लखनऊः योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ एसपी ने बिगुल फूंक दिया है. वे योगी सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदेश भर के तहसील मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव राजधानी लखनऊ में होने के बावजूद सड़क पर नहीं उतरे और कार्यकर्ताओं के साथ धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए. जिसको लेकर तमाम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं.
तहसील मुख्यालयों पर एसपी ने दिया धरना
उत्तर प्रदेश पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया. उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था सहित कई मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन का ऐलान कर दिया. जिसके बाद गुरुवार को एसपी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भर के तहसील मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन भी किया. जिसमें पुलिस प्रशासन और उनके बीच नोकझोंक भी हुई.
तहसील मुख्यालयों पर एसपी ने दिया धरना
हैरानी इस बात की रही कि सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने के बाद समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव नदारद ही रहे. वे कहीं भी एसपी के धरना प्रदर्शन में शामिल होने नहीं पहुंचे. जबकि वे राजधानी लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने आवास और पार्टी मुख्यालय पर ही थे. लेकिन गोमती नगर विस्तार स्थित सदर तहसील मुख्यालय में धरना प्रदर्शन में भी नहीं पहुंचे. जबकि इससे उनके घर की दूरी महज 11 किलोमीटर है. लेकिन कार्यकर्ता सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं, और मुखिया घर में कुर्सी तोड़ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे कैसे अखिलेश यादव योगी सरकार को हिला पाएंगे.
कार्यकर्ताओं में होती रही कानाफूसी
धरना प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अखिलेश यादव के न पहुंचने को लेकर तमाम तरह की कानाफूसी हो रही थी. कुछ कार्यकर्ताओं को ये उम्मीद थी कि राजधानी में होने की वजह से वे धरना प्रदर्शन में जरूर शामिल होंगे. लेकिन उन्हें अपने नेता से मायूसी हाथ लगी. धरना प्रदर्शन की कवरेज कर रहे ईटीवी भारत की टीम ने जब कई पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से इसको लेकर सवाल पूछे तो उनकी मायूसी साफ-साफ दिखी. उन्होंने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि अगर पार्टी अध्यक्ष इस प्रदर्शन में शामिल होते तो हम कार्यकर्ताओं का मनोबल दोगुना बढ़ा होता. लेकिन उन्होंने प्रदर्शन में शामिल न होकर कार्यकर्ताओं को मायूस किया है.
इसे भी पढ़ें- यूपी दौरे से पहले प्रियंका गांधी ने बोला हमला, कहा- पीएम मोदी के सर्टिफिकेट से योगी सरकार की सच्चाई छिप नहीं सकती
ऐसे में ये सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी जब योगी सरकार के खिलाफ प्रदेशव्यापी धरना प्रदर्शन कर रही है. इस प्रदर्शन में तमाम एसपी के बड़े नेताओं ने शिरकत की. लेकिन पार्टी का मुखिया ही नदारद रहा. तो ऐसे कैसे वे बीजेपी सरकार को सत्ता से बेदखल कर पाएंगे. बगैर जमीन पर उतरे उनके सपनों की सरकार कैसे बनेगी.
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना विपक्ष का अधिकार और कतर्व्य दोनों हैं. काफी दिनों बाद ये अवसर आया कि विपक्ष ने प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. लेकिन कार्यकर्ताओं के उत्साह में कमी देखने को मिली. उसकी वजह है समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का धरना प्रदर्शन में न पहुंचना. अगर पूर्व सीएम अखिलेश यादव प्रदर्शन में शामिल हो जाते तो निश्चित रूप से उनका होना पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच संजीवनी का काम करता. उधर, काशी की धरती से पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिस तरह से प्रसंशा की. उससे साफ हो गया कि बीजेपी आलाकमान सीएम योगी के कामों से संतुष्ट है, और अगला विधानसभा का चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. ऐसे में उनको चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी ने अभी से कमर तो कसी, लेकिन उस चुनौती में पार्टी का मुखिया ही न हो तो इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर जाता है. अगर अखिलेश प्रदर्शन में शामिल होते तो कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच एक अलग संदेश जाता. इस मामले में ये कहना गलत न होगा कि एसपी नेतृत्व की यहां रणनीतिक चूक हुई है.
इसे भी पढ़ें- योगी को मिल रही तारीफ पे तारीफ, मोदी के बाद नड्डा ने कही ये बड़ी बात