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सपा के इस दांव में फंसे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, हारे चुनाव

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Published : Mar 10, 2022, 7:30 PM IST

Updated : Mar 10, 2022, 10:31 PM IST

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपने बेबाक अंदाज और ओबीसी मतदाताओं के बीच अपनी पैठ को लेकर जाने जाते हैं. लेकिन हौरानी की बात यह है कि वो अपने ही गढ़ में सपा गठबंधन प्रत्याशी पल्लवी पटेल से पराजित हो गए. वहीं, इस बीच केशव प्रसाद मौर्य के समर्थक दोबारा काउंटिंग की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किए.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपने बेबाक अंदाज और ओबीसी मतदाताओं के बीच अपनी पैठ को लेकर जाने जाते हैं. लेकिन हौरानी की बात यह है कि वो अपने ही गढ़ में कौशांबी के सिराथू विधानसभा सीट से सपा गठबंधन प्रत्याशी पल्लवी पटेल से 7337 वोटों से पराजित हो गए. पल्लवी पटेल को 106278 वोट मिले, जबकि बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य को 98941 वोट ही मिले. इसके बाद केशव प्रसाद ने ट्वीट कर अपनी हार स्वीकार की है. उन्होंने ट्वीट किया है ' सिराथू विधानसभा क्षेत्र की जनता के फ़ैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं,एक एक कार्यकर्ता के परिश्रम के लिए आभारी हूं,जिन मतदाताओं ने वोट रूपी आशीर्वाद दिया उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं.

  • सिराथू विधानसभा क्षेत्र की जनता के फ़ैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूँ,एक एक कार्यकर्ता के परिश्रम के लिए आभारी हूँ,जिन मतदाताओं ने वोट रूपी आशीर्वाद दिया उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ,

    — Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) March 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

2022 के चुनावी प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा केशव प्रसाद मौर्य एक मात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने सैकड़ों रैलियां व रोड शो कर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में माहौल बनाने का काम किया. हालांकि, भाजपा के एक नेता ने कहा कि वो अपने अति व्यस्त कार्यक्रमों के कारण सही तरीके से अपने चुनावी क्षेत्र में प्रचार नहीं कर सके. लेकिन इस परिणाम का किसी को उम्मीद नहीं थी. वहीं, इस बीच केशव प्रसाद मौर्य के समर्थक दोबारा काउंटिंग की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किए.

दोबारा काउंटिंग की मांग

जानें पिछड़ने की वजहें
सिराथू में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ सपा ने अपने सहयोगी पार्टी अपना दल (के) की पल्लवी पटेल को टिकट देकर बड़ा दांव खेला था. वहीं, बसपा के मुंसब अली उस्मानी के आने से मुकाबला और रोचक हो गया था. सिराथू के सियासी समीकरण को देखते हुए कुर्मी वोट सपा के पक्ष में जाते दिखे, जिसका एकतरफा फायदा पल्लवी पटेल को मिला. कुल मिलाकर मामला बिगड़ गया और मौर्य के लिए रास्‍ता मुश्किल हो गया.

इसे भी पढ़ें - 35 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ेंगे CM योगी, 6 माह पहले कहा था करूंगा वापसी...

आपको बता दें कि यूपी में उपमुख्यमंत्री बनने से पहले वो प्रयागराज के फूलपुर संसदीय सीट से सांसद थे. वहीं, केशव प्रसाद मौर्य ने अपने सियासी यात्रा की शुरुआत इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से साल 2002 में की. उन्होंने स्थानीय माफिया अतीक अहमद के खिलाफ मैदान में ताक ठोका था और इस चुनाव में उन्हें महज सात हजार वोट मिले थे. इसके बाद 2007 में भी वो इसी सीट से चुनाव लड़े पर इस बार भी उन्हें सफलता नहीं मिली. हालांकि, 2012 के विधानसभा चुनाव में वो अपने गृह क्षेत्र सिराथू से पहली बार विधायक चुने गए.

उस समय वह इलाहाबाद मंडल के चारों जिलों इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और फतेहपुर से एकलौते भाजपा विधायक चुने गए थे तो 2013 इलाहाबाद के केपी कॉलेज में ईसाई धर्मप्रचारक के आगमन के विरोध का नेतृत्व करते हुए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध हुए. फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उनको फूलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और वह 3 लाख से अधिक वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल को पराजित करके संसद पहुंचे थे.

इसके इतर अप्रैल 2016 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उनके ही नेतृत्व में भाजपा ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. चुनाव परिणाम आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया. केशव प्रसाद मौर्य भाजपा की प्रदेश इकाई के पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपने बेबाक अंदाज और ओबीसी मतदाताओं के बीच अपनी पैठ को लेकर जाने जाते हैं. लेकिन हौरानी की बात यह है कि वो अपने ही गढ़ में कौशांबी के सिराथू विधानसभा सीट से सपा गठबंधन प्रत्याशी पल्लवी पटेल से 7337 वोटों से पराजित हो गए. पल्लवी पटेल को 106278 वोट मिले, जबकि बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य को 98941 वोट ही मिले. इसके बाद केशव प्रसाद ने ट्वीट कर अपनी हार स्वीकार की है. उन्होंने ट्वीट किया है ' सिराथू विधानसभा क्षेत्र की जनता के फ़ैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं,एक एक कार्यकर्ता के परिश्रम के लिए आभारी हूं,जिन मतदाताओं ने वोट रूपी आशीर्वाद दिया उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं.

  • सिराथू विधानसभा क्षेत्र की जनता के फ़ैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूँ,एक एक कार्यकर्ता के परिश्रम के लिए आभारी हूँ,जिन मतदाताओं ने वोट रूपी आशीर्वाद दिया उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ,

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2022 के चुनावी प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा केशव प्रसाद मौर्य एक मात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने सैकड़ों रैलियां व रोड शो कर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में माहौल बनाने का काम किया. हालांकि, भाजपा के एक नेता ने कहा कि वो अपने अति व्यस्त कार्यक्रमों के कारण सही तरीके से अपने चुनावी क्षेत्र में प्रचार नहीं कर सके. लेकिन इस परिणाम का किसी को उम्मीद नहीं थी. वहीं, इस बीच केशव प्रसाद मौर्य के समर्थक दोबारा काउंटिंग की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किए.

दोबारा काउंटिंग की मांग

जानें पिछड़ने की वजहें
सिराथू में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ सपा ने अपने सहयोगी पार्टी अपना दल (के) की पल्लवी पटेल को टिकट देकर बड़ा दांव खेला था. वहीं, बसपा के मुंसब अली उस्मानी के आने से मुकाबला और रोचक हो गया था. सिराथू के सियासी समीकरण को देखते हुए कुर्मी वोट सपा के पक्ष में जाते दिखे, जिसका एकतरफा फायदा पल्लवी पटेल को मिला. कुल मिलाकर मामला बिगड़ गया और मौर्य के लिए रास्‍ता मुश्किल हो गया.

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आपको बता दें कि यूपी में उपमुख्यमंत्री बनने से पहले वो प्रयागराज के फूलपुर संसदीय सीट से सांसद थे. वहीं, केशव प्रसाद मौर्य ने अपने सियासी यात्रा की शुरुआत इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से साल 2002 में की. उन्होंने स्थानीय माफिया अतीक अहमद के खिलाफ मैदान में ताक ठोका था और इस चुनाव में उन्हें महज सात हजार वोट मिले थे. इसके बाद 2007 में भी वो इसी सीट से चुनाव लड़े पर इस बार भी उन्हें सफलता नहीं मिली. हालांकि, 2012 के विधानसभा चुनाव में वो अपने गृह क्षेत्र सिराथू से पहली बार विधायक चुने गए.

उस समय वह इलाहाबाद मंडल के चारों जिलों इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और फतेहपुर से एकलौते भाजपा विधायक चुने गए थे तो 2013 इलाहाबाद के केपी कॉलेज में ईसाई धर्मप्रचारक के आगमन के विरोध का नेतृत्व करते हुए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध हुए. फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उनको फूलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और वह 3 लाख से अधिक वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल को पराजित करके संसद पहुंचे थे.

इसके इतर अप्रैल 2016 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उनके ही नेतृत्व में भाजपा ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. चुनाव परिणाम आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया. केशव प्रसाद मौर्य भाजपा की प्रदेश इकाई के पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं.

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Last Updated : Mar 10, 2022, 10:31 PM IST
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