लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण की लगभग 25 हजार फाइलें गायब होने का मामला तूल पकड़ रहा है. निजी एजेंसी को रखरखाव के लिए दी गई इन फाइलों के गुम होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं. राइटर पर एफआईआर दर्ज होने के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इससे पहले भी समायोजन को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. गोमती नगर विस्तार महासमिति ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
'फाइलों को गायब कर घोटालों को किया दफन'
महासमिति के सचिव उमाशंकर दुबे ने कहा कि बहुत से लोग हैं, जिन्हें 30 से 40 साल में भी एलडीए से जमीन आवंटित होने के बावजूद कब्जा नहीं मिल सका. कई मामलों में छोटे-छोटे प्लॉटों का बड़े भूखंडों में समायोजन कर दिया गया. कई ऐसे मामले सामने आए कि समायोजन तो हो गया, लेकिन किस फाइल के सापेक्ष समायोजन हुआ है, उसका कोई पता ही नहीं. कहीं ऐसा तो नहीं कि एलडीए के रिकॉर्ड से फाइलों को गायब कर घोटालों को दफन कर दिया गया है.
'फर्जी समायोजन के सबूत गायब होने की आशंका'
उमाशंकर दुबे ने सवाल खड़े किए हैं कि कहीं फाइलों के डिजिटल करने के नाम पर फाइलों को गायब करने की कोई योजना तो नहीं थी? मामला जो भी हो, प्रथमदृष्टया सामने आया है कि स्कैनिंग के लिए जो फाइलें भेजी गई थी, उसमें लगभग 25 हजार फाइलों के गायब होने की आशंका है. फर्जी समायोजन के सबूत गायब होने की भी आशंका है. स्कैनिंग कंपनी का दावा है कि 1.22 लाख फाइलें मिली, जबकि एलडीए अफसरों का 1.45 लाख फाइलों का दावा है. अफसरों को जानकारी नहीं कि कौन सी फाइल गायब है.
'अफसर व कर्मचारियों का फंसना तय'
गोमती नगर विस्तार महासमिति के सचिव उमाशंकर दुबे ने कहा कि इसी बीच बड़ी संख्या में संपत्तियों की हेराफेरी का मामला भी सामने आ गया. ऐसे में विभागीय स्तर से जांच करना न सिर्फ कठिन है बल्कि यह भी सम्भव है कि कहीं विभागीय स्तर की इस जांच में और मामला उलझ न जाये. इसलिए मामले की सीबीआई जांच कराने की आवश्यकता है, जिससे जनता को न्याय मिल सके. यह भी तय है कि पूरे मामले की गहन जांच के बाद कई अफसर व कर्मचारियों का फंसना तय है.