लखनऊ: उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आबादी वाला राज्य है. उत्तर प्रदेश की स्थापना आज ही के दिन यानी 24 जनवरी 1950 में हुई थी. तीन साल पहले यूपी के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक की पहल पर यूपी दिवस मनाना शुरू किया गया था. इस बार तीसरा यूपी दिवस मनाया जा रहा है. UP दिवस पर प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, मुख्यमंत्री ने प्रदेश के निवासियों को बधाई दी है. स्थापना दिवस पर प्रदेश की संस्कृति की विशेष झलक भी लखनऊ वासियों को देखने को मिली.
यूपी दिवस के खास मौके पर पूर्वांचल के विशेष लोक नृत्य धोबिया का प्रदर्शन किया गया. बुंदेलखंड के राई लोक नृत्य का भी दिलकुशा चौराहे पर आयोजन किया गया. तीन लोक नृत्य के आयोजन ने चौराहे के यातायात को भी प्रभावित किया. इनको देखने के लिए लोग गाड़ी रोककर खड़े हो गए. लोक नृत्य की मधुर धुनों ने लोगों का खूब मनोरंजन भी किया.UP दिवस पर दिखा धोबिया लोक नृत्य
उत्तर प्रदेश का धोबिया लोक नृत्य पूर्वांचल की प्रमुख लोक कला है. भोजपुरी क्षेत्र के धोबी समाज का यह लोक नृत्य 400 सालों से भी ज्यादा पुराना है. लोक कला के अंतर्गत धोबिया लोकगीत, धोबिया नाच, धोबिया नौटंकी और धोबिया वेशभूषा प्रदर्शित की जाती है. समय के साथ-साथ और पाश्चात्य संस्कृति की बढ़ती लोकप्रियता के चलते इस प्राचीन लोक नृत्य की चमक फीकी पड़ रही है. उत्तर प्रदेश के संस्कृति मंत्रालय की तरफ से आज यूपी दिवस के मौके पर इस विशेष लोक नृत्य को बचाए रखने की कोशिश जारी है.
धोबिया लोक कला का मनमोहक प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश दिवस पर संस्कृति विभाग की पहल पर आजमगढ़ से मुन्ना लाल के नेतृत्व में धोबिया लोक कला की टीम ने धोबिया लोक कला का मनमोहक प्रदर्शन किया. मुन्ना लाल ने बताया कि वह आजमगढ़ से 20 लोगों की टीम लेकर आए हैं. वह संस्कृति विभाग के विशेष आभारी है, जिन्होंने उनके इस लोक नृत्य को यूपी दिवस के आयोजन में स्थान दिया. इस लोक नृत्य के माध्यम से सरकार की योजनाओं का भी प्रचार प्रसार किया गया.
लोक नृत्य और लोक कला से रूबरू कराया
उत्तर प्रदेश दिवस पर संस्कृति विभाग ने उत्तर प्रदेश की विशेष लोक कलाओं को एक जगह इकट्ठा किया गया है. राजधानी के लोगों को इस लोक नृत्य और लोक कला से रूबरू कराया गया. राई नृत्य विशेष रूप से बुंदेलखंड का एक प्राचीन लोक नृत्य है. मुगल काल के दौरान इस लोक नृत्य का विकास हुआ. झांसी और मध्य प्रदेश के राजाओं को बेड़िया जाति के द्वारा किए जाने वाले इस विशेष लोकनृत्य से खासा लगाव था. समय के साथ इस लोकनृत्य की चमक फीकी पड़ रही है.
संस्कृति मंत्रालय कलाकारों को दे रहा अवसर
संस्कृति मंत्रालय इन प्राचीन लोक नृत्यों को बचाए रखने के लिए समय-समय पर इनके कलाकारों को मौका देता है. रविवार को दिलकुशा चौराहे पर राई नृत्य का प्रदर्शन परवीन खान की टीम ने किया. 61 साल की परवीन बताती हैं कि वह खुद शिक्षक हैं और समाजसेवी भी हैं. यह नृत्य उनके खून में बसा हुआ है. संस्कृति मंत्रालय की वह विशेष आभारी हैं, क्योंकि मंत्रालय समय-समय पर उनकी इस विशेष कला को मंच प्रदान करता है. इस मौके पर लोगों ने इन कलाकारों के साथ सेल्फी भी ली.