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लखनऊ सहित 14 शहरों में खोले गए क्रॉस डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन सेंटर

लखनऊ सहित 14 शहरों में गुरुवार को अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का आज उद्घाटन किया गया. सेंटरों का उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री डॉ. थावर चन्द गहलोत ने किया. दिव्यांगता की रोकथाम के लिए यह कदम उठाया गया है.

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Published : Jun 17, 2021, 9:53 PM IST

लखनऊ: बाल अवस्था में बच्चों में दिव्यांगता के लक्षणों की शीघ्र पहचान करने के लिए लखनऊ सहित देश में 14 अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का आज उद्घाटन किया गया. वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री डॉ. थावर चन्द गहलोत ने किया. इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया, रामदास आठवले, कृष्णपाल गुर्जर एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग भी मौजूद रहे.

इन 14 केंद्र में से एक केंद्र उत्तर प्रदेश के लखनऊ जनपद में स्थित समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास, पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र में स्थापित किया गया है. इसके वर्चुअल उद्घाटन के उपरान्त डॉ. एसके श्रीवास्तव राज्य आयुक्त दिव्यांगजन उत्तर प्रदेश ने वास्तविक निरीक्षण कर केंद्र में प्रदान की जाने वाले सुविधाओं के बारे में जानकारी दी. इस मौके पर निदेशक समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास, पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र रमेश पांडेय ने कहा कि इस केंद्र में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं से उत्तर प्रदेश के सुदूर ग्रामीण इलाकों के लाभार्थियों को जोड़ा जाएगा, जिससे प्राथमिक स्तर पर दिव्यांगता की रोकथाम की जा सके.

यह भी पढ़ें: खेत में सरकारी अनाज की हो रही थी अदला-बदली, प्रशासन ने मारा छापा

बचपन में ही कुछ बच्चों में कुछ ऐसी दिव्यांगता होती है, जो उम्र बढ़ने के साथ पता चलती है. ऐसे विशेष बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने सात राष्ट्रीय संस्थानों और सात समग्र क्षेत्रीय केंद्रों में अर्ली इंटरवेंशन सेंटर खोले हैं. क्रॉस डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन सेंटर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत सभी प्रकार की विकलांगता को पता करते हुए दिव्यांग बच्चों (0-6 वर्ष) के लिए चिकित्सीय, स्वास्थ्यलाभ देखभाल सेवाओं और प्री-स्कूल प्रशिक्षण के लिए सभी सुविधाएं प्रदान करेंगे. ये सभी सेवाएं आसानी से सुलभ होंगी.


डॉ. रमेश पांडेय ने बताया कि शोध से पता चलता है कि प्रारंभिक बचपन (0-6 वर्ष) मस्तिष्क विकास का समय होता है. यह अवधि किसी व्यक्ति को आजीवन स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक क्षमता तक पहुंचने की क्षमता को निर्धारित करती है. बच्चे के जीवन के शुरुआती दिनों में विकलांगता की पहचान करने से एक स्वतंत्र और बढ़िया जीवन जीने में सक्षम होने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद मिलती है.

लखनऊ: बाल अवस्था में बच्चों में दिव्यांगता के लक्षणों की शीघ्र पहचान करने के लिए लखनऊ सहित देश में 14 अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का आज उद्घाटन किया गया. वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री डॉ. थावर चन्द गहलोत ने किया. इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया, रामदास आठवले, कृष्णपाल गुर्जर एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग भी मौजूद रहे.

इन 14 केंद्र में से एक केंद्र उत्तर प्रदेश के लखनऊ जनपद में स्थित समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास, पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र में स्थापित किया गया है. इसके वर्चुअल उद्घाटन के उपरान्त डॉ. एसके श्रीवास्तव राज्य आयुक्त दिव्यांगजन उत्तर प्रदेश ने वास्तविक निरीक्षण कर केंद्र में प्रदान की जाने वाले सुविधाओं के बारे में जानकारी दी. इस मौके पर निदेशक समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास, पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र रमेश पांडेय ने कहा कि इस केंद्र में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं से उत्तर प्रदेश के सुदूर ग्रामीण इलाकों के लाभार्थियों को जोड़ा जाएगा, जिससे प्राथमिक स्तर पर दिव्यांगता की रोकथाम की जा सके.

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बचपन में ही कुछ बच्चों में कुछ ऐसी दिव्यांगता होती है, जो उम्र बढ़ने के साथ पता चलती है. ऐसे विशेष बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने सात राष्ट्रीय संस्थानों और सात समग्र क्षेत्रीय केंद्रों में अर्ली इंटरवेंशन सेंटर खोले हैं. क्रॉस डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन सेंटर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत सभी प्रकार की विकलांगता को पता करते हुए दिव्यांग बच्चों (0-6 वर्ष) के लिए चिकित्सीय, स्वास्थ्यलाभ देखभाल सेवाओं और प्री-स्कूल प्रशिक्षण के लिए सभी सुविधाएं प्रदान करेंगे. ये सभी सेवाएं आसानी से सुलभ होंगी.


डॉ. रमेश पांडेय ने बताया कि शोध से पता चलता है कि प्रारंभिक बचपन (0-6 वर्ष) मस्तिष्क विकास का समय होता है. यह अवधि किसी व्यक्ति को आजीवन स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक क्षमता तक पहुंचने की क्षमता को निर्धारित करती है. बच्चे के जीवन के शुरुआती दिनों में विकलांगता की पहचान करने से एक स्वतंत्र और बढ़िया जीवन जीने में सक्षम होने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद मिलती है.

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