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लखनऊ: लॉकडाउन के बीच पलायन को मजबूर दैनिक मजदूर

राजधानी लखनऊ में लॉकडाउन होने के बाद भी मजदूर अपने घरों को जाने के लिए मजबूर हैं. ऐसा ही एक मजदूर अपने परिवार के साथ साइकिल से बहराइच अपने घर के लिए निकला है, जोकि की गुरुवार को कानपुर से चलकर यहां पहुंचा है.

पलायन को मजबूर दैनिक मजदूर
लॉकडाउन के एक महीने बाद ही पलायन को मजबूर दैनिक मजदूर
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Published : Apr 23, 2020, 4:28 PM IST

लखनऊ: लॉकडाउन की वजह से मजदूर पैदल और साइकिल से ही घरों के लिए रवाना हो रहे हैं. गुरुवार को कानपुर से लखनऊ पहुंचे एक मजदूर परिवार ने पूछने पर बताया कि वह बहराइच जाने के लिए निकले हैं. कानपुर में ठेला लगाकर अपने परिवार का पेट पालते थे, लेकिन लॉकडाउन के समय रोजगार बंद हो जाने के कारण अपने गांव वापस जाने को मजबूर होना पड़ रहा है.


राजधानी लखनऊ के शहीद पथ पर गुरुवार को पैदल और साइकिल के जरिए दैनिक मजदूर अपने अपने गांव को जाते हुए दिखाई दिए. सरकार भले ही इनसे यथास्थान पर रुकने का अनुरोध कर रही है, लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन का समय बढ़ रहा है दैनिक मजदूर और ठेला चलाने वालों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा होने लगी है. वे अपने पैतृक गांव को ही अपना सहारा मानकर गांव जाने को उतावले दिख रहे हैं. इसके लिए उन्हें साधन की भी चिंता नहीं है.

अपने परिवार को साइकिल से कानपुर से बहराइच ले जा रहे मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि वह ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, लेकिन लॉकडाउन के समय जहां सारी दुकानें बंद हैं तो उनके सामने बहुत बड़ी चुनौती आ गई, जिसको देखते हुए मनोज ने अपने परिवार सहित कानपुर से बहराइच तक की यात्रा साइकिल से करना तय किया. मनोज ने बताया जब शहर में रोजगार ही नहीं चल रहा तो शहर में कैसे जीवन यापन संभव हो सकेगा.

लखनऊ: लॉकडाउन की वजह से मजदूर पैदल और साइकिल से ही घरों के लिए रवाना हो रहे हैं. गुरुवार को कानपुर से लखनऊ पहुंचे एक मजदूर परिवार ने पूछने पर बताया कि वह बहराइच जाने के लिए निकले हैं. कानपुर में ठेला लगाकर अपने परिवार का पेट पालते थे, लेकिन लॉकडाउन के समय रोजगार बंद हो जाने के कारण अपने गांव वापस जाने को मजबूर होना पड़ रहा है.


राजधानी लखनऊ के शहीद पथ पर गुरुवार को पैदल और साइकिल के जरिए दैनिक मजदूर अपने अपने गांव को जाते हुए दिखाई दिए. सरकार भले ही इनसे यथास्थान पर रुकने का अनुरोध कर रही है, लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन का समय बढ़ रहा है दैनिक मजदूर और ठेला चलाने वालों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा होने लगी है. वे अपने पैतृक गांव को ही अपना सहारा मानकर गांव जाने को उतावले दिख रहे हैं. इसके लिए उन्हें साधन की भी चिंता नहीं है.

अपने परिवार को साइकिल से कानपुर से बहराइच ले जा रहे मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि वह ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, लेकिन लॉकडाउन के समय जहां सारी दुकानें बंद हैं तो उनके सामने बहुत बड़ी चुनौती आ गई, जिसको देखते हुए मनोज ने अपने परिवार सहित कानपुर से बहराइच तक की यात्रा साइकिल से करना तय किया. मनोज ने बताया जब शहर में रोजगार ही नहीं चल रहा तो शहर में कैसे जीवन यापन संभव हो सकेगा.

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