लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में 'गुजरात मॉडल' लागू करने की मांग तेजी से उठने लगी है. परिवहन निगम की यूनियनों की तरफ से संविदा कर्मियों की भलाई के लिए इस मॉडल को लागू करने के लिए निगम प्रशासन से अनुरोध भी किया जा रहा है. दरअसल, सरकार सरकारी भर्तियों में गुजरात मॉडल लागू करने की सोच रही है. इसके तहत नौकरी के समय ये प्रक्रिया अपनाई जाती है कि सरकारी नौकरी में पहले पांच साल के लिए संविदा पर भर्ती होती है. जिनका कामकाज सही पाया जाता है उन्हें नियमित कर दिया जाता है.
उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रवक्ता रजनीश मिश्रा का कहना है कि वह सरकार से गुजरात मॉडल लागू करने की बात कह रहे हैं. क्योंकि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में तमाम ऐसे संविदा कर्मचारी हैं, जो 25 साल से ऊपर नौकरी कर चुके हैं. लेकिन अब तक नियमित नहीं हो पाए हैं. अगर यह मॉडल लागू होता है तो कहीं न कहीं संविदा कर्मियों को बड़ा फायदा मिलेगा.
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बता दें कि उत्तर प्रदेश का कार्मिक विभाग यह प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है कि समूह ख और ग की भर्ती अब पांच साल के लिए पहले संविदा पर ही की जाए. पांच साल के दौरान जो भी कर्मचारी छटनी से बच जाएं उन्हें स्थाई कर दिया जाए. इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों की तरह मिलने वाले सेवा संबंधी लाभ नहीं दिए जाएंगे. वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने यह व्यवस्था लागू की थी. इसे फिक्स सिस्टम कहा जाता है. इस पांच साल की संविदा नौकरी में हर छह माह पर एक टेस्ट लिया जाएगा, जिसमें कम से कम 60 फीसदी अंक पाना अनिवार्य होगा. दो छमाही में इससे कम अंक पाने वाले लोगों को सेवा से बाहर कर दिया जाएगा. पांचवे साल छह महीने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी. संविदा पर नियुक्ति के दौरान मूल पदनाम के बजाय सहायक पद नाम दिया जाएगा.
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