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Energy Minister के साथ हुआ लिखित समझौता लागू कराने के लिए सीएम के हस्तक्षेप की मांग

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Published : Mar 14, 2023, 8:40 AM IST

लखनऊ में सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने लिखित उर्जा मत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन के लिए सीएम योगी से हस्तक्षेप की अपील की. संघर्ष समिति के आह्वान पर लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपद/परियोजना मुख्यालयों पर मशाल जुलूस निकाले जाएंगे.

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Energy Minister के साथ हुआ लिखित समझौता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति यूपी के बिजली मंत्री अरविंद कुमार शर्मा UP Energy Minister Arvind Kumar Sharma

लखनऊ: बिजली कर्मियों ने मुख्यमंत्री से यूपी के बिजली मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (UP Energy Minister Arvind Kumar Sharma) के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है. बिजली कर्मियों का कहना है कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते को लागू कराने की मांग किसी भी तरह राजनीतिक नहीं है. ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन पर ऊर्जा मंत्री को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है.

सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप किए जाने की अपील की. संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग में कुछ भी राजनीतिक नहीं है. यह बिजली कर्मियों की नैसर्गिक न्याय की मांग है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस बाबत ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन ने अपनी अकर्मण्यता छिपाने के लिए ऊर्जा मंत्री को पूरी तरह से गुमराह किया है. संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हड़ताल करने के लिए बिजलीकर्मियों को बाध्य किया जा रहा है.

तीन दिसम्बर 2022 को हुए लिखित समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर संघर्ष समिति ने 15 दिन के लिए आन्दोलन स्थगित करने की सहमति प्रदान की. अब जबकि 110 दिन हो चुके हैं और प्रबन्धन की हठधर्मिता के चलते समझौता लागू नहीं हो रहा है, तो बिजलीकर्मियों के सामने लोकतांत्रिक ढंग से ध्यानाकर्षण करने के अलावा अन्य क्या विकल्प है? तीन दिसंबर के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले जी-20 सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट की महत्ता और इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की उपस्थिति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए बिजलीकर्मियों ने अपने पूर्व निर्धारित सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम को स्थगित कर सुचारू बिजली आपूर्ति बनाये रखने के लिए प्रयास किया.

शैलेंद्र दुबे ने कहा कि मार्च माह की महत्ता को बिजलीकर्मी बखूबी समझते हैं, लेकिन सरकार को यह विचार करना चाहिए कि ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबन्धन समझौता लागू करने में सबसे बड़ी बाधा है. ऐसे में बिजलीकर्मियों पर हड़ताल थोपी जा रही है. संघर्ष समिति के आह्वान पर लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपद/परियोजना मुख्यालयों पर मशाल जुलूस निकाले जाएंगे. अभी तक जो भी संगठन हड़ताल से दूर रहने की बात कह रहे थे, वो अब धीरे-धीरे वह भी संघर्ष समिति के तरफ से की जा रही हड़ताल में शामिल होने के लिए समर्थन देने लगे हैं. ऐसे में पावर कॉरपोरेशन के लिए यह चिंता का सबब बन सकता है.

ये भी पढ़ें- Bareilly में आर्मी के सरकारी क्वार्टर में हवलदार की पत्नी की गला रेत कर हत्या

लखनऊ: बिजली कर्मियों ने मुख्यमंत्री से यूपी के बिजली मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (UP Energy Minister Arvind Kumar Sharma) के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है. बिजली कर्मियों का कहना है कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते को लागू कराने की मांग किसी भी तरह राजनीतिक नहीं है. ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन पर ऊर्जा मंत्री को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है.

सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप किए जाने की अपील की. संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग में कुछ भी राजनीतिक नहीं है. यह बिजली कर्मियों की नैसर्गिक न्याय की मांग है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस बाबत ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन ने अपनी अकर्मण्यता छिपाने के लिए ऊर्जा मंत्री को पूरी तरह से गुमराह किया है. संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हड़ताल करने के लिए बिजलीकर्मियों को बाध्य किया जा रहा है.

तीन दिसम्बर 2022 को हुए लिखित समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर संघर्ष समिति ने 15 दिन के लिए आन्दोलन स्थगित करने की सहमति प्रदान की. अब जबकि 110 दिन हो चुके हैं और प्रबन्धन की हठधर्मिता के चलते समझौता लागू नहीं हो रहा है, तो बिजलीकर्मियों के सामने लोकतांत्रिक ढंग से ध्यानाकर्षण करने के अलावा अन्य क्या विकल्प है? तीन दिसंबर के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले जी-20 सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट की महत्ता और इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की उपस्थिति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए बिजलीकर्मियों ने अपने पूर्व निर्धारित सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम को स्थगित कर सुचारू बिजली आपूर्ति बनाये रखने के लिए प्रयास किया.

शैलेंद्र दुबे ने कहा कि मार्च माह की महत्ता को बिजलीकर्मी बखूबी समझते हैं, लेकिन सरकार को यह विचार करना चाहिए कि ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबन्धन समझौता लागू करने में सबसे बड़ी बाधा है. ऐसे में बिजलीकर्मियों पर हड़ताल थोपी जा रही है. संघर्ष समिति के आह्वान पर लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपद/परियोजना मुख्यालयों पर मशाल जुलूस निकाले जाएंगे. अभी तक जो भी संगठन हड़ताल से दूर रहने की बात कह रहे थे, वो अब धीरे-धीरे वह भी संघर्ष समिति के तरफ से की जा रही हड़ताल में शामिल होने के लिए समर्थन देने लगे हैं. ऐसे में पावर कॉरपोरेशन के लिए यह चिंता का सबब बन सकता है.

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