लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान के रिटायरमेंट होने पर पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के डीजी आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी वरिष्ठता के आधार पर इस पद के मुख्य दावेदारों की सूची में वह सबसे ऊपर हैं. हालांकि वे दो माह बाद मई में रिटायर हो रहे हैं. हालांकि अब तक सरकार ने यूपीएससी को डीजीपी के लिए अधिकारियों का पैनल नहीं भेजा है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि आयोग द्वारा जब तक तीन नाम तय नहीं किए जाते है तब तक आरके विश्वकर्मा कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर कार्य करते रहेंगे. आरके विश्वकर्मा को साफ सुथरी छवि के आईपीएस अधिकारी के रूप में जाना जाता है. उन्हें समय-समय पर योगी सरकार ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.
11 माह कार्यवाहक डीजीपी के बाद फिर से हुई कार्यवाहक की तैनाती : वर्ष 2022 में 11 मई को मुकुल गोयल को डीजीपी पद से हटा दिया था. इसके बाद 13 मई को देवेंद्र सिंह चौहान कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए थे. वहीं डेढ़ माह बाद सरकार ने यूपीएससी को 30 वर्ष की पुलिस सेवा पूरी कर चुके आईपीएस अधिकारियों का एक पैनल भेजा था. हालांकि सितंबर 2022 को यूपीएससी ने सरकार का प्रस्ताव वापस भेजते हुए सरकार से कई बिंदुओं पर सवाल पूछे थे. जिसका जवाब फिलहाल सरकार की ओर से नहीं दिया गया और डीएस चौहान कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर 11 माह तक कार्य करते रहे. नियमानुसार यूपीएससी को डीजीपी पद के लिए प्रस्ताव भेजने के लिए तीन माह पहले ही नोटिफिकेशन जारी करना होता है, लेकिन सरकार के द्वारा अब तक जारी नहीं किया गया है. ऐसे में सरकार अगले माह तक आयोग को पैनल भेजेगी तब तक विश्वकर्मा कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर कार्य करते रहेंगे.
वहीं डीएस चौहान को राज्य सुरक्षा सलाहकार बनाया जा सकता है. हालांकि राज्य में इस तरह का कोई पद नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की तर्ज पर राज्य सुरक्षा सलाहकार का पद सृजित किए जाने की संभावनाओं पर विचार जरूर चल रहा है. रिटायरमेंट होने के बाद डीएस चौहान की विदाई के लिए परंपरागत परेड का भी आयोजन नहीं किया जा रहा है.