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गिरधारी एनकाउंटरः पुलिस आयुक्त बोले, सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हुआ है पूरी तरह अनुपालन

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Published : Feb 19, 2021, 9:57 PM IST

कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले में शुक्रवार को डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन, एसीपी विभूति खंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर चन्द्रशेखर सिंह ने जनपद न्यायालय में जवाबी हलफनामा दाखिल किया.

गिरधारी एनकाउंटर
गिरधारी एनकाउंटर

लखनऊः कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले में शुक्रवार को डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन, एसीपी विभूति खंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर चन्द्रशेखर सिंह ने जनपद न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर अपना-अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया. वहीं अदालत के आदेश के अनुपालन में पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर की ओर से भी विस्तृत हलफनामा दाखिल किया गया. जनपद न्यायाधीश डीके शर्मा, तृतीय ने सभी हलफनामों को रिकॉर्ड पर लेते हुए परिवादी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार दिन का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.

ये बोले आयुक्त
पुलिस आयुक्त ने अपने हलफनामे में कहा है कि गिरधारी ने आकस्मिक व अप्रत्याशित रूप से पुलिस बल पर हमला कर पुलिसकर्मियों को घायल किया था. सरकारी पिस्टल लूटकर पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था. पुलिस की कार्रवाई के बाद उसे जीवित व घायल अवस्था में पकड़कर उसे बचाने के लिए तत्काल डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका. आयुक्त ने कहा कि गिरधारी की मृत्यु पुलिस अभिरक्षा में नहीं हुई बल्कि पुलिस अभिरक्षा से फरार होकर पुलिस बल पर किए गए जानलेवा हमले के परिणामस्वरूप प्रतिरक्षा में की गई फायरिंग में वह घायल हुआ था. उसके दु:साहसिक कृत्य की वजह से उसकी मृत्यु हुई है. उन्होंने कहा कि इस घटना के बावत सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन किया गया है.

भेजी प्रति
16 फरवरी को इस घटना की सूचना, पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व एफआईआर की प्रति राज्य मानवाधिकार आयोग जबकि 18 फरवरी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेज दी गई है. साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी भेजी गई है. निष्पक्षता के मद्देनजर इस मामले की विवेचना पूर्वी जोन से इतर मध्य जोन के सहायक पुलिस आयुक्त, हजरतगंज को सौंपी गई है. समस्त औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मृतक के शव को ससम्मान परिजनों को सौंप दिया गया.

हलफनामे में ये बातें भी कहीं
हलफनामे में आगे कहा गया कि गिरधारी एक शातिर शूटर था. उसके विरुद्ध 20 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं. इनमें सात हत्या के हैं. वाराणसी का हिस्ट्रीशीटर था. उस पर एक लाख का इनाम घोषित था. शातिर होने की वजह से ही उसने आकस्मिक व अप्रत्याशित रूप से एक उप निरीक्षक को बिजली की तेजी से सिर व हाथ से मारकर घायल कर उसका पिस्टल छीन लिया. दूसरे उप निरीक्षक के बांह में गोली लगी. एक गोली प्रभारी निरीक्षक विभूति खंड चंद्रशेखर सिंह के सीने पर लगी लेकिन बुलेट प्रूफ जैकेट पहने होने की वजह से उनकी जान बच गई. मुठभेड़ में पुलिस उपायुक्त पूर्वी भी बाल-बाल बचे हैं. अभियुक्त ने कुल नौ राउंड फायर किए थे. कहा गया है कि परिवाद में लगाए गए आरोप आधारहीन व निरस्त होने योग्य हैं.

17 को दाखिल किया था परिवाद
उल्लेखनीय है कि 17 फरवरी को गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा की ओर से परिवाद दाखिल किया गया था. परिवाद में पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. कहा गया है कि 14/15 फरवरी की रात में पुलिस ने क्रूरता से गिरधारी की हत्या कर दी.

लखनऊः कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले में शुक्रवार को डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन, एसीपी विभूति खंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर चन्द्रशेखर सिंह ने जनपद न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर अपना-अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया. वहीं अदालत के आदेश के अनुपालन में पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर की ओर से भी विस्तृत हलफनामा दाखिल किया गया. जनपद न्यायाधीश डीके शर्मा, तृतीय ने सभी हलफनामों को रिकॉर्ड पर लेते हुए परिवादी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार दिन का समय दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.

ये बोले आयुक्त
पुलिस आयुक्त ने अपने हलफनामे में कहा है कि गिरधारी ने आकस्मिक व अप्रत्याशित रूप से पुलिस बल पर हमला कर पुलिसकर्मियों को घायल किया था. सरकारी पिस्टल लूटकर पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था. पुलिस की कार्रवाई के बाद उसे जीवित व घायल अवस्था में पकड़कर उसे बचाने के लिए तत्काल डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका. आयुक्त ने कहा कि गिरधारी की मृत्यु पुलिस अभिरक्षा में नहीं हुई बल्कि पुलिस अभिरक्षा से फरार होकर पुलिस बल पर किए गए जानलेवा हमले के परिणामस्वरूप प्रतिरक्षा में की गई फायरिंग में वह घायल हुआ था. उसके दु:साहसिक कृत्य की वजह से उसकी मृत्यु हुई है. उन्होंने कहा कि इस घटना के बावत सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन किया गया है.

भेजी प्रति
16 फरवरी को इस घटना की सूचना, पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व एफआईआर की प्रति राज्य मानवाधिकार आयोग जबकि 18 फरवरी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेज दी गई है. साथ ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी भेजी गई है. निष्पक्षता के मद्देनजर इस मामले की विवेचना पूर्वी जोन से इतर मध्य जोन के सहायक पुलिस आयुक्त, हजरतगंज को सौंपी गई है. समस्त औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मृतक के शव को ससम्मान परिजनों को सौंप दिया गया.

हलफनामे में ये बातें भी कहीं
हलफनामे में आगे कहा गया कि गिरधारी एक शातिर शूटर था. उसके विरुद्ध 20 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं. इनमें सात हत्या के हैं. वाराणसी का हिस्ट्रीशीटर था. उस पर एक लाख का इनाम घोषित था. शातिर होने की वजह से ही उसने आकस्मिक व अप्रत्याशित रूप से एक उप निरीक्षक को बिजली की तेजी से सिर व हाथ से मारकर घायल कर उसका पिस्टल छीन लिया. दूसरे उप निरीक्षक के बांह में गोली लगी. एक गोली प्रभारी निरीक्षक विभूति खंड चंद्रशेखर सिंह के सीने पर लगी लेकिन बुलेट प्रूफ जैकेट पहने होने की वजह से उनकी जान बच गई. मुठभेड़ में पुलिस उपायुक्त पूर्वी भी बाल-बाल बचे हैं. अभियुक्त ने कुल नौ राउंड फायर किए थे. कहा गया है कि परिवाद में लगाए गए आरोप आधारहीन व निरस्त होने योग्य हैं.

17 को दाखिल किया था परिवाद
उल्लेखनीय है कि 17 फरवरी को गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा की ओर से परिवाद दाखिल किया गया था. परिवाद में पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. कहा गया है कि 14/15 फरवरी की रात में पुलिस ने क्रूरता से गिरधारी की हत्या कर दी.

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