लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में लगातार चल रही कार्रवाई के क्रम में शुक्रवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरौनी (लखनऊ) को लेकर जांच के आदेश जारी किए गए हैं. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के निर्देशानुसार शनिवार शाम तक जांच रिपोर्ट प्रेषित करनी है. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरौनी के निधारित समय से पूर्व बंद किए जाने एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों के समय स्वास्थ्य केंद्र न पहुंचने संबंधी मामला संज्ञान में आया था. इस संबंध में उपमुख्यमंत्री ने सीएमओ को इस पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शनिवार शाम तक प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं. जांच रिपोर्ट के आधार पर ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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यूनिसेफ मुख्यालय के वैश्विक प्रमुख डॉ. एफ्रेम लेमांगो और वरिष्ठ स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. अनीसुर सिद्दीकी की अगुवाई में एक्सपर्ट टीम ने प्रदेश का दौरा किया. 14 फरवरी से शुरू हुए इस दौरे में यूनिसेफ के साउथ एशिया टीम के वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. गुंटर बाउसेरी और नेशनल टीकाकरण विशेषज्ञ डॉ. रंगनाई मटेमा के साथ डॉ. मैनाक चटर्जी शामिल रहे. इस दौरान टीम ने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का इंप्लीमेंटेशन और मॉनिटरिंग की व्यवस्था को देखकर कई अहम सुझाव दिए. इस दौरान यूनिसेफ मुख्यालय के ग्लोबल हेड डॉ. एफ़्रेम मांगो ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य प्रणाली बेहद प्रभावशाली है और सरकार के साथ समुदाय की भागीदारी प्रशंसनीय हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने हर एक बच्चे को चिन्हित कर उसकी डिजिटल काउंटिंग का काम भी बेहद उत्साहजनक है. विशेष टीकाककरण पखवाड़ों के माध्यम से खसरा रूबेला टीकाकरण के साथ साथ 5 साल तक के हर छूटे हुए बच्चों को टीके दिए जा रहे है. यह रणनीति कोविड के कारण प्रभावित टीकाकरण को पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभा सकती है और इससे अन्य राज्यों को भी प्रेरणा लेना चाहिए. डॉ. मांगो ने जीरो डोज बच्चों की पहचान कर उन तक पहुचने पर जोर दिया. जीरो डोज बच्चे ऐसे वंचित बच्चे हैं जिन तक कोई भी टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाए नहीं पहुंचती. तकनीकी परिभाषा में जीरो डोज वे बच्चे हैं जिन्हे डिप्थीरिया-टेटनस-पर्टुसिस पेंटावेलंट टीके की पहली खुराक भी नहीं मिलती. प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि सरकार बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के खाली पदों पर भर्ती की जा रही हैं. उन्होंने बताया की शहरी क्षेत्र में टीकाककरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिदिन टीकाकरण की सुविधा प्रारम्भ की जा चुकी है.
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जन सहभागिता से हारेगी टीबी : टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए जन सहभागिता की बेहद जरूरत है. हर स्तर पर टीबी मरीजों की पहचान हो. उन्हें पूरा उपचार मुहैया कराया जाए. यूपी टीबी को हराने के लिए डटा हुआ है. इसके सकारात्मक नतीजे भी आ रहे हैं. जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का टीबी मुक्त भारत का अभियान सफल होगा. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. हजरतगंज के एक होटल में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने टीबी रोगियों को गोद लेने की प्रथा की शुरूआत की. उनकी यह मुहीम तेजी से आगे बढ़ रही है. रोगी को अस्पताल में पंजीकरण से लेकर, जांच, दवा तक उपलब्ध कराई जा रही है. 500 रुपये हर माह पोषण के लिए ऑनलाइन उनके बैंक खाते में पहुंचाए जा रहे हैं.
अधिक से अधिक रोगी चिन्हित करें : टीबी रोगियों की समय पर पहचान और उपचार जरूरी है क्योंकि टीबी खांसने से फैलती है. लिहाजा समय पर रोगी की पहचान कर उपचार प्रारंभ किया जा सकता है. इससे काफी हद तक बीमारी के प्रसार पर लगाम कसी जा सकती है. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि रोगी की पहचान कर निक्षय पोर्टल पर अपडेट कराना भी जरूरी है. आंकड़ों के आधार पर बीमारी से मुकाबले की रणनीति बनाई जाती है. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि टीबी से मुकाबला कराना किसी चुनौती से कम नहीं है. यूपी चुनौती से डटकर मुकाबला कर रहा है. जन आंदोलन और सामाजिक संगठनों की मदद से टीबी को हराया जा सकेगा.