लखनऊ : यूपी में डेंगू का खौफ कायम है. कई जिलों में मच्छरों ने हाहाकार मचा दिया. ऐसे में लखनऊ तक से हेल्थ टीम भेजनी पड़ीं. राज्य में इस बार डेंगू ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. 21 हजार से ज्यादा डेंगू के केस रिपोर्ट किए जा चुके हैं. इसमें छह जिलों में एक हजार से ज्यादा मरीज पाए जा चुके हैं. स्थिति यह है कि गत वर्ष के मुकाबले नवम्बर तक नौ गुना से ज्यादा मरीजों पर डेंगू हमला बोल चुका है. इसमें 90 फीसद केस डेंगू स्ट्रेन-2 के हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह ज्यादा घातक है.
पिछसे साल सिर्फ 2,204, इस बार 21 से ज्यादा
संचारी रोग निदेशक डॉ जीएस बाजपेयी के मुताबिक गत वर्ष से ज्यादा डेंगू इस बार आक्रामक है. वर्ष 2020 में जहां एक नवम्बर तक 2,204 मरीज थे. वहीं वर्ष 2021 में इसी तारीख में मरीजों की संख्या बढ़कर 21 हजार 687 हो गई है. वहीं मौतें शून्य थीं, जो वर्तमान में आठ मरीज हैं.
हल्के में न लें बुखार को, 90 फीसद में डेंगू स्ट्रेन-टू
केजीएमयू की आईसीएमआर की लैब प्रभारी डॉ सुरुचि शुक्ला के मुताबिक किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों घातक भी हो सकते हैं. कोविड में जहां 90 फीसद में डेल्टा वायरस मिल रहा है. वहीं डेंगू के 90 फीसद मरीज में स्ट्रेन-टू मिल रहा है. यह घातक है.
इन जिलों में प्रकोप ज्यादा
फिरोजाबाद में 5,7590 केस
लखनऊ में 1,530 811 केस
मेरठ में 1,277 24 केस
कन्नौज 1,183 15 केस
झांसी में 1,080 25 केस
प्रयागराज में 1,009 21 केस
डेंगू के प्रकार
टाइप 1 -सामान्य डेंगू - इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है। दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है।
टाइप-2-डेंगू हैमेरेजिक फीवर - इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं । ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है। यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है। वहीं शरीर पर चकते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है। यह बुखार जानलेवा हो जाता है।
टाइप -3 -डेंगू शॉक सिंड्रोम - इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है। वह शॉक में चला जाता है। मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है। जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है। इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.
डेंगू के लक्षण (Dengue symptoms)
- तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द
- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, कमजोरी
- भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना
- चेहरे, गर्दन, चेस्ट, पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है.
- डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है.
- डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना
- बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.
ऐसे करें डेंगू से बचाव
- घर और आस-पास पानी को जमा न होने दें.
- कूलर, बाथरूम, किचन में जलभराव पर ध्यान दें.
- एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें.
- एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें.
- घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें.
- छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें.
- पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें.
- शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें.
- बच्चों को फुल पेंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.
- यदि आपको डेंगू हो भी गया है तो ये परहेज करते रहें जिससे आपके शरीर का वायरस दूसरों तक न पहुंचे.
- सबसे पहले नजदीकी डॉक्टर से सहायता लें और खून में प्लेटलेट्स की जांच करवा लें.
- रोगी के खून में यदि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाए या फिर रक्त स्त्राव शुरू हो जाए तो खून चढ़ाना भी पड़ सकता है.
- खुद से कोई दवा ना लें क्योंकि यदि आपने गलती से एस्प्रीन या कोई और गैर स्टेरोईड दवाएं ली तो रक्तस्त्राव बढ सकता है.
- साधारण पेरासिटामोल रोगी को देने में कोई हर्ज नहीं है.
खानपान का रखें ध्यान
बुखार में आहार का ध्यान रखें. हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें खूब पिएं. पानी सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी आदि लें. बासी और तैलीय खाना न खाएं.