लखनऊ: पुलिस से मुठभेड़ में मारा गया गिरधारी शक्ल से ही नहीं बल्कि दिमाग से भी बहुत शातिर था. वह पुलिस से बचने का तरीका बखूबी जानता था. जिस पार्टी की प्रदेश में सरकार रहती, वह उसी दल के नेताओं से दोस्ती गांठ लेता था. 2005 में जौनपुर में चेयरमैन चुनाव की रंजिश में विजय गुप्ता की हत्या करने के बाद उसने तत्कालीन सांसद से दोस्ती बना ली, जो आज तक बराकरार रही. इसके बाद 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद उसने आजमगढ़ से सत्ताधारी विधायक से रिश्ते मजबूत कर लिए, लेकिन 2012 में सरकार बदलते ही बसपा विधायक से दुश्मनी हो गई थी. फिर उसने आजमगढ़ के सपा विधायक से नजदीकी बढ़ा ली. 2017 में जब फिर सरकार बदली तो गिरधारी ने भी पाला बदल लिया. 2017 के बाद उसने चंदौली के सत्ताधारी विधायक की शरण में रहकर जरायम की दुनिया में अपना आतंक फैलाया. इतना ही नहीं गिरधारी वेश बदलने में भी माहिर था.
गिरधारी ने ताबड़तोड़ हत्या की वारदातों को दिया अंजाम
2005 में गिरधारी लोहार ने जौनपुर में चेयरमैन के भाई विजय गुप्ता की हत्या की थी. इसके बाद 2008 में मऊ के घोसी में नंदू सिंह की हत्या, 2011 में आजमगढ़ के जीयनपुर में डमरू सिंह की हत्या, 2010 में मऊ के कोतवाली इलाके में सुनील सिंह की हत्या, 2013 में बीएसपी विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू की हत्या, 2019 में वाराणसी में नीतेश सिंह की हत्या और 2020 में लखनऊ में पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह हत्या कर दी थी.
गिरधारी दोनों हाथों से गोली चलाने में था माहिर
सूत्रों के मुताबिक, अजीत हत्याकांड के बाद बाहुबली सांसद के कहने पर ही वह 11 फरवरी को दिल्ली के रोहिणी में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार हुआ था. लखनऊ, वाराणसी, दिल्ली समेत 12 बड़े शहरों की क्राइम डायरी में भले ही उसका असली नाम गिरधारी विश्वकर्मा दर्ज हो, लेकिन अपराध की दुनिया में उसे कई नाम थे. वह गिरधारी लोहार, डॉक्टर, टग्गर, DM, रॉबिनहुड के नाम से जाना जाता था. साथ ही गिरधारी दोनों हाथों से असलहा चलाने में भी माहिर था. गिरधारी 29 साल से जरायम की दुनिया में एक्टिव था.
बता दें कि कुख्यात अपराधी गिरधारी शरीर के ऐसे हिस्से में गोली मारता था, जिससे व्यक्ति की तुरंत मौत हो जाती थी. उसका नाम डॉक्टर भी इसलिए पड़ा था. इस बार लखनऊ पुलिस ने डॉक्टर नाम से मशहूर हुए गिरधारी को एनकाउंटर में मार गिराया है. जिसके बाद ही लखनऊ पुलिस ने चैन की सांस ली है.