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लखनऊ में वैज्ञानिकों ने कहा-देश के विकास ने साबित किया कि विज्ञान ने हमेशा आगे का रास्ता दिखाया

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 6, 2023, 1:33 PM IST

Updated : Nov 8, 2023, 11:16 AM IST

भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) कि 59 वां स्थापना दिवस के अवसर के देश के विभिन्न प्रतिष्ठानों के विशेषज्ञ जुटे और देश के विकास में विज्ञान की भूमिका के महत्व पर चर्चा की. इस दौरान ओडिशा पीसीबी और आईआईटीआर के बीच एमओयू हुआ.

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भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के आयोजन की जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला.

लखनऊ : इतिहास से पता चलता है कि जीवन को बदलने वाले तकनीकी नवप्रवर्तन हमेशा अंतर्विषयक सहयोग के परिणामस्वरूप हुए हैं. एसटीईएम में हाल के विकास ने एक बार फिर साबित किया है कि विज्ञान आगे का रास्ता दिखाता है, लेकिन यह प्रौद्योगिकी है जो गुणवत्ता वाले उत्पादन को उत्कृष्ट बनाती है. यह बातें भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) कि 59 वां स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि आईएएस अध्यक्ष डॉ. अशोक दलवाई (किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी समिति व पूर्व सीईओ राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार) ने कहीं. इस दौरान ओडिशा ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) और आईआईटीआर के बीच एमओयू भी हुआ.

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस पर अतिथियों का स्वागत करते आयोजक
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस पर अतिथियों का स्वागत करते आयोजक
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में शामिल अतिथि.
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में शामिल अतिथि.

सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने बताया कि बीते 25 साल से संस्थान वायु प्रदूषण के ऊपर लगातार काम कर रहा है. वायु प्रदूषण के विभिन्न कारक हैं. वर्तमान में वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है. कोरोना काल में प्रदेश की आबोहवा बिल्कुल सुधर गई थी. ऐसा भी नहीं हो सकता कि विकास के कामों को रोका जा सके. जाहिर तौर पर लगातार विकास का काम चल रहा है. जोकि उचित भी है, लेकिन कुछ ऐसा उपाय शासन को जरूर करना होगा. जिससे विकास के काम भी हो सकें और वायु प्रदूषण को भी कम किया जा सके. इस पर काम चल रहा है. साथ ही जो करक मुख्य पाए गए हैं, उसको लिखित तौर पर शासन को भेजे गए हैं. डॉ. योगेश्वर शुक्ला, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर व अध्यक्ष, आयोजन समिति ने अतिथियों का स्वागत किया. इसके बाद डॉ. एन. कलेसेल्वी, महानिदेशक, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद व सचिव, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग का संदेश पढ़ा गया.

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में मौजूद अतिथि.
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में मौजूद अतिथि.


ओडिशा पीसीबी और संस्थान के बीच हुआ एमओयू : सभा को संबोधित करते हुए अतिथि डॉ. के. मुरुगेशन, आईएफएस, सदस्य सचिव ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आशा व्यक्त की कि ओडिशा पीसीबी और संस्थान के बीच हस्ताक्षरित सहमति ज्ञापन के परिणामस्वरूप कई वैज्ञानिक सहयोग देंगे. आईएफएस, डीएफओ, अवध डॉ. रवि कुमार सिंह ने सीएसआईआर के साथ लंबे समय से चले आ रहे अपने संबंध को याद किया और संस्थान के साथ कई और सफलताओं की आशा व्यक्त की. इस दौरान सीएसआईआर-आईआईटीआर ने इंडियन सेंटर फॉर प्लास्टिक्स इन द एनवायरनमेंट (आईसीपीई) मुंबई और ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) भुवनेश्वर के साथ अकादमिक सहयोग के लिए सहमति ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. संस्थान के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने कहा कि किसी संस्थान का स्थापना दिवस अतीत की सफलताओं को संजोने और भविष्य के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का एक उपयुक्त अवसर होता है. संबोधन के दौरान उन्होंने संस्थान की पिछले वर्ष में उपलब्धियों का वर्णन किया. डॉ. स्मृति प्रिया, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर व संयोजक आयोजन समिति ने धन्यवाद किया.

यह भी पढ़ें : किसानों की आमदनी बढ़ाता सीएसआईआर सीमैप 'किसान मेला'

आईआईटीआर टीम ने विभिन्न शहरों से लिए गंगाजल के सैंपल

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के आयोजन की जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला.

लखनऊ : इतिहास से पता चलता है कि जीवन को बदलने वाले तकनीकी नवप्रवर्तन हमेशा अंतर्विषयक सहयोग के परिणामस्वरूप हुए हैं. एसटीईएम में हाल के विकास ने एक बार फिर साबित किया है कि विज्ञान आगे का रास्ता दिखाता है, लेकिन यह प्रौद्योगिकी है जो गुणवत्ता वाले उत्पादन को उत्कृष्ट बनाती है. यह बातें भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) कि 59 वां स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि आईएएस अध्यक्ष डॉ. अशोक दलवाई (किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी समिति व पूर्व सीईओ राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार) ने कहीं. इस दौरान ओडिशा ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) और आईआईटीआर के बीच एमओयू भी हुआ.

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस पर अतिथियों का स्वागत करते आयोजक
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस पर अतिथियों का स्वागत करते आयोजक
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में शामिल अतिथि.
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में शामिल अतिथि.

सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने बताया कि बीते 25 साल से संस्थान वायु प्रदूषण के ऊपर लगातार काम कर रहा है. वायु प्रदूषण के विभिन्न कारक हैं. वर्तमान में वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है. कोरोना काल में प्रदेश की आबोहवा बिल्कुल सुधर गई थी. ऐसा भी नहीं हो सकता कि विकास के कामों को रोका जा सके. जाहिर तौर पर लगातार विकास का काम चल रहा है. जोकि उचित भी है, लेकिन कुछ ऐसा उपाय शासन को जरूर करना होगा. जिससे विकास के काम भी हो सकें और वायु प्रदूषण को भी कम किया जा सके. इस पर काम चल रहा है. साथ ही जो करक मुख्य पाए गए हैं, उसको लिखित तौर पर शासन को भेजे गए हैं. डॉ. योगेश्वर शुक्ला, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर व अध्यक्ष, आयोजन समिति ने अतिथियों का स्वागत किया. इसके बाद डॉ. एन. कलेसेल्वी, महानिदेशक, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद व सचिव, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग का संदेश पढ़ा गया.

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में मौजूद अतिथि.
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान के स्थापना दिवस में मौजूद अतिथि.


ओडिशा पीसीबी और संस्थान के बीच हुआ एमओयू : सभा को संबोधित करते हुए अतिथि डॉ. के. मुरुगेशन, आईएफएस, सदस्य सचिव ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आशा व्यक्त की कि ओडिशा पीसीबी और संस्थान के बीच हस्ताक्षरित सहमति ज्ञापन के परिणामस्वरूप कई वैज्ञानिक सहयोग देंगे. आईएफएस, डीएफओ, अवध डॉ. रवि कुमार सिंह ने सीएसआईआर के साथ लंबे समय से चले आ रहे अपने संबंध को याद किया और संस्थान के साथ कई और सफलताओं की आशा व्यक्त की. इस दौरान सीएसआईआर-आईआईटीआर ने इंडियन सेंटर फॉर प्लास्टिक्स इन द एनवायरनमेंट (आईसीपीई) मुंबई और ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) भुवनेश्वर के साथ अकादमिक सहयोग के लिए सहमति ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. संस्थान के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने कहा कि किसी संस्थान का स्थापना दिवस अतीत की सफलताओं को संजोने और भविष्य के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का एक उपयुक्त अवसर होता है. संबोधन के दौरान उन्होंने संस्थान की पिछले वर्ष में उपलब्धियों का वर्णन किया. डॉ. स्मृति प्रिया, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर व संयोजक आयोजन समिति ने धन्यवाद किया.

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Last Updated : Nov 8, 2023, 11:16 AM IST
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