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Vande Bharat Express : विदेशों से भी आ रही अपने देश की वंदे भारत ट्रेन की डिमांड, जानिए कब होगी सप्लाई

देश में निर्मित वंदे भारत एक्सप्रेस की विदेशों में धूम है. इस ट्रेन की डिमांड कई देशों आ रही है. रेलवे की योजना इस ट्रेन को 2025-26 तक कई देशों को एक्सपोर्ट करने की है.

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Published : Apr 12, 2023, 6:13 PM IST

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लखनऊ : मेक इन इंडिया के तहत देश में निर्मित हो रही वंदे भारत एक्सप्रेस अब विदेशों में भी धूम मचाने को तैयार है. यह ट्रेन तमाम खासियतों से लैस है, इसलिए विश्व के कई देशों से इस ट्रेन की डिमांड आ रही है. फिलहाल अभी देश के विभिन्न राज्यों की मांग पर रेल मंत्रालय की तरफ से वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन दी जा रही है. मंगलवार को राजस्थान को वंदे भारत ट्रेन की सौगात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की तरफ से दी गई है. तमाम राज्यों की तरफ से अभी इस ट्रेन की डिमांड रेल मंत्रालय के पास लंबित है. धीरे-धीरे सभी राज्यों को वंदे भारत ट्रेन उपलब्ध कराने की रेल मंत्रालय की योजना है. रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि 'देश के विभिन्न राज्यों से ही नहीं बल्कि एशिया और यूरोप से भी इस शानदार ट्रेन की डिमांड बढ़ रही है.'




साल 2019 में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस नई दिल्ली और वाराणसी के बीच शुरू की गई थी. भारत के तमाम राज्यों में अब तक वंदे भारत ट्रेन पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अभी भी वंदे भारत ट्रेन से वंचित है. लखनऊ को अभी वंदे भारत ट्रेन नहीं मिल पाई है, लेकिन जल्द ही ये ट्रेन लखनऊ को मिलेगी. इसकी जानकारी हाल ही में लखनऊ के दौरे पर आए उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी की तरफ से दी गई. सबसे खास बात यह है कि देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अब वंदे भारत ट्रेन की मांग तेजी से बढ़ रही है. अब तक आधा दर्जन से ज्यादा विश्व के अलग-अलग देशों ने वंदे भारत एक्सप्रेस की मांग की है. एशिया के देशों में नेपाल, भूटान और बांग्लादेश शामिल हैं. उत्तर रेलवे के जीएम शोभन चौधुरी का कहना है कि 'ये भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि अब तक अन्य देशों के ट्रेनों को देखकर उसकी डिजाइन की भारत में चर्चा होती थी, लेकिन अब मेक इन इंडिया की वंदे भारत एक्सप्रेस की विदेशों में चर्चा हो रही है. तमाम देश इसकी मांग कर रहे हैं.'

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन

रेलवे से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 'जैसे-जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस के कोच का निर्माण हो रहा है वैसे वैसे सभी राज्यों को वंदे भारत की सौगात दी जा रही है. अब तक करीब 15 वंदे भारत ट्रेन देश के अलग-अलग राज्यों को उपलब्ध कराई जा चुकी हैं. अधिकारियों का कहना है कि अभी भारत में ही सभी प्रदेशों को वंदे भारत ट्रेन नहीं मिल पाई है और विश्व के तमाम देश इस ट्रेन की मांग करने लगे हैं. रेलवे अब इसके एक्सपोर्ट की प्लानिंग कर रहा है. साल 2025-26 तक एशिया, पूर्वी एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के मार्केट में वंदे भारत ट्रेनों को एक्सपोर्ट कर सकता है. रेलवे ने तीसरी पीढ़ी की वंदे भारत एक्सप्रेस के डिजाइन पर काम करना शुरू कर दिया है. साल 2024 की पहली तिमाही तक स्लीपर कोच वाली स्वदेशी वंदे भारत ट्रेनों का नया संस्करण आ जाएगा. रेलवे से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, 10-12 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 75 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. अगले तीन साल में 475 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण पूरा करने का रेल मंत्रालय का लक्ष्य है. चेन्नई के रेल कोच कारखाने में रात दिन इस ट्रेन के कोच निर्मित किए जा रहे हैं.'



रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, वंदे भारत ट्रेन की डिमांड इसलिए विदेशों से ज्यादा आ रही है क्योंकि यह अत्याधुनिक गुणवत्ता वाली ट्रेन है. यह सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा कर रही है. इस ट्रेन में बैठने के दौरान यात्रियों को झटका नहीं लगता, साथ ही इसमें विमानों की तुलना में 100 गुना कम शोर होता है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा देश चाहते हैं कि उन्हें भारत से वंदे भारत ट्रेन की सप्लाई जल्द मिल जाए, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि पहले देश में ही वंदे भारत ट्रेन का संचालन पूरा कराया जाएगा, उसके बाद जिन देशों से इस ट्रेन की डिमांड आ रही है उनको सप्लाई की जाएगी.'


क्या कहते हैं महाप्रबंधक : उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी का कहना है कि 'वंदे भारत ट्रेन एक ऐसी ट्रेन है जिसकी देश के सभी राज्य तो मांग कर ही रहे हैं, अब विदेशों में भी तेजी से इसकी मांग बढ़ी है. विदेशों की मांग को भी हम पूरा करेंगे, लेकिन पहले देश के राज्यों को वंदे भारत ट्रेन उपलब्ध कराई जाएगी. हमारे लिए यह गर्व की बात है कि मेक इन इंडिया के तहत बनी वंदे भारत ट्रेन विदेशों में भी धूम मचाएगी. महाप्रबंधक का कहना है एशिया के साथ ही यूरोप की कई कंट्री से डिमांड आ रही है, लेकिन अभी हम उन देशों के नाम डिस्क्लोज नहीं करेंगे. उनका कहना है यह ट्रेन क्वालिटी ट्रेन है. खास बात है कि अन्य ट्रेनों की तुलना में यह सस्ती है इसलिए इसकी डिमांड ज्यादा है.'

यह भी पढ़ें : राजधानी के सरकारी स्कूल में शुरू हुआ 'साइबर सिक्योरिटी सेल', दी जा रही ये जानकारी

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लखनऊ : मेक इन इंडिया के तहत देश में निर्मित हो रही वंदे भारत एक्सप्रेस अब विदेशों में भी धूम मचाने को तैयार है. यह ट्रेन तमाम खासियतों से लैस है, इसलिए विश्व के कई देशों से इस ट्रेन की डिमांड आ रही है. फिलहाल अभी देश के विभिन्न राज्यों की मांग पर रेल मंत्रालय की तरफ से वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन दी जा रही है. मंगलवार को राजस्थान को वंदे भारत ट्रेन की सौगात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की तरफ से दी गई है. तमाम राज्यों की तरफ से अभी इस ट्रेन की डिमांड रेल मंत्रालय के पास लंबित है. धीरे-धीरे सभी राज्यों को वंदे भारत ट्रेन उपलब्ध कराने की रेल मंत्रालय की योजना है. रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि 'देश के विभिन्न राज्यों से ही नहीं बल्कि एशिया और यूरोप से भी इस शानदार ट्रेन की डिमांड बढ़ रही है.'




साल 2019 में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस नई दिल्ली और वाराणसी के बीच शुरू की गई थी. भारत के तमाम राज्यों में अब तक वंदे भारत ट्रेन पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अभी भी वंदे भारत ट्रेन से वंचित है. लखनऊ को अभी वंदे भारत ट्रेन नहीं मिल पाई है, लेकिन जल्द ही ये ट्रेन लखनऊ को मिलेगी. इसकी जानकारी हाल ही में लखनऊ के दौरे पर आए उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी की तरफ से दी गई. सबसे खास बात यह है कि देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अब वंदे भारत ट्रेन की मांग तेजी से बढ़ रही है. अब तक आधा दर्जन से ज्यादा विश्व के अलग-अलग देशों ने वंदे भारत एक्सप्रेस की मांग की है. एशिया के देशों में नेपाल, भूटान और बांग्लादेश शामिल हैं. उत्तर रेलवे के जीएम शोभन चौधुरी का कहना है कि 'ये भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि अब तक अन्य देशों के ट्रेनों को देखकर उसकी डिजाइन की भारत में चर्चा होती थी, लेकिन अब मेक इन इंडिया की वंदे भारत एक्सप्रेस की विदेशों में चर्चा हो रही है. तमाम देश इसकी मांग कर रहे हैं.'

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन

रेलवे से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 'जैसे-जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस के कोच का निर्माण हो रहा है वैसे वैसे सभी राज्यों को वंदे भारत की सौगात दी जा रही है. अब तक करीब 15 वंदे भारत ट्रेन देश के अलग-अलग राज्यों को उपलब्ध कराई जा चुकी हैं. अधिकारियों का कहना है कि अभी भारत में ही सभी प्रदेशों को वंदे भारत ट्रेन नहीं मिल पाई है और विश्व के तमाम देश इस ट्रेन की मांग करने लगे हैं. रेलवे अब इसके एक्सपोर्ट की प्लानिंग कर रहा है. साल 2025-26 तक एशिया, पूर्वी एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के मार्केट में वंदे भारत ट्रेनों को एक्सपोर्ट कर सकता है. रेलवे ने तीसरी पीढ़ी की वंदे भारत एक्सप्रेस के डिजाइन पर काम करना शुरू कर दिया है. साल 2024 की पहली तिमाही तक स्लीपर कोच वाली स्वदेशी वंदे भारत ट्रेनों का नया संस्करण आ जाएगा. रेलवे से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, 10-12 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 75 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. अगले तीन साल में 475 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण पूरा करने का रेल मंत्रालय का लक्ष्य है. चेन्नई के रेल कोच कारखाने में रात दिन इस ट्रेन के कोच निर्मित किए जा रहे हैं.'



रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक, वंदे भारत ट्रेन की डिमांड इसलिए विदेशों से ज्यादा आ रही है क्योंकि यह अत्याधुनिक गुणवत्ता वाली ट्रेन है. यह सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा कर रही है. इस ट्रेन में बैठने के दौरान यात्रियों को झटका नहीं लगता, साथ ही इसमें विमानों की तुलना में 100 गुना कम शोर होता है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा देश चाहते हैं कि उन्हें भारत से वंदे भारत ट्रेन की सप्लाई जल्द मिल जाए, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि पहले देश में ही वंदे भारत ट्रेन का संचालन पूरा कराया जाएगा, उसके बाद जिन देशों से इस ट्रेन की डिमांड आ रही है उनको सप्लाई की जाएगी.'


क्या कहते हैं महाप्रबंधक : उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी का कहना है कि 'वंदे भारत ट्रेन एक ऐसी ट्रेन है जिसकी देश के सभी राज्य तो मांग कर ही रहे हैं, अब विदेशों में भी तेजी से इसकी मांग बढ़ी है. विदेशों की मांग को भी हम पूरा करेंगे, लेकिन पहले देश के राज्यों को वंदे भारत ट्रेन उपलब्ध कराई जाएगी. हमारे लिए यह गर्व की बात है कि मेक इन इंडिया के तहत बनी वंदे भारत ट्रेन विदेशों में भी धूम मचाएगी. महाप्रबंधक का कहना है एशिया के साथ ही यूरोप की कई कंट्री से डिमांड आ रही है, लेकिन अभी हम उन देशों के नाम डिस्क्लोज नहीं करेंगे. उनका कहना है यह ट्रेन क्वालिटी ट्रेन है. खास बात है कि अन्य ट्रेनों की तुलना में यह सस्ती है इसलिए इसकी डिमांड ज्यादा है.'

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