ज की जाए. आईटी एक्ट की धारा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक ठहराया गया है. इसके बाद भी इस धारा के तहत अभी भी प्रदेश के जिलों में मुकदमे दर्ज किए जा रहे थे. इस संबंध में लगातार शिकायतें मिल रही थी. डीजीपी ने कहा है कि सभी अधिकारी आईटी एक्ट को ठीक से समझ लें और अपने अधीनस्थों को इस बारे में पता दें कि उक्त धारा का प्रयोग नहीं करना है.


क्या है धारा 66 A
आईटी एक्ट की धारा 66 A को सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पारित निर्णय का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक माना है. इसके बाद भी प्रदेश के जिलों में अभी भी इस धारा के तहत पुलिस मुकदमा दर्ज कर रही थी. इस धारा के तहत कंप्यूटर या संचार उपकरणों के माध्यम से कोई भी अपमानजनक या अवैध एवं खतरनाक सूचना भेजना दंडनीय अपराध माना गया था.

Last Updated : Nov 24, 2020, 6:37 AM IST
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